What is transformer in hindi, ट्रांसफार्मर का कार्य सिद्धांत,एवं पार्ट्स , प्रकार आदि का विस्तारपूर्वक वर्णन

What is transformer in hindi, ट्रांसफार्मर का कार्य सिद्धांत,एवं उनके पार्ट्स क्या क्या है और उनके कार्य आदि का विस्तारपूर्वक वर्णन।

Transformer का meaning क्या होता है ?

Transformer = परिणामित्र , परिवर्तक

Transformer का मतलब परिवर्तक होता है यानी यह transfer करने का काम करता है।

What is transformer in hindi

Transformer एक ऐसा passive electrical device है जो इलेक्ट्रिकल ऊर्जा को एक सर्किट से दूसरे सर्किट मे वोल्टेज को बदलते हुए transfer कर सकती है।

Transformer एक ऐसा passive electrical device है जो इलेक्ट्रिकल ऊर्जा को low voltage से high voltage मे transfer कर सकती है और इसके विपरित ऊर्जा को high voltage से low voltage मे भी transfer कर सकती है ।

Transformer द्वारा ऐसा इसलिए संभव है क्यूंकि यह electromagnetic induction के कार्य सिद्धांत पर काम करती है जो mutual induction की घटना का उपयोग करती है। mutual induction की घटना electromagnetic induction का ही एक विशेष प्रकार की घटना है।

वैसे ट्रांसफार्मर mutual induction की घटना पर कार्य करती है।

Transformer का उपयोग क्यों किया जाता है? एवं transformer का काम क्या है?

Transformer का उपयोग मुख्य रूप से वोल्टेज को कम और अधिक ( low & high) करने के लिए किया जाता है।

जहां हमे अधिक वोल्टेज की जरूरत होती हैं वहां ट्रांसफार्मर द्वारा वोल्टेज को high किया जाता है और जहां हमे कम वोल्टेज की जरूरत होती हैं वहां ट्रांसफार्मर द्वारा वोल्टेज को low किया जाता है ।

ट्रांसफार्मर द्वारा वोल्टेज को high और low किया जा सकता है इसलिए इसका उपयोग power transmission और distribution मे पावर को एक जगह से दूसरी जगह तक आसानी से ले जा सकने के लिए किया जाता हैं।

विद्युत उत्पादन प्लांट (Power generation plant) मे ट्रांसफार्मर का उपयोग वोल्टेज को high करने के लिए किया जाता है क्यूंकि Power generation plant मे बिजली का उत्पादन क्षमता 11kv से 33kv होती है इसलिए उत्पादित 11kV या 33kV वोल्टेज को ट्रांसफार्मर द्वारा high voltage 66kV या 132 kV मे बदलने का काम किया जाता हैया इससे भी हाई वोल्टेज मे बदला जाता है।

Power distribution मे ट्रांसफार्मर का उपयोग वोल्टेज को कम करने के लिए किया जाता है क्यूंकि power transmission line की वोल्टेज बहुत high होती है जो 66kV या 132 kV या इससे भी हाई वोल्टेज होती है इसलिए Power distribution मे 66kV या 132 kV हाई वोल्टेज को ट्रांसफार्मर द्वारा 11kV मे बदला जाता है इसके बाद हमारे घर या कारखाने के क्षेत्र मे भेज दिया जाता है।

Electronic device मे भी ट्रांसफार्मर का उपयोग किया जाता है क्यूंकि Electronic device बहुत ही कम वोल्टेज से चलती है जैसे 12 volt । चूंकि घर में आने वाली वोल्टेज 220 volt का होती है जो इलेक्ट्रॉनिक उपकरण के लिए बहुत अधिक होती है इसलिए वोल्टेज 220 volt को ट्रांसफार्मर द्वारा वोल्टेज 12 volt मे बदला जाता है।

ट्रांसफार्मर का कार्य सिद्धांत (working principle of transformer)

ट्रांसफार्मर mutual induction के सिद्धांत पर कार्य करती है जो electromagnetic induction के घटना से संबंधित है।

Mutual induction का सिद्धांत यह बताता है की यदि परिवर्तनीय विद्युत धारा ( source current) को किसी एक coil से प्रवाहित किया जाता है तब बिना स्पर्श के पास वाली दूसरी coil मे electromotive force (EMF) उत्पन्न होगी। जिससे यदि दूसरी coil एक बंद परिपथ है तो उसमे से वोल्टेज और विद्युत धारा उत्पन्न होगी। Mutual induction केवल दो या दो से अधिक coil के बीच ही होती है। ट्रांसफार्मर मे भी दो या दो से अधिक coil लगी होती है इसलिए ट्रांसफार्मर मे Mutual induction की प्रक्रिया होती है।

