Voltage in hindi,voltage kya hai समझें 1 मिनट में विस्तारपूर्वक से

what is voltage in hindi,voltage meaning in hindi ,voltage definition in Hindi, विभवांतर क्या है या voltage kya hai, potential difference kya hai आदि का विस्तारपूर्वक वर्णन इस आर्टिकल में दिया गया है ।

Voltage meaning in hindi

Voltage = Potential difference = Electric pressure

Voltage का मीनिंग या मतलब होता है विभवांतर या दाब जिसे अंग्रेजी में pressure कहा जाता है।

voltage definition in Hindi

किसी बंद विद्युत परिपथ के किन्ही दो बिंदुओ के बीच विभव ( potential) मे अंतर ( difference) को ही वोल्टेज ( voltage) या विभवांतर ( potential difference) कहा जाता है।

Voltage kya hai (what is voltage in hindi)

किन्ही दो बिंदुओ के बीच विभवांतर ( potential difference) को ही वोल्टेज कहा जाता है।

उदाहरण के लिए, यदि एक बिंदु पर अधिक इलेक्ट्रॉन हैं और दूसरे बिंदु पर कम इलेक्ट्रॉन हैं, तो इससे एक बिंदु पर निम्न विभव (low potential) उत्पन्न होगी जिससे यहां नकारात्मक विद्युत क्षेत्र (negative electric field) बनेगी और दूसरी बिंदु पर उच्च विभव (high potential) उत्पन्न होगी जिससे यहां सकारात्मक विद्युत क्षेत्र (positive electric field) बनेगी। एक बिंदु पर नकारात्मक विद्युत क्षेत्र (negative electric field) और दूसरी बिंदु पर सकारात्मक विद्युत क्षेत्र (positive electric field) के कारण इन दो बिंदुओ के बीच एक विद्युत क्षेत्र ( electric field) उत्पन्न होगा । इस विद्युत क्षेत्र के विरुद्ध इलेक्ट्रोनों को निम्न विभव (low potential) से उच्च विभव (high potential) की ओर जाने के लिए एक बल या दबाव ( pressure) लगती है। इस बल या दबाव के कारण इलेक्ट्रॉन द्वारा निम्न विभव से उच्च विभव तक जाने के लिए किया गया कार्य ही वोल्टेज है।

अर्थात निम्न विभव (low potential) और उच्च विभव (high potential) को ही विभव मे अंतर या विभवांतर ( potential difference) या वोल्टेज कहा जा सकता है क्यूंकि इस विभवांतर ( potential difference) के कारण ही इलेक्ट्रोन को एक बिंदु से दूसरी बिंदु तक जाने के लिए एक बल या दबाव ( pressure) लगती है।

वोल्टेज को एक तरह से विद्युत धारा के प्रवाह (Flow) के लिए आवश्यक दबाव (Pressure) के रूप में समझा जा सकता है।

अर्थात वोल्टेज को एक तरह से एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक इलेक्ट्रॉनों को धक्का देने के लिए आवश्यक बल या दबाव (Pressure) के रूप में भी समझा जा सकता है।

किसी भी विद्युत प्रणाली (electrical system) मे वोल्टेज का उपयोग इलेक्ट्रॉन को गति करवाने के लिए होता है या वोल्टेज का कार्य परिपथ में इलेक्ट्रॉन को धक्का देना होता है जिसके कारण यह गति कर पाती है एवं जिसे विद्युत धारा ( current) कहा जाता है जिसके परिणामस्वरूप विद्युत उपकरण संचालित हो पाती है।

इस वोल्टेज या बल , प्रेशर , विभवांतर (potential difference) के कारण free electron निश्चित दिशा में गति करने लकती है एवं इस free इलेक्ट्रॉन के गति को ही इलेक्ट्रिक करेंट कहा जाता है।

