What is Electricity in hindi, electricity kya hai |बिजली क्या है प्रत्यावर्ती धारा AC (Alternating current ) क्या है ?एकदिश धारा या दिष्ट धारा DC(direct current) क्या है ? बिजली क्या है ? Electricity kya hai , charge kya hai , free इलेक्ट्रोन क्या है, आदि का विस्तारपूर्वक वर्णन इस आर्टिकल में किया गया है।
Table of Contents
Electricity का meaning क्या है ?
Electricity शब्द का उपयोग बहुत व्यापक है। जैसे – घर का बिजली को अंग्रेजी में Electricity कहा जाता है , आकाशीय बिजली को अंग्रेजी में lightning,lighting कहा जाता है लेकिन घर का बिजली को को current electricity कह सकते हैं जबकि आकाशीय बिजली को static electricity का discharge कह सकते हैं। Current electricity और static electricity दोनो ही electricity का प्रकार (types ) है।
Electricity = बिजली या विद्युत ।
Electricity = विद्युत आवेश या इलेक्ट्रिक चार्ज।
Electricity = स्थिर विद्युत आवेश (charge)
Electricity = गतिशील विद्युत आवेश (charge)
अत : electricity का meaning विद्युत आवेश या electric charge से होने वाली phenomenon कह सकते हैं।
Electricity का definition क्या है ?
बिजली ( electricity) ऊर्जा का ही एक रुप है जो आवेशित कणो के गति से प्राप्त होती हैं एवं जिसका उपयोग प्रकाश, ताप और मशीनों को चलाने के लिए किया जाता है विद्युत या बिजली (electricity) कहा जाता है।
What is Electricity in hindi या electricity kya hai
आवेशित कण की प्रवाह ( Flow) ही बिजली ( electricity) कहलाता है । बिजली ( electricity) एक प्रकार की विद्युतीय ऊर्जा है जो आवेशित कण जैसे मुक्त इलेक्ट्रॉन ( free electron) के गति करने से प्राप्त होती हैं। इस प्रकार की ऊर्जा का उपयोग कारखाने , घरो को रोशनी करने और मनुष्य अपनी बहुत सारी कार्य को करने के लिए करता है।
बिजली का उत्पादन या विद्युतीय ऊर्जा का उत्पादन ऊर्जा का ही अन्य रूप जैसे यांत्रिक ऊर्जा, तापीय ऊर्जा, भाप ऊर्जा को ही परिवर्तित करके किया जाता है।
बिजली ( electricity) दो प्रकार की होती है स्थिर विद्युत (Static electricity) और गतिशील विद्युत ( current electricity) ।
दो वस्तुओं के आपस में रगड़ने, आकाशीय बिजली (Lightning) आदि प्रकृति मे घटित होने वाली कुछ घटना जो बिजली ( electricity) से संबंधित है।
बिजली या electricity , ऊर्जा का ही एक रूप है। इस ऊर्जा का उपयोग हमलोग अपने दैनिक जीवन में बहुतायत मात्रा में करते हैं। आइए यह ऊर्जा क्या है, कैसे बनती है , कहां से आती है , इसकी बुनियादी को जानने की कोशिश करेंगे।
आइए सबसे पहले परमाणुओं की संरचना को देखेंगे।
एक परमाणु में, इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर कक्षाओं में घूमते रहते हैं। नाभिक में प्रोटॉन और न्यूट्रॉन होते हैं। प्रोटॉन में एक धनात्मक आवेश होता है, जबकि इलेक्ट्रॉन में एक ऋणात्मक आवेश होता है। एक परमाणु में इलेक्ट्रॉनों की संख्या प्रोटॉनों की संख्या के बराबर होती है, इसलिए परमाणु तटस्थ (Neutral) होता है यानी इसमे कोई आवेश (charge) नही होती।
यदि किसी परमाणु से एक इलेक्ट्रॉन को हटा दिया जाए, तो परमाणु में इलेक्ट्रॉनों की संख्या प्रोटॉनों की संख्या से एक कम हो जाती है। इससे परमाणु में धनात्मक आवेश ( positive charge) उत्पन्न होता है। इस परमाणु को धनायन कहा जाता है।