सभी ट्रांसफार्मर इसी Mutual induction के सिद्धांत पर कार्य करती है।

आइए अब विस्तार से समझते हैं।

हम केवल दो coil वाली ट्रांसफार्मर की कार्य सिद्धांत ( working principle) पर चर्चा करेंगे ।

वैसे प्राय: ट्रांसफार्मर में दो coil होती है जिसे primary coil और secondry coil कहा जाता है। इसके बाद Magnetic core होती है। ट्रांसफार्मर मे mutual induction के लिए यही तीन मुख्य भाग जरूरी होती है।

Primary coil – यह वह coil होती है जिसमे परिवर्तनीय विद्युत धारा की सप्लाई किया जाता है। परिवर्तनीय विद्युत धारा के लिए हम AC विद्युत धारा का भी उपयोग कर सकते हैं। परिवर्तनीय विद्युत धारा से तात्पर्य ऐसे विद्युत धारा से है जिसकी विद्युत धारा हमेशा बदलती रहती हो। बदलती विद्युत धारा की आवश्यकता इसलिए होती है क्यूंकि बदलती विद्युत धारा के कारण ही coil मे बनने वाली magnetic field भी बदलती है जिसे changing magnetic field कहा जाता है। पहली coil की changing magnetic field के कारण ही बीना स्पर्श के पास वाली दूसरी coil मे EMF उत्पन्न होती है।

Secondary coil – यह दूसरी coil होती है जिसमे उत्पन्न EMF के कारण वोल्टेज और विद्युत धारा प्रवाहित होती है एवं जिसका उपयोग विभिन्न प्रकार के कार्य में किया जाता है।

Magnetic core – यह iron और स्टील से बनी हुई टुकड़ा (piece) होती है जो primary coil से secondary coil के लिए magnetic flux को प्रवाह होने का रास्ता देती है।

जब primary coil मे बदलती विद्युत धारा को सप्लाई किया जाता है तब primary coil मे changing magnetic field उत्पन्न होती है और यही changing magnetic field लाइन Magnetic core से होकर गुजरने के बाद secondary coil पर पड़ती है। परिणामस्वरूप secondary coil पर changing magnetic flux का प्रभाव पड़ने के कारण secondary coil मे EMF उत्पन्न होती है जो बंद परिपथ में वोल्टेज और विद्युत धारा को भी प्रवाहित करेगी है।

secondary coil मे उत्पन्न EMF और वोल्टेज का परिमाण ( magnitude) secondary coil मे तार की लपेटो की संख्या पर निर्भर करती है और magnetic flux की strength पर भी निर्भर करेगी।

यदि coil मे तार की लपेटो की संख्या primary coil मे अधिक है और secondry coil मे कम है तो secondry coil में उत्पन्न EMF या वोल्टेज भी कम ही होगी। इसे step down ट्रांसफार्मर भी कहा जाता है जो वोल्टेज को घटाने के लिए उपयोग किया जाता है।

इसके विपरित यदि coil मे तार की लपेटो की संख्या primary coil मे कम है और secondry coil मे अधिक है तो secondry coil में उत्पन्न EMF या वोल्टेज भी अधिक ही होगी। इसे step up ट्रांसफार्मर भी कहा जाता है जो वोल्टेज को बढ़ाने के लिए किया जाता है।

ट्रांसफार्मर के कोन कोन से भाग होती है ?

वैसे ट्रांसफार्मर बहुत सी प्रकार की होती है । छोटी ट्रांसफार्मर में मुख्यत: तीन ही भाग होती है – (1) primary winding ( 2) secondary winding (3) core

बड़ी ट्रांसफार्मर या oil-filled transformers मे की मुख्य भाग नीचे दी गई है । Oil filled transformer के पुरी टैंक को तेल ( insulated oil) से भरा जाता है।

Transformer के Primary winding

ट्रांसफार्मर के Primary winding को कोर में coil से लपेटकर बनाया जाता है । इसका मुख्य काम परिवर्तनीय विद्युत धारा (AC) को इनपुट मे लेती है। जिससे Primary winding मे changing magnetic field बनती है। चूंकि Primary winding को इनपुट पावर की सप्लाई दिया जाता है इसलिए Primary winding को मुख्य power source से जोड़ा जाता है जैसे हाई वोल्टेज पावर ग्रिड 11kV या 33kV , घर का 220 volt AC लाइन इत्यादि।