वोल्टेज का Mathematically द्वारा परिभाषित :-

अत: किसी इलेक्ट्रिक फील्ड के विरुद्ध एक यूनिट चार्ज को एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक ले जाने में किया गया कार्य की माप से ही उन दो बिंदुओं के बीच इलेक्ट्रिक प्रेशर, बल या वोल्टेज की क्षमता का पता चलता है एवं इसे वोल्ट (volt) unit से मापा जाता है।

Voltage= workdone/ charge इसलिए voltage = 1 Joule/ 1 Coulomb चार्ज = 1 volt

अर्थात वोल्टेज (voltage) की परिभाषा अनुसार यदि 1 coulomb चार्ज या 6 ×10¹⁸ इलेक्ट्रोन को एक बिंदु से दुसरे बिंदु तक ले जाने में 1 joule का कार्य किया जाता है तो उसे 1 volt की वोल्टेज कहा जायेगा। 1 coulomb चार्ज को एक बिंदु से दुसरे बिंदु तक ले जाने के लिए कुछ बल (force) लगी होगी क्यूंकि बिना बल (force) का कोई कार्य नहीं होती है। इलेक्ट्रिकल प्रणाली (system) मे चार्ज को एक बिंदु से दुसरे बिंदु तक प्रवाहित करने के लिए जो बल (force) का उपयोग होता है वह बल (force) विभवांतर (potential difference) ही होती है ।

इसलिए विभवांतर (Potential difference) को विद्युतवाहक बल (electromotive force , emf) भी कहा जा सकता है।

और जबकि विभवांतर (Potential difference) को वोल्टेज (voltage ) भी कहा जाता है।

वोल्टेज और विद्युत वाहक बल (EMF) दोनों ही विद्युत प्रणाली के दो बिंदुओं के बीच के विभवांतर (Potential difference) को दर्शाती हैं। हालांकि, इन दोनों के बीच एक महत्वपूर्ण अंतर यह है कि वोल्टेज तब उत्पन्न होता है जब विद्युत धारा प्रवाहित होती है, जबकि विद्युत वाहक बल (EMF) तब उत्पन्न होता है जब विद्युत धारा प्रवाहित नहीं होती है। जैसा की नीचे दी गई चित्र द्वारा दिखाया गया है

अत: किसी चालक तार मे करेंट उत्पन्न करने के लिए free इलेक्ट्रोन का गति होना जरूरी है और free इलेक्ट्रोन को गति प्रदान करने के लिए वोल्टेज या विभवांतर (potential difference) द्वारा free electron को एक दबाव (pressure) मिलता है जिसे इलेक्ट्रोन को बल की अनुभव होती और गति करने लकती है।

वोल्टेज या विभवांतर किसी free इलेक्ट्रोन को गति कराने के लिए किस तरह कार्य करती है या voltage kya hota hai आप इस निचे दिए गए चित्र की सहायता से समझ सकते हो । आइए इस चित्र वाली उदाहरण से वोल्टेज को समझने की कोशिश करेंगे।

उपर चित्र में दो लड़का दिया गया है जिसमे से एक लड़का माना उच्च विभव ( high potential) है और दूसरी लड़का निम्न विभव (low potential) है और बॉक्स इलेक्ट्रोन है । जिस तरह से चित्र में लड़का एक तरफ से बॉक्स को धक्का मरता है और दूसरी तरफ से लडका बॉक्स को खींचता है ।उसी तरह किसी चालक तार के उच्च विभाव (high potential) और निम्न विभव (low potential) वाली दो बिंदुओं के बीच वोल्टेज , चित्र के दो लड़के की तरह कार्य करती है ।

अर्थात उच्च विभव (high potential) और निम्न विभव ( low potential) के कारण मुक्त इलेक्ट्रोन को एक बिंदु से धक्का मिलती है तो दूसरी बिंदु से मुक्त इलेक्ट्रोन को खिंचाव का अनुभव होती है और इस तरह मुक्त इलेक्ट्रोन गति करने लकती है जिससे करेंट कहा जाता है और इस तरह इलेक्ट्रोन की गति कराने मे voltage या विभवांतर (potential difference) इसी तरह योगदान देती है।