यदि किसी परमाणु में एक इलेक्ट्रॉन जोड़ा जाए, तो परमाणु में इलेक्ट्रॉनों की संख्या प्रोटॉनों की संख्या से एक अधिक हो जाती है। इससे परमाणु में ऋणात्मक आवेश ( negative charge) उत्पन्न होती है।
यही ऋणात्मक आवेश (Negative charge)और धनात्मक आवेश(positive charge) दो अलग अलग प्रकृति की विद्युत क्षेत्र (electric field) उत्पन्न करती हैं।
यदि धनात्मक या ऋणात्मक आवेशित कण जैसे मुक्त इलेक्ट्रॉन ( free electron) गति करती है तो विद्युतिय क्षेत्र (electric field) और चुंबकीय क्षेत्र (magnetic field) उत्पन्न करती है और यही विद्युतिय क्षेत्र (electric field) और चुंबकीय क्षेत्र (magnetic field) एक स्थितिज ऊर्जा ( potential energy) स्रोत की तरह कार्य करती है।
जब किसी चालक मे उपस्थित मुक्त इलेक्ट्रॉन (free electron ) को स्थितिज ऊर्जा ( potential energy) स्रोत द्वारा एक निश्चित दिशा मे प्रवाहित किया जाए तो गतिशील मुक्त इलेक्ट्रॉन मे स्थितिज ऊर्जा ( potential energy) और गतीज ऊर्जा (kinetic energy) होती है और इस मुक्त इलेक्ट्रॉन (free electron ) की गतीज ऊर्जा (kinetic energy) बहुत ही अधिक होती है जिसका उपयोग हम अपने दैनिक जीवन में लाइट को जलाने या मशीनों को चलाने के लिए करते हैं जिसे हम electricity (बिजली) या विद्युत ऊर्जा ( electrical energy) भी कहते हैं।
सरल शब्दों में समझे –
जब किसी चालक में उपस्थित मुक्त इलेक्ट्रॉन (free electron) को जब एक निश्चित दिशा में प्रवाहित (flow) किया जाता है तब विद्युत धारा (electric current) उत्पन्न होती है और इस विद्युत धारा (electric current) का उपयोग हम अपने दैनिक जीवन में करते हैं जिसे बिजली या Electricity कहा जाता है।
बिजली (electricity ) का सारा खेल इलेक्ट्रॉन की निश्चित दिशा मे गति से संबंधित है।
Electricity का History संक्षेप मे
दोस्तो Electricity का इतिहास ( History ) को संक्षेप मे देखने की प्रयास करेंगे । Electricity की इतिहास में हमलोग केवल Electricity की खोज और पहली बार घरों में कब उपयोग मे लाया गया। इसी की चर्चा हम करेंगे।
बिजली (Electricity) की खोज किसने किया है ?
Electricity या बिजली की खोज में बहुत सी विज्ञानिको की अहम भूमिका है। लेकिन Electricity की खोज का श्रेय (Credit ) Benjamin Franklin scientists को दिया जाता है जो सन् 1752 मे हुई थी।
इसके बाद धीरे धीरे कई विज्ञानिको ने electricity पर प्रयोग और काम करना शुरू कर दिया । Electricity का पहला application सन् 1831 मे Michael Faraday द्वारा dynamo का आविष्कार किया गया था। उसके बाद light bulb का आविष्कार सन् 1878 मे Thomas Edison द्वारा किया गया था।
Nikola Tesla द्वारा Alternating current (AC) का आविष्कार किया गया था।
बिजली ( Electricity) का इस्तेमाल घरों में पहली बार कब हुआ था ?
19 वीं शताब्दी के अंत में पहली बार बिजली को लोगो के घरों में पहुंचाया गया था और दुनिया का पहला electricity street lights को लंदन में सन् 1878 मे बनाया गया था।
Electricity की बुनियाद या Basic Factor
- Atomic structure
- Electron , proton
- Free electron
- Electric charge
- Potential difference
Electricity की बुनियादी components
electricity की तीन बुनयादी components होती है –
Electrical basic Theory मे क्या क्या विषय आती है ?
