मोटर मे यह नियम कैसे काम करती है? Fleming’s left hand rule in hindi का विस्तारपूर्वक वर्णन
What is Fleming’s left hand rule in hindi
Fleming’s left hand rule हमारी बाएं हाथ पर आधारित एक नियम है जो किसी चुंबकीय क्षेत्र में रखे विद्युत प्रवाहित तार की कुंडल ( coil) पर लगने वाली बल की दिशा को बताती है। इस नियम के आधार पर ही मोटर की rotor घुमती है।
Fleming’s left hand rule चुंबकीय क्षेत्र मे स्थित rotor मे लगने वाली बल की दिशा को बताती है और इसी बल की दिशा के आधार पर ही rotor दाएं या बाएं से घूमती है।
यह नियम हमारी बाएं हाथ के अंगूठा उंगली (thumb finger) , तर्जनी अंगुली (forefinger ) और मध्यमा अंगुली (middle finger) पर आधारित है।
जब किसी तार की कुंडल ( coil) मे विद्युत धारा को प्रवाहित किया जाता है तब तार की कुंडल ( coil) एक चुंबक की तरह कार्य करती है और इसे यदि किसी अन्य चुंबकीय क्षेत्र के पास ले जाया जाए तो इन दो चुंबकीय क्षेत्र की परस्पर क्रिया (interaction) द्वारा तार की कुंडल ( coil) पर एक बल लगती है। इसी बल की दिशा को Fleming’s left hand rule द्वारा दिखाया जाता है।
Fleming’s left hand rule in hindi
Fleming’s left hand rule हमे यह बताती है की यदि किसी चुंबकीय क्षेत्र में विद्युत प्रवाहित तार की कुंडल ( coil) को रखने पर कुंडल ( coil) मे लगने वाली बल की दिशा हमारी बाएं हाथ की अंगूठा उंगली (thumb finger) द्वारा दिखाया जाता है।
यदि बाएं हाथ की अंगूठा उंगली (thumb finger) , तर्जनी अंगुली (forefinger ) और मध्यमा अंगुली (middle finger) को एक दूसरे से लंबवत ( perpendicular) रखा जाए
एवं मध्यमा अंगुली (middle finger) तार की कुंडल ( coil) मे प्रवाहित विद्युत धारा की दिशा के समरूप रखा जाए।
और तर्जनी अंगुली (forefinger ) चुंबकीय क्षेत्र ( magnetic field) की दिशा के समरूप रखा जाए ।
तो अंगूठा उंगली (thumb finger) लगने वाली बल की दिशा को प्रदर्शित करेगी है।
आइए इस चित्र की मदद से इसे अच्छी तरह समझे । इसमे हमलोग बाएं हाथ ( left hand) के 2 case पर चर्चा करेंगे और याद रखे बाएं हाथ की तीनो अंगुली को एक दूसरे से लंबवत ( perpendicular) रखेंगे।
Case 1 :- जब तार की कुंडल ( coil) मे प्रवाहित विद्युत धारा की दिशा आगे की ओर जाती है तथा चुंबकीय क्षेत्र ( magnetic field) की दिशा बाएं से दाएं होती है तब हम अपनी तर्जनी अंगुली (forefinger ) को चुंबकीय क्षेत्र ( magnetic field) की दिशा मे बाएं से दाएं की ओर व्यवस्थित करेंगे और अपनी मध्यमा अंगुली (middle finger) को तार की कुंडल ( coil) मे प्रवाहित विद्युत धारा की दिशा के समरूप आगे की ओर व्यवस्थित करेंगे तो हम पाएंगे की हमारी अंगूठा उंगली (thumb finger) नीचे की तरफ होगी जो तार की कुंडल ( coil) पर लगने वाली बल की दिशा को प्रदर्शित करेगी यानी नीचे की ओर बल की दिशा होगी।
Case 2 :- जब तार की कुंडल ( coil) मे प्रवाहित विद्युत धारा की दिशा अपनी ओर होती है तथा चुंबकीय क्षेत्र ( magnetic field) की दिशा बाएं से दाएं होती है तब हम अपनी तर्जनी अंगुली (forefinger ) को चुंबकीय क्षेत्र ( magnetic field) की दिशा मे बाएं से दाएं की ओर व्यवस्थित करेंगे और अपनी मध्यमा अंगुली (middle finger) को अपनी तरफ व्यवस्थित करेंगे क्यूंकि तार की कुंडल ( coil) मे प्रवाहित विद्युत धारा की दिशा अपनी ओर है तो हम पाएंगे की हमारी अंगूठा उंगली (thumb finger) उपर की तरफ होगी जो तार की कुंडल ( coil) पर लगने वाली बल की दिशा को प्रदर्शित करेगी यानी उपर की ओर बल की दिशा होगी।
मोटर मे यह नियम कैसे काम करती है?
