विद्युत का प्रतिरोध किन कारक पर निर्भर करता है,विद्युत प्रतिरोध का नियम के प्रकार, ओम का प्रतिरोध नियम आदि का विस्तारपूर्वक जानकारी इस आर्टिकल में दिया गया है।
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विद्युत प्रतिरोध के नियम किन किन कारक पर निर्भर करती है और उनके प्रकार, ओम का प्रतिरोध नियम इलेक्ट्रिकल या इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में बहुत ही महत्वपूर्ण नियम है इसके बिना हम इस क्षेत्र की कल्पना भी नही कर सकते । अगर प्रतिरोध के नियम का बुनियादी जानकारी नहीं है तो इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में आगे जा पना बहुत ही मुश्किल होगा। इसलिए प्रतिरोध का नियम को बारीकी से समझना बहुत जरूरी है।
आइए इसके बुनियादी बातें समझने की कोशिश करेंगे।
विद्युत प्रतिरोध का नियम क्या है ? या ओम का विद्युत प्रतिरोध नियम क्या है ?
विद्युत प्रतिरोध का नियम एक भौतिक नियम है जिसे ओम का नियम भी कहा जाता है जो यह बताता है की किसी चालक में प्रवाहित विद्युत धारा ( electric current , i ) उस चालक के सीरो के बीच बने विभवांतर ( potential difference , V ) या वोल्टेज ( voltage) के समानुपाती होती है, यदि ताप स्थिर हो तो।
अर्थात , Electric current ( i ) ∝ (V) potential difference
इसलिए I = V / R
जहाँ: I = विद्युत धारा (एम्पीयर) , V = विभवांतर (वोल्ट) , R = प्रतिरोध (ओम)
अर्थात प्रतिरोध का नियम से हम यह समझ सकते हैं कि विद्युत धारा ( current) को बढ़ाने पर विभवांतर या वोल्टेज भी बढ़ेगी लेकिन प्रतिरोध घटेगी जबकि प्रतिरोध बढ़ाने पर विद्युत धारा ( current) घटेगी ।
प्रतिरोध का नियम हमे विद्युत प्रतिरोध का विद्युत धारा ( current) और वोल्टेज के बीच संबंध द्वारा यह बताती है की प्रतिरोध चालक की वह गुण होती है जिससे विद्युत धारा की प्रवाह मे बाधा उत्पन्न होती है।
किन कारको पर विद्युत धारा का प्रतिरोध निर्भर करता है?
जिन कारक की वजह से विद्युत का प्रतिरोध प्रभावित होता है उनसे विद्युत प्रतिरोध के नियम बनाया गया है।
मुख्यत: 4 कारक पर विद्युत प्रतिरोध निर्भर करती है।
ये कारक निम्नलखित है-
1.चालक की लम्बाई ( L )
2.चालक का अनुप्रस्थ काट ( क्रॉस सेक्शन क्षेत्र) ( A )
3. चालक की प्रकृति
4. चालक की तापमान ( T )
विद्युत प्रतिरोध के कितने नियम होते हैं एवं प्रतिरोध जिन कारको पर निर्भर करता है उनसे कैसे विद्युत प्रतिरोध के नियम बना?
विद्युत प्रतिरोध का पहला नियम
पहला कारक चालक की लम्बाई ( L ) है जिसपर विद्युत प्रतिरोध निर्भर करता है
किसी चालक का विद्युत प्रतिरोध चालक की लंबाई के सीधे आनुपातिक होता है।
प्रथम नियमानुसार ,
R ∝ L — समी. (1)
जहां चालक का प्रतिरोध = R
एवं चालक की लम्बाई = L
अथार्थ चालक की लम्बाई बढ़ाने पर प्रतिरोध भी बढ़ेगी , दूसरी ओर चालक की लम्बाई घटाने पर चालक की प्रतिरोध भी घटेगी
चालक की लम्बाई बढ़ाने पर इलेक्ट्रॉन द्वारा तय की गई दूरी भी बढ़ेगी और यदि इलेक्ट्रॉन जितनी अधिक दूरी तय करेगी उतनी ही ज्यादा बार टकराते हैं। इन टक्करों से इलेक्ट्रॉनों की गतिज ऊर्जा का कुछ हिस्सा ऊष्मा के रूप में नष्ट हो जाती है। जिससे उनकी गति में धीरे धीरे कमी होने लकती है अत: विद्युत धारा भी कम होने लगती है अथार्थ विद्युत प्रतिरोध बढ़ेगी । ये पहला विद्युत प्रतिरोध का नियम है।