Electrical Theory मे आने वाली विषय –
- Current Electricity – atomic structure, free electron , Electric charge , electric current (I) , resistance & ohm’s law
- Electrostatics & capacitance – Statics Electric charge , Coulomb’s law , electric field (विद्युत क्षेत्र ) & Potential difference (V) विभवांतर , Capacitor
- Magnetism & Electromagnetism – electromagnetic induction
- AC & DC current fundamental
विद्युत क्या है , electricity क्या है, AC current और DC current आदि को समझने के लिए सबसे पहले आपको atom की बुनियादी बातों को समझना जरूरी है। क्यूंकि atom के बीना electricity संभव नहीं है । आइए सबसे पहले उसे विस्तारपूर्वक जन ले।
Atomic structure को देखे आधुनिक science के आधार पर
Electricity, electric current को समझने के लिए सबसे पहले atomic structure, free electron और charge की बुनियादी को समझना होगा।
Atom क्या है छोटी सी intro से समझे
Atom जिसे हम परमाणु कहते हैं किसी भी पदार्थ की सबसे छोटी संरचनात्मक कण होती है और ये इतनी छोटी होती है की इसे हम अपनी नंगी आंखों से देख नही सकते। बहुत सारी atom से मिलकर एक पदार्थ की निर्माण होती है
पूरी universe मे अवस्थित सारी वस्तुएं atom से ही मिलकर बनी होती है।
Atom तीन मूलभूत कण Electron,proton और neutron से मिलकर बनी होती है । प्रोटोन और न्यूट्रॉन atom के न्यूक्लियस मे एक साथ होते हैं जबकि इलेक्ट्रॉन अपनी अपनी shell या subshell मे न्यूक्लियस का चक्कर लगाती है।
1.Electron –इलेक्ट्रॉन में negative चार्ज क्यूं होती है ?
इलेक्ट्रॉन तीन Leptons चार्ज से मिलकर बनी होती है ये है electron Neutrino, Tauon Neutrino, muon Neutrino । इलेक्ट्रॉन के ये तीन मूलभूत कण इलेक्ट्रॉन को negative charge बनाती हैं।
इलेक्ट्रॉन leptons से बनी होती हैं और केंद्र में अवस्थित प्रोटॉन और न्यूट्रॉन quarks से बनी होती है।
2.Proton –Proton मे positive चार्ज क्यूं होती है ?
प्रोटॉन दो up quark और एक down quark से मिलकर बनी होती है ।
एक up quark मे +2/3 का चार्ज रहता है और एक down quark मे -1/3 का चार्ज रहता है।
अर्थात प्रोटॉन में कुल चार्ज q= 2 up quark+1down quark ।
अगर आप 2 up quark और 1down quark को जोड़ेंगे तो यह positive संख्या या positive चार्ज में आती है इसलिए प्रोटॉन को positive charge बोला जाता है।
3.Neutron – Neutron मे कोई भी चार्ज क्यूं नहीं होती है?
न्यूट्रॉन में दो down quark और एक up quark से मिलकर बनी होती है ।एक up quark मे +2/3 का चार्ज रहता है और एक down quark मे -1/3 का चार्ज रहता है।अर्थात न्यूट्रॉन में कुल चार्ज q= 1up quark+2down quarkअगर हम दो down quark और एक up quark को जोड़ेंगे तो यह शुन्य (0)आती है। इसलिए न्यूट्रॉन का कोई charge नही होता है।
Free इलेक्ट्रोन क्या है ?