एक बिंदु पर इलेक्ट्रॉन को प्रतिकर्षण या धक्का लगने का कारण:-

जब एक बिंदु पर इलेक्ट्रॉन की संख्या अधिक होती है, तो वे एक दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं। यह प्रतिकर्षण बल मुक्त इलेक्ट्रॉनों को उस बिंदु से दूर धकेलता है।

दूसरी बिंदु पर इलेक्ट्रॉन को आकर्षण या खिंचाव लगने का कारण:-

दूसरी ओर, जब एक बिंदु पर सकारात्मक आवेश होता है, तो यह इलेक्ट्रॉनों को आकर्षित करता है। यह आकर्षण बल मुक्त इलेक्ट्रॉनों को उस बिंदु की ओर खींचता है।

इन दो बलों के संयोजन के कारण, मुक्त इलेक्ट्रॉन एक दिशा में गति करते हैं। इस गति को विद्युत धारा कहा जाता है।

वोल्टेज स्रोत (Voltage source) :-

बैटरी भी एक वोल्टेज स्रोत (voltage source) है। इसके अलावा जनरेटर जो पावर प्लांट मे लगी होती है या जो साधारण उपयोग मे लाने वाली जनरेटर भी एक voltage source है। इस वोल्टेज स्रोत का काम चालक तार मे अवस्थित इलेक्ट्रॉन को गति करवाना होता है जिससे इलेक्ट्रिक करेंट उत्पन्न होती है। Solar cells भी वोल्टेज स्रोत का एक अच्छा उदाहरण है।

हमारे घरों में आने वाली बिजली भी पावर प्लांट मे लगी जनरेटर के voltage source द्वारा उत्पन्न की जाति है।

वोल्टेज इतना महत्वपूर्ण क्यूं है ?

दोस्तो Voltage की वजह से ही आज हमलोग देश को विकसित बनाने में सक्षम हो पाए है। क्यूंकि देश को विकसित बनाने के लिए नई नई टेक्नोलॉजी की आवश्यकता होती है। आज के समय की अधिकतर टेक्नोलॉजी इलेक्ट्रिसिटी से चलती है और इलेक्ट्रिसिटी voltage के बिना संभव नही है।

1 वोल्ट से क्या समझते हो?

किसी इलेक्ट्रिक फील्ड में जब 1 Coulomb चार्ज को एक बिंदु से दूसरे बिंदू तक ले जाने में 1 Joule की कार्य होती है तो इसे 1 volt कहा जाता है। अर्थात 6.24 × 10¹⁸ free electrons को किसी चालक तार के एक बिंदु से दूसरे बिंदू तक ले जाने में 1 Joule ऊर्जा की खपत होती है तो उसे 1 volt कहा जाता है। यानि किसी इलेक्ट्रिक फील्ड मे 6.24 × 10¹⁸ free electrons को किसी चालक तार के एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए 1 volt इलेक्ट्रिक प्रेशर या बल की आवश्यकता होती है।

चुंकि voltage= workdone/ charge इसलिए voltage = 1 Joule/ 1 Coulomb चार्ज = 1 volt

इसे वोल्टेज (voltage) क्यों कहा जाता है? ?

जैसा की हमसब जानते हैं free इलेक्ट्रोन की प्रवाह को इलेक्ट्रिक करेंट कहा जाता है।

free इलेक्ट्रोन की निश्चित दिशा मे प्रवाह या गति का कारण इलेक्ट्रिक दबाव या Pressure है जो potential difference की वजह से बनती है। इसलिए इस electric Pressure को voltage कहा जाता है। चुंकि Electric Pressure = विद्युत दाब= Voltage

Potential kya hai

Potential एक प्रकार की energy होती है जिससे कुछ कार्य किया जा सकता है।

जैसे यदि हम एक बॉल को जमीन से ऊपर की ओर ले जाते हैं तब हमे gravitational force के विरुद्ध बॉल को उठाने में कुछ कार्य करना होगा और यही कार्य बॉल मे potential energy के रूप में संचित होते जायेगी। बॉल को जितना उपर उठाएंगे उतना potential energy बॉल का बढ़ेगा और यदि हम बॉल को छोड़ देंगे तो यह potential energy एक दूसरी प्रकार की kinetic energy मे परिवर्तन हो जायेगी जिससे बॉल नीचे गिरने लगेगा । इस potential energy या kinetic energy को हम विभिन्न प्रकार के कार्य में उपयोग कर सकते हैं।