Primary winding मे coil की लपेटो की संख्या secondary winding के आउटपुट वोल्टेज पर निर्भर करती है । अगर आउटपुट वोल्टेज को high करना है तो primary winding मे coil की लपेटो की संख्या secondary winding की तुलना में कम होती है। अगर आउटपुट वोल्टेज low करना है तो primary winding मे coil की लपेटो की संख्या secondary winding की तुलना में अधिक होगी।

Transformer के Secondary winding –

ट्रांसफार्मर के Secondary winding को भी कोर में coil से लपेटकर ही बनाया जाता है । इसका मुख्य काम EMF उत्पन्न करके परिवर्तनीय विद्युत धारा (AC) को आउटपुट मे देती है। Primary winding मे बनने वाले changing magnetic field द्वारा Secondary winding मे भी changing magnetic flux बनती है जिसके परिणामस्वरूप EMF उत्पन्न होती है। चूंकि secondary winding मे आउटपुट वोल्टेज होती है इसलिए इस आउटपुट वोल्टेज को load से जोड़ा जाता है। Secondary winding ट्रांसफार्मर का एक महत्वपूर्ण भाग होती है क्यूंकि यह आउटपुट वोल्टेज को उत्पन्न करके load तक पहुंचाने का काम करती । Secondary winding का आउटपुट वोल्टेज को इस तरह निर्धारित कर सकते हैं। Output Voltage = (Number of Turns in Secondary Winding) / (Number of Turns in Primary Winding) × Input Voltage

Transformer का Core

कोर ferromagnetic material से बनी होती है। इसका मुख्य काम Primary winding मे बनने वाले changing magnetic field को Secondary winding तक पहुंचाने के लिए रास्ता प्रदान करने का काम करता है। अत: यह बनने वाले मैग्नेटिक फील्ड को बेकार होने नही देता है। High magnetic permeability और low reluctance बनाने के लिए Core का laminations किया जाता है। Core का lamination eddy current loss को कम करता है। ट्रांसफार्मर का कोर heat loss को भी कम करता है। ट्रांसफार्मर का कोर , वाइंडिंग को मैग्नेटिक फील्ड से होने वाले नुकसान से भी बचाता है ।ट्रांसफार्मर का कोर भाग बहुत ही महत्वपूर्ण होती है क्यूंकि यह भाग ट्रांसफार्मर की efficiency को बढ़ाने का काम करती है।

ट्रांसफार्मर का Insulation

Insulation एक प्रकार का पदार्थ है जो winding और कोर को एक दूसरे से अलग करने का काम करती है । यह भी ट्रांसफार्मर का बहुत ही महत्वपूर्ण भाग होती है क्यूंकि यह short-circuit से बचाता है जिससे ट्रांसफार्मर overheat से बच जाती है।

ट्रांसफार्मर का conservator tank

Conservator tank थ्री phase ट्रांसफार्मर में अधिकतर होती है। ट्रांसफार्मर का conservator tank एक छोटा सा टैंक होता है जो आधा तेल ( insulated oil) से भरी होती है । इसका मुख्य काम जब किसी कारणवश ट्रांसफार्मर गर्म होती है तब ट्रांसफार्मर के अंदर वाली तेल ( insulated oil) उबलने लकती है जो conservator tank मे आधा भरी तेल को धक्का लगाती है एवं उबलती तेल को प्रसार होने के लिए जगह मिल जाती है क्यूंकि conservator tank तेल से आधा भरी रहती है । उबलती तेल से बनने वाले प्रेशर गैस breather पाइप से होकर बाहर निकलती है। conservator tank से breather पाइप एक दूसरे से जुड़ी रहती है।

ट्रांसफार्मर का breather उपकरण

Breather उपकरण ट्रांसफार्मर के अंदर और बाहर हवा की आदान प्रदान के लिए होती है। यह conservator tank के साथ जुड़ी होती है। Breather उपकरण हवा में मौजूद आद्रता ( moisture) को भी छाटने का काम करता है ताकि ट्रांसफार्मर के अंदर moisture नही जा पाए।

ट्रांसफार्मर का buchholz relay उपकरण

Buchholz relay एक सुरक्षा उपकरण है जो सभी oil-filled transformers मे उपयोग किया जाता है।