प्रोटॉन और न्यूट्रॉन atom के केंद्र या nucleus मे होती है। जबकि इलेक्ट्रॉन केंद्र में स्थित प्रोटॉन और न्यूट्रॉन का चक्कर लगाती है। किसी भी atom में इलेक्ट्रॉन एक या एक से अधिक हो सकती है इसलिए इलेक्ट्रॉन अपनी अपनी कक्षा (shell) बना कर चक्कर लगाती है।
अगर किसी atom मे ज्यादा इलेक्ट्रॉन है तो उनकी कक्षा या shell भी ज्यादा होगी। atom के केंद्र के नजदीक वाली shell की इलेक्ट्रॉन में low energy होती है इसलिए atom के केंद्र से अधिक bound रहती है जबकि outer shell वाली इलेक्ट्रॉन में हाई एनर्जी होती है इसलिए atom के केंद्र से बहुत ही कम bound रहती है।
Outer shell वाली इलेक्ट्रॉन atom की केद्र के साथ कम bound होने के कारण ही outer shell वाली इलेक्ट्रॉन एक atom से दूसरी atom मे जा सकती है।
यदि किसी atom के outer shell मे 4 इलेक्ट्रॉन से कम हो तो यह atom अपने outer shell के इलेक्ट्रॉन दूसरे atom को आसानी से दे सकता है इसलिए इसे free electron भी कहा जाता है । इस free electron के कारण ही electricity उत्पन्न होती है और इस free इलेक्ट्रॉन से ही इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रोनिक्स इंजीनियरिंग की शुरुवात होती है। Outer shell वाली इलेक्ट्रॉन को valence electrons भी कहा जाता है।
अगर किसी पदार्थ के atom के outer shell मे केवल 4 इलेक्ट्रॉन हो तो यह semi conductor बनती है।
अगर किसी पदार्थ के atom के outer shell मे 4 इलेक्ट्रॉन से कम हो तो यह एक अच्छा चालक (good conductor ) होता है क्यूंकि इस पदार्थ के atom के energy band का valence band और conduction band एक दुसरे मे overlap होती है जिसके कारण कुछ इलेक्ट्रॉन free हो जाती है इसलिए इसे free electron कहा जाता है जो दूसरे atom मे आसानी से जा सकती है यानी इलेक्ट्रॉन गति कर सकते है जिसके फलस्वरुप इलेक्ट्रिक current प्रवाहित हो सकती है जिसे हम electricity भी कहते हैं और इस प्रकार के पदार्थ को metal भी कहा जाता है।
अगर किसी पदार्थ के atom के outer shell मे 4 इलेक्ट्रॉन से ज्यादा हो तो तब यह खराब चालक होती है क्यूंकि यह अपने outer shell के इलेक्ट्रॉन दूसरे atom को नही दे सकता है क्यूंकि इसमें valence band और conduction band एक दूसरे में overlap नही होती है इसलिए ये केवल इलेक्ट्रॉन ले सकता है इसलिए इसे non metal भी कहा जाता है।
charge kya hai
आवेश किसी भी पदार्थ का वह गुण है जिसके फलस्वरुप पदार्थ में चुम्बकीय क्षेत्र (magnetic field) और विद्युत क्षेत्र (electric field) उत्पन्न होती है जिसे आवेश कहा जाता है।
वास्तव में किसी भी पदार्थ में जो चुम्बकीय क्षेत्र (magnetic field) और इलेक्ट्रिक क्षेत्र (electric field) उत्पन्न होने का कारण या electric charge बनने का कारण पदार्थ के atom मे इलेक्ट्रॉन की कमी और अधिकता से होती है।
charge कैसे बनती है ?
