What is generator in hindi, जनरेटर का कार्य सिद्धांत एवं पार्ट्स , प्रकार आदि का विस्तारपूर्वक वर्णन

जनरेटर क्या है या What is generator in hindi, जनरेटर का कार्य सिद्धांत ( working principle of generator) , एवं इनके पार्ट्स , प्रकारो का बहुत ही विस्तारपूर्वक एवं सरल भाषा में वर्णन किया गया है।

Generator का meaning क्या है ?

Generator =विद्युत जनित्र

Generator = उत्पादन यंत्र

Generator का मतलब होता है उत्पादन यंत्र जैसे बिजली का उत्पादन machine को भी generator कहा जाता है। इस आर्टिकल में हम केवल बिजली के उत्पादन यंत्र ( Electric generator) के बारे मे ही पढ़ेंगे।

Generator का Definition क्या है?

ऐसा यंत्र (machine) जो यांत्रिक ( mechanical) ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा ( electrical energy) मे बदलती है उसे विद्युत जनरेटर (Electric generator) कहा जाता है।

What is generator in hindi (जनरेटर क्या है)

विद्युत जनरेटर एक ऐसा उपकरण है जो यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत चुंबकीय प्रेरण ( electromagnetic induction) के सिद्धांत का उपयोग करके विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है।

यांत्रिक ऊर्जा के कई स्रोत हैं, जैसे कि डीजल इंजन, डैम का पानी, या भाप का दबाव से प्राप्त यांत्रिक ऊर्जा (mechanical energy) का उपयोग जनरेटर के रोटर को घुमाने के लिए किया जाता है एवं घूर्णन करती रोटर कुंडलियों ( coil) को जब चुंबकीय क्षेत्र मे रखा जाता है तब कुंडलियो मे बदलती चुंबकीय फ्लक्स के कारण विद्युत वाहक बल ( EMF) उत्पन्न होती है जिससे विद्युत धारा (current) प्रवाहित होती है, जो एक विद्युत ऊर्जा ( electrical energy) का स्रोत बनती हैं।

यांत्रिक ऊर्जा (mechanical energy) से तात्पर्य ऐसा ऊर्जा से है जो किसी भी वस्तु को स्थिर से गति मे बदल सकता है जैसे डैम का पानी , भाप इंजन , डीजल इंजन, पवन ऊर्जा इत्यादि।

विद्युत ऊर्जा (electrical energy) से तात्पर्य ऐसा ऊर्जा से है जिसकी ऊर्जा को चालक पदार्थ में एक जगह से दूसरी जगह तक आसानी से स्थानांतरण (Transfer) किया जा सकता है एवं इस इलेक्ट्रिकल ऊर्जा का उपयोग मनुष्य अपने दैनिक जीवन में बहुत से कार्य को करने के लिए करता है जैसे घर का लाइट , घर का पानी उठाने में , घर का खाना बनाने के लिए, घर का पंखा के लिए इत्यादि।

अर्थात , जैसे नदी के पानी को ऊँचाई पर बांधकर, हम इसकी गुरुत्वाकर्षण ऊर्जा को एकत्रित कर सकते हैं। जब पानी को टर्बाइन में छोड़ा जाता है, तो यह अपनी गुरुत्वाकर्षण ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदल देता है। यह यांत्रिक ऊर्जा फिर एक जनरेटर को घुमाती है, जो इसे विद्युत ऊर्जा में बदल देती है। यह विद्युत ऊर्जा फिर हमारे घरों, व्यवसायों और उद्योगों तक पहुँच जाती है, जहाँ इसका उपयोग प्रकाश, गर्मी, शक्ति और अन्य सुविधाओं के लिए किया जाता है।

विद्युत जनरेटर का कार्य सिद्धांत विद्युत चुम्बकीय प्रेरण (electromagnetic induction) पर आधारित है। इसका अर्थ है यह कि जब एक चालक ( conductor) को चुम्बकीय क्षेत्र में घुमाया जाता है, तो चालक में विद्युत वाहक बल (electromotive force,emf) उत्पन्न होती है। इस विद्युत वाहक बल के कारण चालक में धारा (current) प्रवाहित होती है जिसे हम विद्युत ऊर्जा ( electrical energy) कहते हैं।