विद्युत प्रतिरोध का दूसरा नियम
दूसरा कारक चालक का अनुप्रस्थ काट ( क्रॉस सेक्शन क्षेत्र) है जिसपर विद्युत प्रतिरोध निर्भर करता है
किसी चालक का विद्युत प्रतिरोध चालक के अनुप्रस्थ काट( क्रॉस सेक्शन )के क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
नियमानुसार ,
R ∝ 1/A — समी.(2)
जहां , विद्युत प्रतिरोध = R
एवं क्रॉस सेक्शन क्षेत्र = A
अर्थात इस नियमानुसार चालक के क्रॉस सेक्शन क्षेत्र को बढ़ाने पर प्रतिरोध घटेगी और चालक के क्रॉस सेक्शन क्षेत्र को घटाने पर प्रतिरोध बढ़ेगी।
विद्युत धारा प्रति इकाई समय में चालक के क्रॉस सेक्शन क्षेत्र से गुजरने वाले इलेक्ट्रॉन कि संख्या पर निर्भर करती है ।
अत: अगर चालक का क्रॉस सेक्शन क्षेत्र बड़ा है तो प्रति इकाई समय में उस चालक के क्रॉस सेक्शन क्षेत्र से ज्यादा इलेक्ट्रॉन गुजरेंगे तो ज्यादा विद्युत धारा प्रवाहित होगी । इसलिए विद्युत प्रतिरोध घटेगा । यह मानते हुए कि चालक का पदार्थ और तापमान एक समान हैं।
दूसरी और अगर चालक का क्रॉस सेक्शन क्षेत्र छोटा है तो कम इलेक्ट्रॉन उस चालक के क्रॉस सेक्शन क्षेत्र से गुजरेंगे तो कम विद्युत धारा प्रवाहित होगी। इसलिए विद्युत प्रतिरोध बढ़ेगा। ये दूसरा विद्युत प्रतिरोध का नियम है।
विद्युत प्रतिरोध का तीसरा नियम
तीसरा कारक चालक की प्रकृति है जिसपर विद्युत प्रतिरोध निर्भर करता है
किसी चालक का विद्युत प्रतिरोध उस पदार्थ की प्रतिरोधकता के सीधे आनुपातिक होता है जिसके द्वारा विद्युत चालक बनाया जाता है।
नियमानुसार,
R ∝ ρ — समी.(3)
जहां , प्रतिरोध = R
एवं पदार्थ कि प्रतिरोधकता = (ρ)
या इसे प्रतिरोध का गुणांक या चालक के विशिष्ट प्रतिरोध के रूप में भी जाना जाता है
किसी चालक की प्रतिरोधकता उनकी बनावट के उपर निर्भर करती है। किसी चालक या पदार्थ की मुक्त इलेक्ट्रॉन की संख्या , उनके बीच के बंधन और उनकी भौतिक संरचना के कारक पर किसी चालक की प्रतिरोधकता निर्भर करती है।
अगर किसी चालक की प्रतिरोधकता ज्यादा है तो उनकी प्रतिरोध भी ज्यादा होगी। ये तीसरा विद्युत प्रतिरोध का नियम है।
विद्युत प्रतिरोध का चौथा नियम
चौथा कारक चालक की तापमान ( T ) है जिसपर विद्युत प्रतिरोध निर्भर करता है
चालक की तापमान पर भी विद्युत प्रतिरोध निर्भर करती है।
अत: अगर चालक की तापमान बढ़ेगी तो प्रतिरोध भी बढ़ेगी।
ऐसा इसलिए क्योंकि अगर किसी चालक या पदार्थ की तापमान को बढ़ाया जाता है तो इलेक्ट्रॉन के बीच काफी ज्यादा कम्पन पैदा होती है जिस कारण से इलेक्ट्रॉन को एक जगह से दूसरी जगह जाने में बाधा उत्पन्न होती है। इसके फलस्वरूप विद्युत धारा में कमी होने लगती है और प्रतिरोध बढ़ने लगती है।
चूंकि R ∝ L — समी. (1)
R ∝ 1/A — समी.(2)
R ∝ ρ — समी.(3)
समीकरण (1), (2) & (3) द्वारा –
R ∝ L/A
i.e. R= ρL/A
पहले, दूसरे और तीसरे नियम के अनुसार किसी विद्युत चालक का प्रतिरोध R ∝ L/A . के रूप में दिया जा सकता है
इस नियमानुसार यदि लंबाई को बढ़ाया जाए तो प्रतिरोध भी बढ़ेगी और यदि क्रॉस सेक्शन क्षेत्र को बढ़ाया जाए तो प्रतिरोध घटेगी।
ओम का नियम के कुछ सीमाएं होती है इसको आपको जानना बहुत जरूरी है।