Buchholz relay का ट्रांसफार्मर के आंतरिक गड़बड़ी का पता लगाने के लिए उपयोग किया जाता है। जैसे – कोर overheating का पता लगाने , ट्रांसफार्मर के अंदर इलेक्ट्रिकल Arcing का पता लगाने , short circuit का पता लगाने , वाइंडिंग का Flashover और कोर इंसुलेशन failure का पता लगाने के लिए किया जाता है।

Transformer का bushing

ट्रांसफार्मर के Bushing का मुख्य काम ट्रांसफार्मर के टैंक से गुजरने वाले high voltage live तार को insulate करना और इसे mechanical support प्रदान करना।

Transformer तेल या insulating oil

Insulating oil को ट्रांसफार्मर मे भर दिया जाता है।

ट्रांसफार्मर insulated oil का कार्य ट्रांसफार्मर की वाइंडिंग के बीच इलेक्ट्रिक insulate करने का काम करता है। साथ में यह cooling का भी काम करता है क्यूंकि ट्रांसफार्मर बहुत सी कारणो से गर्म होती है। Insulating oil ट्रांसफार्मर को अंतरिक Corrosion से भी बचाता है।

ट्रांसफार्मर का Radiator

ट्रांसफार्मर मे Radiator का उपयोग ट्रांसफार्मर में भरी तेल को ठंडा करने के लिए किया जाता है।

ट्रांसफार्मर जब चालू रहती है तब ट्रांसफार्मर की coil winding गर्मी उत्पन्न करती है जो ट्रांसफार्मर की भरी तेल मे यह गर्मी स्थानांतरण (Transfer) हो जाती है जिससे ट्रांसफार्मर की तेल गर्म हो जाती है और इस गर्म तेल को radiator द्वारा ठंडा किया जाता है।

ट्रांसफार्मर के प्रकार ( Types of transformer)

ट्रांसफार्मर उनके उपयोग के आधार पर कई प्रकार होते । कुछ बहुत ही छोटे होते हैं तो कुछ बहुत ही बड़े होती है। यहां केवल ट्रांसफार्मर की मुख्य प्रकारों की की वर्णन की गई है जो प्राय: अधिकतर उपयोग में लाई जाती है।

Step up ट्रांसफार्मर

वैसे ट्रांसफार्मर जो low voltage को high voltage मे बदल देता हो Step up ट्रांसफार्मर कहलाता है। Step up ट्रांसफार्मर का उपयोग पावर प्लांट में किया जाता है जहां 11 kV या 33 kV वोल्टेज को 66 kV या उससे भी अधिक हाई वोल्टेज मे बदलकर ट्रांसमिशन लाइन में भेजा जाता है। इसके अलावा Step up ट्रांसफार्मर का उपयोग घर में भी किया जाता है क्यूंकि कभी कभी घर में low voltage आती है इसलिए इस low voltage को हाई वोल्टेज 220 volt मे बदला जाता है।

Step down ट्रांसफार्मर

वैसे ट्रांसफार्मर जो high voltage को low voltage मे बदल देता हो Step down ट्रांसफार्मर कहलाता है। Step down ट्रांसफार्मर का उपयोग distribution लाइन में किया जाता है जहां 66 kV या उससे भी अधिक हाई वोल्टेज ट्रांसमिशन लाइन को 11 kV वोल्टेज मे बदलकर distribution लाइन में भेजा जाता है। हमारे घरो के पास भी Step down ट्रांसफार्मर को लगाया जाता है जहां 11 kV वोल्टेज को 220 volt मे बदलकर घरों की ओर भेजा जाता है।

Single phase ट्रांसफार्मर

Single phase ट्रांसफार्मर के आउटपुट मे केवल दो ही तार निकलती है जिसमे से एक wire न्यूट्रल और दूसरी phase wire होती है। इस प्रकार की ट्रांसफार्मर में केवल एक ही phase wire या मुख्य तार ( main wire) होती है। इसलिए इसे Single phase ट्रांसफार्मर कहा जाता है।

Three phase ट्रांसफार्मर

Three phase ट्रांसफार्मर के आउटपुट मे 4 तार निकलती है जिसमे से एक wire न्यूट्रल और 3 phase wire होती है। इस प्रकार की ट्रांसफार्मर में 3 ही phase wire या मुख्य तार ( main wire) होती है। इसलिए इसे three phase ट्रांसफार्मर कहा जाता है।

Autotransformers

यह एक ऑटोमैटक ट्रांसफार्मर है जो आवश्यक वोल्टेज के आधार पर Autotransformers खुद से वोल्टेज को high और low भी कर सकता है।

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