बांध (dam) की store पानी में भी बहुत अधिक potential energy होती है और जब dam की पानी को छोड़ा जाता है तब यह potential energy एक दूसरी प्रकार की kinetic energy मे बदल जाती है और इस kinetic energy का उपयोग करके dam मे लगी टरबाइन को घुमाया जाता है एवं टरबाइन जनरेटर के साथ जुड़ी होती है। इसलिए टरबाइन घूमती है तो जनरेटर भी घूमती है एवं जिसे बिजली बनती है।

इसी प्रकार आवेश या चार्ज से भी potential energy बनती है और इसी potential energy का उपयोग करके free इलेक्ट्रोन को move कराया जा सकता है।

विभवांतर क्या है या Potential difference kya hai ?

दो बिंदुओं मे स्थित इलेक्ट्रिक चार्ज के बीच कुल energy का अंतर (difference) को ही potential difference कहा जाता है।

अर्थात दो बिंदुओं मे स्थित किसी इलेक्ट्रिक चार्ज की high potential है जबकि दूसरी इलेक्ट्रिक चार्ज में low potential है तो दोनो इलेक्ट्रिक चार्ज के बीच potential मे अंतर होगी। जिसे potential difference या विभवांतर कहा जाता है एवं इसे ही voltage कहा जाता है। इस वोल्टेज या potential difference द्वारा free इलेक्ट्रोन को एक निश्चित दिशा मे move कराया जा सकता है एवं जिससे करेंट उत्पन्न होती है।

(Potential difference) विभवांतर कैसे बनता है या वोल्टेज कैसे बनता है

जैसा की उपर चित्र मे दिखाया गया है । बड़ी बॉल एक उच्च विभव (high potential) की तरह कार्य करती है और जबकि छोटी बॉल निम्न विभव (low potential) की तरह कार्य करती है। उच्च विभव (high potential) वाली बड़ी बॉल के कारण इस छोटी बॉल को उपर तरफ से एक धक्का का अनुभव होगा और निचे तरफ से खिंचाव का अनुभव होगा परिणामस्वरूप निम्न विभव (low potential) वाली छोटी बॉल गति करने लकती है इसी प्रकार नीचे चित्र में दिए गए free इलेक्ट्रोन को भी निम्न विभव (low potential) तरफ से धक्का और उच्च विभव (high potential) तरफ से खिंचाव का अनुभव करती है इसलिए free इलेक्ट्रोन गति करने लकती है।

जैसा की डायग्राम में दिया गया है –

Condition 1 ( Region A , B )

रीजन A मे अत्यधिक इलेक्ट्रोन के कारण रीजन A एक नकारात्मक उच्च विभव क्षेत्र बन जाता है। नकारात्मक उच्च विभव क्षेत्र को हम निम्न विभव ( low potential) क्षेत्र बोल सकते है।इसलिए रीजन A में, इलेक्ट्रॉन एक-दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं। यह अत्यधिक इलेक्ट्रॉन के ऋणात्मक आवेश के कारण होता है। प्रतिकर्षण बल इलेक्ट्रॉनों को एक-दूसरे से दूर धकेलता है।

रीजन B में, इलेक्ट्रॉनों की संख्या कम होती है। इलेक्ट्रॉनों की कम संख्या से रीजन B में सकारात्मक उच्च विभव बनती है । इसलिए, रीजन B एक उच्च विभव क्षेत्र बन जाता है।

चूंकि इलेक्ट्रॉन हमेशा निम्न विभव क्षेत्र से उच्च विभव क्षेत्र की ओर गति करते हैं, इसलिए इलेक्ट्रॉन रीजन A से रीजन B की ओर गति करेंगे।