एक जनरेटर में मुख्यतः दो भाग होते हैं: रोटर और स्टेटर। रोटर घूमता है, जबकि स्टेटर स्थिर रहता है। रोटर में एक चालक कुंडली ( conductor coil ) होती है, जबकि स्टेटर में आमतौर पर चुंबक होते हैं जो चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करती है।

जब किसी चालक कुंडली (conductor coil) को चुंबकीय क्षेत्र में घुमाया जाता है, तो कुंडली में विद्युत वाहक बल (EMF) उत्पन्न होता है। यह EMF एक विद्युत धारा (current) उत्पन्न करती है, जिसे हम बिजली कहते हैं।

इलेक्ट्रिक जनरेटर का उपयोग बिजली उत्पादन ( electricity) के लिए किया जाता है एवं बिजली का उपयोग दैनिक जीवन में बहुत सारी कार्य को करने के लिए किया जाता है।

जनरेटर का कार्य सिद्धांत (working principle of generator in hindi)

जनरेटर का कार्य सिद्धांत (working principle) electromagnetic induction नियम पर आधारित है।

electromagnetic induction एक घटना है जिसमे चालाक तार के आस पास एक चुंबक ( magnet) को आगे पीछे –आगे पीछे करने पर चालक तार में electromotive force (EMF) उत्पन्न होती है या changing magnetic field मे यदि कोई चालक तार या coil को रखा जाता है तो EMF उत्पन्न होती है। इस EMF द्वारा किसी बंद चालक तार मे वोल्टेज और करेंट को उत्पन्न किया जा सकता है। जब चालक तार के नजदीक चुंबक ( magnet) को आगे पीछे किया जाता है या स्थिर चुंबक ( magnet) के पास कोई चालक तार को घुमाया जाए तो दोनो ही स्थिति मे चालक तार मे magnetic flux का प्रभाव मे परिवर्तन (changing) होती है जिसे changing magnetic flux कहा जाता है।

Generator के coil मे EMF या विद्युत धारा ( current) उत्पन्न का कारण – जब coil को किसी changing magnetic field के पास ले जाया जाता है तब coil मे उपस्थित free electron पर Lorentz force का प्रभाव पड़ता है जो चुंबकीय क्षेत्र (magnetic field) और विद्युत क्षेत्र (electric field) के सम्मिलित बलो ( force) का प्रभाव से coil मे उपस्थित free electron किसी निश्चित दिशा में गति करने के लिए मजबूर हो जाती है। Free electron के निश्चित दिशा में गति को ही विद्युत धारा ( current) कहा जाता है।

चालक तार मे electromotive force (EMF) उत्पन्न होने के लिए चालक तार मे magnetic flux का प्रभाव मे परिवर्तन या बदलाव करना (changing) आवश्यक है।

चालक तार मे magnetic flux का परिवर्तन (changing) के लिए तीन तरीका अपनाए जा सकते हैं। पहला तरीका – चुंबक ( magnet) को चालक तार के आस पास आगे पीछे –आगे पीछे करना पड़ता है । दूसरा तरीका – स्थिर मैग्नेट के आस पास चालक तार को ही आगे पीछे या घुमाना पड़ता है। तीसरा तरीका – किसी coil चालक तार मे विद्युत धारा को बढ़ाने या घटाने पर coil मे बनने वाले magnetic field मे बदलाव ( changing) होती रहती है। इससे coil पर बनने वाले magnetic flux मे भी परिवर्तन या बदलाव होगी।

generator के stator मे लगी स्थिर मैग्नेट के आस पास चालक तार से बनी coil को घुमाया जाता है। जब coil घूमती है तब मैग्नेटिक फील्ड लाइन से coil कटती रहती है या coil मे मैग्नेटिक फील्ड का प्रभाव हमेशा बदलती रहेगी क्यूंकि coil घुम रही है जिसके परिणामस्वरूप तार के coil मे EMF उत्पन्न होती हैं। इस EMF द्वारा किसी बंद चालक तार मे वोल्टेज और करेंट को उत्पन्न किया जा सकता है।

EMF को mathematically इस प्रकार व्यक्त किया जाता है

इस EMF का परिमाण ( magnitude) coil मे परिवर्तनीय मैग्नेटिक flux की दर और coil तार की लपेटो की संख्या के गुणनफल के बराबर होती है।

EMF = -N(dΦ/dt)