जैसा की हमसब जानते हैं दुनिया की सारी पदार्थ atom से बनी होती है इसलिए आवेश की गुण atom मे ही होती है। इसलिए atom मे अवस्थित इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन को समझने की कोशिश करेंगे।
वैसे साधारण कोई भी atom न्यूट्रोल होती है यानी atom आवेशित (charge) नहीं होती है और यह atom मे समान मात्रा में उपस्थित प्रोटॉन और इलेक्ट्रॉन के कारण न्यूट्रोल यानी आवेश(charge) नही होती है।
यदि किसी atom से free इलेक्ट्रॉन को हटाया जाए तो यह धनात्मक आवेश (positive charge) बनती है और यदि किसी atom से free इलेक्ट्रॉन को डाला जाए तो यह ऋणात्मक आवेश (Negative charge) बनती हैं।
आइए एक उदाहरण से समझते है। एक कंघी (हेयर स्टाइलिंग टूल) को यदि हम अपने बालो में रगड़ते हैं तो कंघी और बाल घर्षण होने के कारण दोनो पदार्थ के atom मे तापमान थोड़ी बढ़ जाती है जिसके परिणामस्वरूप दोनो पदार्थ के atom की valence band की इलेक्ट्रॉन को थोड़ी ऊर्जा मिल जाती है और इस बढ़ी ऊर्जा के कारण इलेक्ट्रॉन valence band से move होके conduction band मे चल जाती है एवं इस band में आने के बाद इलेक्ट्रॉन दूसरे atom मे transfer हो सकती है। इस तरह दोनो पदार्थों में इलेक्ट्रोन के आदान प्रदान से दोनो पदार्थों में अलग अलग प्रकृति की विद्युत आवेश ( electric charge) बनती है।
charge कितने टाइप के होते है ?
आवेश दो प्रकार के होते हैं
- धनात्मक आवेश (Positive change)
- ऋणात्मक आवेश (Negative charge)
Charge कोन सी quantity है ?
आवेश एक सदिश राशि है। आवेश की अपनी निश्चित परिमाण और निश्चित दिशा होती है इसलिए आवेश सदिश राशि (vector quantity) है।
Electric चार्ज क्या है ?
कोई भी आवेश (chatge) वास्तव मे विद्युत आवेश(electric charge) ही होती है क्यूंकि कोई भी आवेश(charge) में विद्युत क्षेत्र(electric field) और चुंबकीय क्षेत्र (magnetic field) उत्पन्न होती हैं तो आवेश एक विद्युत क्षेत्र का स्रोत जैसा है इसलिए विद्युत आवेश या electric charge कहा जाता है।
Electric चार्ज की गुण (property)
विद्युत आवेश में आकर्षण और प्रतिकर्षण का गुण होता है। इसमे विद्युत क्षेत्र(electric field),चुंबकीय क्षेत्र(magnetic field )और इलेक्ट्रिक बल होती है।
एक समान आवेश एक दूसरे को प्रतिकर्षण करते हैं और असमान आवेश एक दूसरे को आकर्षण करते हैं।
चार्ज को एक मेटल से दूसरे मेटल में स्थानांतरण कर सकते है
विद्युत ऊर्जा (Electric energy) क्या है ?
यहां हम विद्युत ऊर्जा की परिभाषा से हटकर जानने की कोशिश करेंगे।
वास्तव मे विद्युत ऊर्जा विद्युत आवेश या इलेक्ट्रिक चार्ज के potential ऊर्जा और kinetic ऊर्जा को ही विद्युत ऊर्जा कहा जाता है ।
Potential energy और kinetic energy के कारण ही Electricity संभव हो पाई है।इसलिए electricity को विद्युत ऊर्जा कहा जाता है। विद्युत ऊर्जा की मात्रक किलोवाट घण्टा होती है।
Electricity कितने प्रकार के होते हैं ?
Electricity दो Types के होते हैं –
- स्थिर विद्युत (Static electricity)
- गतिशील विद्युत ( current electricity)
स्थिर विद्युत (Static electricity) क्या है ?
वैसे विद्युत चार्ज जो स्थिर अवस्था में होती है स्थिर विद्युत कहा जाता है।
यदि किसी प्लास्टिक की स्केल (कुचालक पदार्थ ) को अपनी माथा के बाल से कुछ देर के लिए रगड़ते है तो प्लास्टिक की स्केल इलेक्ट्रिक चार्ज हो जाति है जो छोटी छोटी कागज की टुकड़ो को अपनी ओर आकर्षित करती है। इसे ही स्थिर विद्युत (Static electricity) कहा जाता है।
प्लास्टिक की स्केल को बाल से रगड़ने पर स्केल में free electron की अधिकता या कमी के कारण इलेक्ट्रिक चार्ज बनती है ।
गतिशील विद्युत ( current electricity) क्या है ?