Condition 2 ( Region C )

मुक्त इलेक्ट्रॉन ऋणात्मक आवेश वाले कण होते हैं। सकारात्मक और ऋणात्मक आवेश एक दूसरे को आकर्षित करते हैं। इसलिए, रीजन C में सकारात्मक आवेश, रीजन B से आने वाले मुक्त इलेक्ट्रॉनों को अपनी ओर खींचता है। इससे मुक्त इलेक्ट्रॉनों को रीजन C की ओर आने के लिए और भी अधिक बल मिल जाता है।

Result

रीजन A और रीजन C मे विभवांतर (potential difference) बनने के कारण उनके बीच एक वोल्टेज बनेगी जो इलेक्ट्रोन को निम्न विभव (low potential) से उच्च विभव (high potential) की ओर निश्चित दिशा मे गति कराती है जिससे विद्युत धारा बनती है।

              अत: इलेक्ट्रॉन का कंडक्टर में एक निश्चित दिशा में move होने से करेंट उत्पन्न होती है।

Potential difference बनाना बहुत सरल है। potential difference बनाने के लिए हमको चार्ज के high और low potential बनाना होता है। जैसा की हमसब जान चुके है positive चार्ज हाई potential होती है जबकि नेगेटिव चार्ज low potential होती हैं।

अत: यदि कुछ atom से free इलेक्ट्रॉन को निकालकर उसे किसी एक जगह रखा जाए तो यहां इलेक्ट्रोनो के अत्याधिकता के कारण नेगेटिव चार्ज बनेगी जबकि जिस atom से इलेक्ट्रॉन को निकाला गया वहां इलेक्ट्रॉन की कमी से positive चार्ज बनेगी।

इस तरह नेगेटिव चार्ज low potential और पॉजिटिव चार्ज हाई potential क्षेत्र बनेगी। Low potential और हाई potential से इनके बीच potential difference बनेगी।

पावर प्लांट या पावर स्टेशन में लगी जेनरेटर द्वारा भी वोल्टेज या potential difference उत्पन्न किया जाता है जिससे इलेक्ट्रिक करेंट flow हो सके।

जब मैकेनिकल ऊर्जा द्वारा जेनरेटर के rotor को घुमाया जाता है तब coil के माध्यम से परिवर्तनीय चुंबकीय क्षेत्र की दर के कारण coil मे potential difference उत्पन्न होती है क्यूंकि coil मे अत्यधिक मात्रा में free इलेक्ट्रोन होते है और इस coil में उत्पन्न induce वोल्टेज या potential difference को लगातार बनाए रखने के लिए जेनरेटर के rotor को लगातार मैकेनिकल ऊर्जा द्वारा घुमाया जाता है।

इस वोल्टेज के कारण इलेक्ट्रॉन flow होना शुरू होती है और यह alternating होता है एवं इससे alternating इलेक्ट्रिक करेंट उत्पन्न होती है जिसे AC line कहा जाता है।

बैटरी में भी potential difference को उत्पन्न कराया जाता है।
बैटरी में केमिकल रिएक्शन द्वारा इलेक्ट्रॉन को एक जगह व्यवस्थित कर नेगेटिव चार्ज और पॉजिटिव चार्ज बनाया जाता है जिससे potential difference बनती है।

वोल्टेज का सूत्र

वोल्टेज का पहला सूत्र

Voltage की परिभाषा से हम पाते हैं कि जब एक यूनिट coulomb चार्ज को एक बिंदु से दुसरे बिंदु तक ले जाने में किया गया कार्य को वोल्टेज कहा जाता है।

इसलिए , Voltage= किया गया कार्य (W)/ चार्ज (Q)

वोल्टेज का दूसरा सूत्र

चूंकि वोल्टेज potential difference से बनती है ।

इसलिए , voltage= potential difference

Voltage = high potential – low potential

Voltage = Change in Potential Energy/charge

वोल्टेज का तीसरा सूत्र

यदि एक चालक तार से जब 1एम्पीयर का विद्युत करेंट 1 watt का पावर की खपत करती है तो यह वोल्टेज के समान होती है।