जहां EMF = Electromotive force , N = coil मे तार की लपेटो की संख्या ( number of turns) , dΦ/dt= मैग्नेटिक flux मे बदलाव की दर , Φ = magnetic flux , Negative sign यह प्रदर्शित करता है कि changing magnetic flux या MMF (Magneto Motive Force) की दिशा के विपरीत दिशा में EMF ( Electro motive force ) की दिशा होती है।

चुंबक ( magnet) में MMF (Magneto Motive Force) होती है जिससे मैग्नेट की आस पास के क्षेत्र मे इलेक्ट्रिक फील्ड बनी रहती है। MMF (Magneto Motive Force) के कारण ही किसी चालक तार के इलेक्ट्रोन पर Electro motive force (EMF) लकती है। EMF के कारण ही बंद चालक तार में वोल्टेज और करेंट उत्पन्न होती हैं।

(Generator )जनरेटर कैसे काम करती है

आइए सिंगल लूप चालक तार ‘ ABCD’ पर चर्चा करके जिससे हम जनरेटर की कार्य करने की प्रणाली को समझ पाएंगे। यहां हम जनरेटर की basic fundamental बनावट एवं उनकी fundamental नियम के आधार पर चर्चा करेंगे। आज कल की बड़ी बड़ी जनरेटर इसी basic fundamental बनावट और नियम पर चलती है

जैसा की चित्र में दिखाया गया है। यहां मैग्नेट को स्थिर रखा गया है जबकि सिंगल लूप चालक ‘ ABCD’ तार को clockwise दिशा मे घुमाया जायेगा । जब सिंगल लूप चालक तार को घुमाया जाता है तब चालक तार के केवल ‘ AB’ और ‘ CD’ वाली भाग ही मैग्नेटिक फील्ड लाइन को काटती है या चालक तार को घुमाने के कारण ‘ AB’ और ‘ CD’ वाली भाग मे magnetic flux का प्रभाव मे परिवर्तन आयेगी यानी ‘ AB’ और ‘ CD’ वाली भाग मे magnetic flux मे बदलाव (changing) होते रहेगी इसलिए electromagnetic induction नियम के आधार पर यदि किसी चालक तार या coil मे पड़ने वाले magnetic flux मे बदलाव ( changing) होती है तो चालक तार मे emf उत्पन्न होती है इसलिए सिंगल लूप चालक तार ‘ABCD’ मे भी EMF ( Electro motive force) उत्पन्न होगी।

आइए अब EMF generation की बारीकी को समझने की कोशिश करेंगे। सिंगल लूप चालक तार ‘ABCD’ की घूमने की position 8 है। इन अलग अलग position पर EMF कहां कहां उत्पन्न होती है और कितनी होती है। इसको समझने की प्रयास करेंगे।

Position 1और 5 — जब सिंगल लूप चालक तार ‘ABCD’ की position 1 और 5 मे आती है तब कोई भी EMF उत्पन्न नही होगी। क्यूंकि इस पोजीशन में चालक तार ‘ABCD’ द्वारा मैग्नेटिक फील्ड लाइन नही कटेगी या चालक तार ‘ABCD मे मैग्नेटिक फील्ड का असर या बदलाव (changing) नही होगी।इसलिए dΦ/dt= मैग्नेटिक flux मे बदलाव की दर शून्य (0) होगी । Result :- N(dΦ/dt)=EMF= 0

Position 2 और 4 — जब सिंगल लूप चालक तार ‘ABCD’ की position 2 और 4 मे आती है तब थोड़ी सी EMF उत्पन्न होगी। क्यूंकि इस पोजीशन में चालक तार ‘ABCD’ द्वारा मैग्नेटिक फील्ड लाइन थोड़ी सी कटेगी या चालक तार ‘ABCD मे मैग्नेटिक फील्ड का असर या बदलाव (changing) थोड़ी सी होगी।इसलिए dΦ/dt= मैग्नेटिक flux मे बदलाव की दर थोड़ी सी होगी। Result :- N(dΦ/dt)=EMF= थोड़ी सी उत्पन्न होगी।