वैसे विद्युत चार्ज जो गतिशील हो गतिशील विद्युत या current electricity या जिसे electric current कहा जायेगा।
यदि किसी चालक पदार्थ की बनी स्केल को अपनी माथा के बाल से कुछ देर रगड़ते हैं और चालक पदार्थ की स्केल को कागज की छोटी छोटी टुकड़ा के पास ले जाते है तो हम देखेंगे की कागज की टुकड़ा आकर्षित नहीं होती है ।
इसका मतलब जब चालक स्केल को बाल पर रगड़ते है तो स्केल पर इलेक्ट्रिक चार्ज तो बनती है लेकिन इस इलेक्ट्रिक चार्ज को स्केल तुरंत हमारे हाथो में पहुंचा देती है।स्केल एक चालक पदार्थ से बनी हुई है इसलिए स्केल की इलेक्ट्रिक चार्ज हाथ में आ जाति है क्यूंकि स्केल को हम हाथ से पकड़े हुए हैं। इसलिए चालक पदार्थ की स्केल uncharge हो जाति है जिससे कागज की टुकड़ा आकर्षित नहीं होती है।
अर्थात जब विद्युत चार्ज को किसी चालक में प्रवाहित किया जाता है तो यह विद्युत धारा को उत्पन्न करती है और इसी कार्य सिद्धांत का उपयोग किया जाता है हमारे घरों तक बिजली पहुंचाने के लिए।
हमारे घरों तक बिजली पहुंचाने के लिए एल्यूमीनियम तार का उपयोग किया जाता है जिसे चालक कहा जाता है। इसी चालक की मदद से इलेक्ट्रिक चार्ज को प्रवाहित कराया जाता है जिसके परिणामस्वरूप इलेक्ट्रिक current उत्पन्न होती है। इलेक्ट्रिक पावर प्लांट में लगी जनरेटर (generator) द्वारा अत्यधिक मात्रा में आवेश या चार्ज को उत्पन्न किया जाता है और इसे चालक तार द्वारा परवाहित करवाया जाता है । Electric current परिभाषा अनुसार जब चार्ज या आवेश को चालक में प्रवाहित किया जाता है तो विद्युत धारा (electric current) उत्पन्न होती है।
Or
Free इलेक्ट्रॉन की प्रवाह से विद्युत धारा (electric current) उत्पन्न होती है।
दोस्तो एक बात जो ध्यान रखना अति आवश्यक है की जब Free इलेक्ट्रॉन की प्रवाह की बात की जाती है तो वह इलेक्ट्रिक आवेश या चार्ज की प्रवाह ही होती है यह दोनो एक ही है क्यूंकि इलेक्ट्रॉन में negative चार्ज होती है और free electron इसलिए बार बार बोला जा रहा है क्यूंकि एक atom मे बहुत सारे इलेक्ट्रॉन होते हैं उनमें से free electron ही दूसरी atom मे जा सकती है और इसी तरह free electron किसी दूसरे atom मे जुड़ने से उस atom मे इलेक्ट्रॉन की मात्रा को बढ़ाता है जिससे चार्ज बनती है चूंकि इलेक्ट्रॉन negative चार्ज होती है इसलिए अब ये atom नेगेटिव चार्ज बनेगी।
वास्तव में इलेक्ट्रॉन की गति दिशा ही विद्युत धारा प्रवाह की दिशा होती है। क्यूंकि इलेक्ट्रॉन की गति ही electric current होती है। लेकिन convention current direction मे इसके विपरित माना जाता है।
विद्युत धारा (Electric current) की परिभाषा क्या है?
आवेश के प्रवाह की दर को विद्युत धारा कहते हैं।
यदि किसी चालक के एक छोटे परिच्छेद से आवेश q को पार होने में समय t सेकंड लकता है तो विद्युत धारा ‘I’ निम्न होगी
विद्युत धारा i = q/t
विद्युत धारा(Electric current) कितने प्रकार के होते हैं
विद्युत धारा (Electric current ) दो प्रकार की होती है।
- प्रत्यावर्ती धारा AC (Alternating current )
- एकदिश धारा या दिष्ट धारा DC(direct current)
प्रत्यावर्ती धारा (AC) Alternating current क्या है ?