इसलिए, Voltage= power/current

V= P/I

P= VI

I= P/V

वोल्टेज का चौथा सूत्र

ओम के नियम अनुसार यदि किसी चालक तार की प्रतिरोध R हैं एवं बहने वाली करेंट ‘ I’ हो तो इस चालक तार की वोल्टेज प्रतिरोध ‘ R ‘ एवं करेंट ‘ I ‘ की गुणन के समान होगी।

इसलिए, Voltage= current × resistance

V= IR

R= V/I

I= V/R

वोल्टेज की मापन

वोल्टेज को मापने वाले यंत्र बाजार में बहुत सारे उपलब्ध है। आपको हाई range या low range वोल्टेज को मापना है। वोल्टेज range के अनुसार ही आप वोल्टेज मापन यंत्र को ले।

वैसे वोल्टेज को मापने के लिए वोल्टमीटर का उपयोग अधिकतर किया जाता है। voltmeter दो शब्द से मिलकर बनी हुई है volt और meter । वोल्टमीट भी उनकी बनावट की आधार पर बहुत सी प्रकार की होती है। जैसे Analog Voltmeter, digital voltmeter, मूविंग आयरन वोल्टमीटर, परमानेंट मैग्नेट मूविंग coil वोल्टमीटर, रेक्टिफायर वोल्टमीटर, इलेक्ट्रो डायनामोमीटर वोल्टमीटर इत्यादि।

analog वोल्टमीटर का उपयोग AC वोल्टेज को मापने के लिए उपयोग किया जाता है। आज कल अधिकतर डिजिटल वोल्टमीटर का उपयोग किया जा रहा है यह AC वोल्टेज और DC वोल्टेज दोनो के लिए बाजार में अलग अलग उपलब्ध है। मूविंग आयरन voltmeter से आप DC और AC दोनो प्रकार की वोल्टेज को माप सकते हो।परमानेंट मैग्नेट मूविंग coil वोल्टमीटर का उपयोग DC वोल्टेज के लिए होता है।इलेक्ट्रो डायनामोमीटर वोल्टमीटर को DC और AC दोनो में उपयोग कर सकते हो। रेक्टिफायर वोल्टमीटर को अधिकतर AC के लिए उपयोग किया जाता है ।

इसके अलावा आप multimeter और potentiometer के द्वारा भी आप वोल्टेज को माप सकते हो।

वोल्टेज की SI मात्रक

वोल्टेज की पहली मात्रक

चुंकि वोल्टेज= किया गया कार्य (w)/चार्ज(Q)

इसलिए वोल्टेज का मात्रक = Joule/coulomb

वोल्टेज की दूसरी मात्रक

चुंकि voltage= power/current

इसलिए वोल्टेज का मात्रक = Watt/Ampere

वोल्टेज की तीसरी मात्रक

ओम के नियम अनुसार

चुंकि Voltage= current × resistance

इसलिए वोल्टेज का मात्रक = ampere ohm

अत: वोल्टेज का standard SI unit ‘volt’ होता है जिसे V द्वारा दर्शाया जाता है।

वोल्टेज के छोटे मात्रक

Volt एक base यूनिट है।

  1. 1 मिली volt (mV) = 10-3 volt
  2. 1 माइक्रो volt (µV) =10-6 volt
  3. 1 नेनो volt (nV) = 10-9 volt
  4. 1 पीको volt (pV)=10-12 volt
  5. 1 फैम्टो volt (fV) = 10-15 volt
  6. 1 एटो volt (aV) = 10-18 volt

वोल्टेज के बड़े मात्रक

Volt एक base यूनिट है।

  1. 1 किलो वोल्ट(kV)=103 वोल्ट
  2. 1 मेगा वोल्ट (MV)= 106 वोल्ट
  3. 1 गीगा वोल्ट(GV) = 109 वोल्ट
  4. 1 टेरा वोल्ट (TV)= 1012 वोल्ट
  5. 1 पेटा वोल्ट (PV)= 1015 वोल्ट
  6. 1 एक्जा वोल्ट(EV) = 1018 वोल्ट