Position 3 और 7 — जब सिंगल लूप चालक तार ‘ABCD’ की position 3 और 7 मे आती है तब सबसे अधिक EMF उत्पन्न होगी। क्यूंकि इस पोजीशन में चालक तार ‘ABCD’ द्वारा मैग्नेटिक फील्ड लाइन सबसे अधिक कटेगी या ‘ AB’ और ‘ CD’ चालक तार मे मैग्नेटिक फील्ड का असर या बदलाव ( changing) सबसे अधिक होगी इसलिए dΦ/dt= मैग्नेटिक flux मे बदलाव की दर सबसे अधिक होगी। Result :- N(dΦ/dt)=EMF=सबसे अधिक उत्पन्न होगी। क्यूंकि मैग्नेटिक फील्ड लाइन और चालक तार ‘ABCD’ एक दूसरे के साथ perpendicular होगी।

Position 6 और 8 — जब सिंगल लूप चालक तार ‘ABCD’ की position 6 और 8 मे आती है तब थोड़ी सी EMF उत्पन्न होगी। क्यूंकि इस पोजीशन में चालक तार ‘ABCD’ द्वारा मैग्नेटिक फील्ड लाइन थोड़ी सी कटेगी या चालक तार ‘ABCD मे मैग्नेटिक फील्ड का असर या बदलाव (changing) थोड़ी सी होगी।इसलिए dΦ/dt= मैग्नेटिक flux मे बदलाव की दर थोड़ी सी होगी। Result :- N(dΦ/dt)=EMF= थोड़ी सी उत्पन्न होगी।

जब सिंगल लूप चालक तार ‘ABCD’ की position 1 से 5 तक में रहती है तब EMF की दिशा positive रहती है जबकि position 5 के बाद EMF की दिशा negative मे बदलने लकती है इसलिए position 6 से 8 तक में EMF की दिशा negative रहती है यानी उल्टी दिशा में रहती है इसलिए generated EMF को positive और negative cycle से दिखाया जाता है । negative cycle उल्टी दिशा मे उत्पन emf को दिखाता है। इस प्रकार positive और negative cycle emf से positive और negative cycle वोल्टेज और करेंट उत्पन्न होगी जिसे AC वोल्टेज या AC current कहा जाता हैं। अब इस AC लाइन को हम चालक द्वारा कही भी ले जा कर इसका उपयोग किया जा सकता है।

positive और negative cycle मिलाकर एक cycle बनती है । एक सेकंड में जितना cycle बनती है उसे ही AC का frequency कहा जाता है। जैसे 1 सेकंड में यदि 3 cycle बनती है तो उसे 3 hertz (Hz) frequency कहा जाता है। जैसे भारत में सप्लाई की जाने वाली बिजली 50 Hz frequency का है। इसका मतलब भारत में सप्लाई की जाने वाली बिजली 1 सेकंड में 50 cycle compelete करती है। 50 cycle = 50 positive cycle + 50 negative cycle

जनरेटर के कोन कोन से भाग होती है ?

जनरेटर के मुख्य parts नीचे दी गई है।

(1) Rotor — जनरेटर की वह भाग जो घूमने का काम करती है । इस भाग में प्राय: Armature लगी होती है ।

(2) Stator — stator वह भाग होती है जिसमे generator की स्थिर भाग होती है। इसमें मुख्यत: चुंबक ( magnet) भाग होती है।

( 3) Commutator — इसका मुख्य कार्य Alternating current (AC) को Direct current (DC) मे बदलने का काम करती है साथ ही current को coil से brush तक पहुंचाने का काम भी करती है।

(4) Armature — Armature मुख्यत: iron कोर के चारो ओर लपेटे गई तार की coil से बनी होती है। Armature लगभग coil से ही बनी होती है।Armature मे बहुत सारी coil का वाइंडिंग रहती है ।

(5) Slip Rings — यह एक प्रकार की rotating disc होती है जो current को coil से brush तक पहुंचाने का काम करती है।

(6) Bearings — Bearings एक प्रकार का rotating support भाग है जो rotation को चिकना बनाता है और घर्षण को कम करती है।

Generator की प्रकार कोन कोन सी होती है?

Generator की मुख्यत: दो ही प्रकार होती हैं।

(1) AC generator

(2) DC generator

AC generator की प्रकार

(1) Synchronous Generators

(2) Single phase generator

(3) Three phase generator

(4) Induction generators

DC generator की प्रकार

(1) Permanent magnet DC generators

(2) Series Generators

(3) Shunt Generators

(4) Compound Generators

(5) Separately excited DC generators

(6) Self-excited DC generators

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