प्रत्यावर्ती धारा (AC) एक ऐसी विद्युत धारा है जिसकी दिशा हमेशा बदलती रहती है इसलिए इसे प्रत्यावर्ती धारा या alternating current (AC)कहा जाता है।
प्रत्यावर्ती धारा (AC ) 1 सेकंड के बहुत ही छोटे भाग मे अपनी दिशा को बदलती रहती है। भारत में जो प्रत्यावर्ती धारा (AC) प्रदान की जाती है वो 1 सेकंड में 100 बार अपनी दिशा को बदलती है।
आइए उदाहरण द्वारा प्रत्यावर्ती धारा (AC ) को समझते हैं
जैसा की हमसब जानते है किसी भी इलेक्ट्रिकल या इलेक्ट्रोनिक उपकरण को चलाने के लिए कम से कम 2 तार की आवश्यकता है । माना वो तार A और B हैं तो पहली स्थिति (condition) मे विद्युत धारा की दिशा A से B तार की ओर होगी एवं कुछ क्षण पश्चात ही विद्युत धारा की दिशा B से A तार की ओर होगी यानी यह दूसरी स्थिति (condition) है। यह दोनो स्थिति (condition) को मिलाकर प्रत्यावर्ती धारा AC (Alternating current ) कहा जाता हैं क्यूंकि यह विद्युत धारा हमेशा अपनी दिशा को बदल रही है।
विद्युत धारा की पहली स्थिति (condition) को positive cycle बोला जाता है और दूसरी स्थिति (condition) को negative cycle बोला जाता है और इस तरह positive और nagative cycle को मिलाकर एक compelete cycle बनती है जिसे आवृत्ति (frequency ) बोला जाता है और जिसे हम प्रत्यावर्ती धारा AC (Alternating current ) बोलते हैं। भारत में विद्युत धारा के 50hz की frequency होती है यानी 1 सेकेंड मे positive और nagative cycle 50 बार बनती है। Positive और nagative cycle से हम धारा की दिशा को समझ सकते हैं यानी positive cycle मे विद्युत धारा जिस दिशा में बहेगी वही nagative cycle मे धारा उसकी विपरीत दिशा में बहेगी।
प्रत्यावर्ती धारा AC (Alternating current ) स्रोत के तार में Positive (+) और nagative ( – ) का sign या चिह्न नही दिया जाता है क्यूंकि Alternating current में विद्युत की धारा हमेशा बदलती रहती है। इसलिए प्रत्यावर्ती धारा AC (Alternating current ) स्रोत के एक तार को Phase और दूसरी तार को neutral से प्रदर्शित किया जाता है
एकदिश धारा या दिष्ट धारा (DC) Direct current क्या है ?
एकदिश धारा या दिष्ट धारा (DC)मे विद्युत की जो धारा होती है वो एक ही दिशा में हमेशा बहती रहती है। इसलिए एकदिश धारा या दिष्ट धारा (DC) स्रोत के तार में हमेशा Positive (+) और nagative ( – ) का sign या चिह्न दिया जाता है यानी विद्युत धारा Positive (+) से nagative ( – ) की और हमेशा बहेगी।
हमारे घरों के लिए विद्युत या बिजली (Electricity) का उत्पादन कैसे किया जाता है?