Volt को मिली volt में बदलना

Volt को मिली volt मे बदलने के लिए 1000 से गुना करना होता है क्यूंकि बड़ी मात्रक को छोटी मात्रक में बदलने के लिए गुणा करना होता है जैसे –

1 volt = 1 × 1000 mV= 1000mV

6 volt =6 × 1000 mV = 5000 mV

मिली volt को volt में बदलना

मिली volt को volt मे बदलने के लिए 1000 से भागा करना होता है क्यूंकि छोटी मात्रक को बड़ी मात्रक में बदलने के लिए भागा करना होता है

5000 mV= 5000/1000 volt = 5 volt

Volt को किलो volt में बदलना

Volt को किलो volt मे बदलने के लिए 1000 से भाग करना होता है क्यूंकि छोटी मात्रक को बड़ी मात्रक में बदलने के लिए भाग करना होता है जैसे –

1000 volt =1000/1000 kV=1kV

6000 volt= 6000/1000 kV = 6 kV

वोल्टेज कितने प्रकार के होते हैं

वोल्टेज को हम दो प्रकार में बांट सकते हैं

  1. Alternating current voltage
  2. Direct current voltage

AC voltage kya hai

इस प्रकार की वोल्टेज की polarity बदलती रहती है इसलिए इससे बनने वाले करेंट की दिशा भी बदलती रहती है।

Alternating current voltage की polarity हमेशा बदलती है इसलिए इस प्रकार की वोल्टेज को किसी सर्किट में धनात्मक(+) चिन्ह और ऋणात्मक चिन्ह(–) से नही दर्शाया जाता है बल्कि यह phase और न्यूट्रल द्वारा दर्शाया जाता है।

Voltage के phase की प्रकार

  1. Single Phase voltage
  2. Three Phase voltage

Single Phase voltage

Single Phase मे एक phase wire या एक (मुख्य) main wire के साथ एक न्यूट्रल wire होती है जिसमे 220 volt आती है। 220 वोल्टेज के लिए केवल दो wire की जरूरत होती है एक main wire दूसरा न्यूट्रल wire होती है।

Single Phase का उपयोग घरों में किया जाता है।

Three Phase voltage

Three Phase मे 3 phase wire या 3 मुख्य (main) wire के साथ एक न्यूट्रल wire होती है जिससे हमे 440 वोल्टेज की बिजली मिलती है।
Three Phase मे चार wire की जरूरत होती है। 3 main wire या phase wire और एक न्यूट्रल wire होती है।

इसका उपयोग three Phase motor आदि सभी को चलाने के लिए होता है।

DC voltage kya hai

इस प्रकार की वोल्टेज की polarity नही बदलती है जिससे करेंट की दिशा भी नहीं बदलती है यानी fixed होती है। Direct current voltage की polarity को धनात्मक(+) चिन्ह और ऋणात्मक चिन्ह(–) से दर्शाया जाता है।

Voltage के range classifications

Low voltage – 250 volt के अंदर वाली वोल्टेज को low voltage कहा जाता है।

Medium voltage – 250 volt से 650 volt वाली वोल्टेज मीडियम voltage कहा जाता है।

High voltage –650 volt से 33 kv के बीच वाली वोल्टेज को हाई वोल्टेज कहा जाता है।

Extra high voltage – 33 kV से उपर वाली वोल्टेज को extra high voltage कहा जाता है।

वोल्टेज को कैसे बढ़ाया जाता है और वोल्टेज को कैसे घटाया जाता है?

वोल्टेज को बढ़ाने के लिए हमे step up transformer की जरूरत होती है।

Step up transformer low voltage को हाई वोल्टेज मे बदल सकता है।

Voltage को घटाने के लिए step down transformer की जरूरत होती है।

Step down transformer हाई voltage को low वोल्टेज में बदल सकता है ।

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