तार की कुंडल ( coil) ABCD एक मोटर की rotor होती है जो घूर्णन का काम करती है। मोटर की इस rotor ‘ABCD’ मे लगने वाली बल की दिशा और बल उत्पन्न होने के कारणो पर प्रकाश डालेंगे।
तार की कुंडल ( coil ) ‘CD’ मे लगने वाली बल ( force) :-
तार की कुंडल ( coil ) ‘CD’ मे लगने वाली बल ( force) की दिशा का पता लगाने के लिए सबसे पहले हम चुंबकीय क्षेत्र की दिशा और तार की कुंडल ( coil ) ‘CD’ मे बहने वाली विद्युत धारा ( current) की दिशा के समरूप अपनी बाएं हाथ की मध्यमा अंगुली (middle finger) को ‘CD’ मे बहने वाली विद्युत धारा ( current) की दिशा के समरूप और तर्जनी अंगुली (forefinger ) को चुंबकीय क्षेत्र की दिशा के समरूप अपनी इन दो अंगुली को व्यवस्थित करते हुए अंगूठा उंगली (thumb finger) को भी तर्जनी अंगुली (forefinger ) के लंबवत ( perpendicular) व्यवस्थित करेंगे तो हम पाएंगे की अंगूठा उंगली (thumb finger) की दिशा नीचे की ओर होगी जो हमे तार की कुंडल ( coil ) ‘CD’ मे लगने वाली बल ( force) की दिशा को बताती है यानी ‘CD’ मे लगने वाली बल बल की दिशा नीचे की ओर है।
तार की कुंडल ( coil ) ‘AB’ मे लगने वाली बल ( force) :-
तार की कुंडल ( coil ) ‘AB’ मे लगने वाली बल ( force) की दिशा का पता लगाने के लिए सबसे पहले हम चुंबकीय क्षेत्र की दिशा और तार की कुंडल ( coil ) ‘AB’ मे बहने वाली विद्युत धारा ( current) की दिशा के समरूप अपनी बाएं हाथ की मध्यमा अंगुली (middle finger) को ‘AB’ मे बहने वाली विद्युत धारा ( current) की दिशा के समरूप और तर्जनी अंगुली (forefinger ) को चुंबकीय क्षेत्र की दिशा के समरूप अपनी इन दो अंगुली को व्यवस्थित करते हुए अंगूठा उंगली (thumb finger) को भी तर्जनी अंगुली (forefinger ) के लंबवत ( perpendicular) व्यवस्थित करेंगे तो हम पाएंगे की अंगूठा उंगली (thumb finger) की दिशा उपर की ओर होगी जो हमे तार की कुंडल ( coil ) ‘AB’ मे लगने वाली बल ( force) की दिशा को बताती है यानी ‘AB’ मे लगने वाली बल की दिशा उपर की ओर होगी।
परिणाम :-
चूंकि तार की कुंडल ( coil ) ‘CD’ मे नीचे की ओर बल लगती है एवं तार की कुंडल ( coil ) ‘AB ‘ मे ऊपर की ओर बल लगती है इसलिए मोटर की rotor यानी तार की कुंडल ‘ABCD ‘ दाएं से बाएं की ओर घूमने लगेगी।