हमारे घरों में आने वाली बिजली मुख्यत: थर्मल पॉवर प्लांट, हाइड्रो पॉवर प्लांट (डैम के पानी से), न्यूक्लियर पॉवर प्लांट, पवन ऊर्जा पॉवर प्लांट से आती है और इन सभी पॉवर प्लांट में बिजली उत्पादन करने की कार्य सिद्धांत (working principle) एक जैसे हैं। तो आइए उनकी कार्य सिद्धांत को समझने की कोशिश करेंगे।
थर्मल पॉवर प्लांट, हाइड्रो पॉवर प्लांट (डैम के पानी से), न्यूक्लियर पॉवर प्लांट और पवन ऊर्जा पॉवर प्लांट में एक बहुत बड़ी जेनरेटर (generator) लगी होती है और इस जेनरेटर को पेट्रोल या डीजल से नही चलाया जाता है बल्कि इसे थर्मल पॉवर प्लांट और न्यूक्लियर पॉवर प्लांट में उच्च दाब भाप (high pressure steam) से जेनरेटर की rotor shaft मे लगी टरबाइन को घुमाया जाता है जिससे जेनरेटर भी घूमने लकती है। हाइड्रो पॉवर प्लांट (डैम के पानी से) मे डैम के पानी को हाई pressure के साथ जेनरेटर में लगी टरबाइन को घुमाया जाता है जिससे जेनरेटर भी घूमने लकती है।
जेनरेटर मैकेनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलता है
यदि जेनरेटर घूमती है तो जेनरेटर के अंदर में लगी आर्मेचर या कॉपर coil चालक तार जेनरेटर में लगी permanent magnet के बीच घूमती है तो इस प्रकार कॉपर coil को घुमाकर magnetic force या मैगनेटिक फील्ड के विरुद्ध कार्य करवाया जाता है जिससे कॉपर coil के free electron को potential energy प्राप्त होती है जिसके फलस्वरूप आर्मेचर या कॉपर coil चालक तार में EMF induced होती है यानी चालक तार में potential difference यानी voltage बनती है जिसके परिणाम स्वरूप कॉपर coil चालक तार में उपस्थित free इलेक्ट्रॉन प्रवाह होने लकती है और जैसा की हमलोग पहले ही जान चुके हैं की जब free इलेक्ट्रॉन प्रवाह होती है तो विद्युत धारा (electric current) उत्पन्न होती हैं।
जेनरेटर में अवस्थित magnet से उत्पन्न परिवर्तनीय चुंबकीय flux के कारण जेनरेटर की rotor मे लगी copper चालक की coil के एक सिरो में free इलेक्ट्रॉन की अधिकता और दूसरे सिरो मे free इलेक्ट्रॉन की कमी हो जाति हैं जिससे coil के इन दोनो सीरो के बीच potential difference बनती हैं।इलेक्ट्रॉन की अधिकता से ऋणात्मक आवेश (nagative charge ) बनती है और इलेक्ट्रॉन की कमी से धनात्मक आवेश (positive charge) बनती है और जैसा की हमसब जानते हैं धनात्मक आवेश (positive charge) higher potential होती हैं और ऋणात्मक आवेश (nagative charge ) lower potential बनाती हैं इस तरह higher potential और lower potential के कारण potential difference बनती है इसलिए इलेक्ट्रॉन को lower potential से higher potential की ओर प्रवाह कराती हैं और इलेक्ट्रॉन की प्रवाह से विद्युत धारा उत्पन्न होती है।
इलेक्ट्रॉन lower potential से higher potential की ओर इसलिए प्रवाह होती हैं क्यूंकि positive charge या higher potential के इलेक्ट्रिक फील्ड के विपरीत इलेक्ट्रॉन को एक बल (force) का अनुभव होता है जिससे वह higher potential की ओर प्रवाह होने लकती है।
पावर प्लांट में लगी जेनरेटर में high potential difference यानी 11000 voltage से 33000 voltage के विद्युत धारा को उत्पन्न करके उसे step up ट्रांसफार्मर तक पहुंचाया जाता है और step up ट्रांसफार्मर 11000 वोल्टेज को high voltage जैसे 1,33,000 voltage में परिवर्तीत कर उसे ट्रांसमिशन लाइन और डिस्ट्रीब्यूशन लाइन के ट्रांसफार्मर द्वारा step down करके हमारे घर तक सप्लाई दिया जाता है।
electricity को एक जगह से दूसरी जगह तक पहुंचाने के लिए या इलेक्ट्रिक करेंट को प्रवाहित करने के लिए एक सीरा को high potential और दूसरी सीरा को low potential रखना पड़ता है जिसे potential difference या voltage कहा जाता है तभी electricity को एक जगह से दूसरी जगह तक पहुंचाया जा सकता है।
इस तरह हमारे घरों तक electricity को पहुंचाया जाता है।
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