What is resistance in hindi या pratirodh kya hai , resistance meaning in hindi , resistance defination in hindi,resistivity क्या है ? सम्पूर्ण विस्तारपूर्वक वर्णन इस आर्टिकल मे किया गया है।
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resistance meaning in hindi
resistance = प्रतिरोध, विरोध करना, बाधा डालना, रोक लगाना
अर्थात प्रतिरोध या resistance का अर्थ होता है रोकना , विरोध करना आदि होता है।
resistance definition in hindi
वास्तव मे प्रतिरोध किसी पदार्थ की वैसे गुण होती है जो इलेक्ट्रिक चार्ज को प्रवाहित होने से रोकती है । अर्थात , electric current को flow होने से रोकती है।
What is resistance in hindi ( pratirodh kya hai )
विद्युत प्रतिरोध (resistance) प्रवाहित इलेक्ट्रिक चार्ज को रोकने का काम करती है। विद्युत प्रतिरोध की रोकने की क्षमता अलग अलग होती है।
किसी पदार्थ मे इलेक्ट्रिक चार्ज की प्रवाह (flow) मे उत्पन्न रुकावट की मात्रा (quantity) माप की जाती है और इस मापी गई मात्रा से प्रतिरोध(resistance) की क्षमता का पता चलता है एवं इसे ohms (Ω) unit से मापा जाता है।
अत: प्रतिरोध से यह समझा जा सकता है की यदि किसी पदार्थ मे इलेक्ट्रिक चार्ज की प्रवाह होती है तो चार्ज की प्रवाह में कितनी क्षमता का रुकावट आयेगी और रुकावट की यह क्षमता को
ohms (Ω) से मापा जाता है। जितनी अधिक ohms (Ω) की वैल्यू होगी उतनी अधिक चार्ज को flow होने मे रुकावट आयेगी।
एक ओम प्रतिरोध से क्या समझते हो ?
अगर किसी चालक के दो बिंदुओं के बीच 1 ओम प्रतिरोध(resistance) है तो इसे यदि 1 volt source से जोड़ा जाए तो यह केवल 1 amp करेंट को प्रवाहित होने देगी।
चुंकि V=I/R
इसलिए, वोल्टेज= 1amp/1Ω = 1volt
प्रतिरोध का कारण क्या है ?
दोस्तो पदार्थ पर प्रतिरोध का बहुत सी कारण होती है और यह उपयोग करने वाले पदार्थ और भौतिक परिस्थितियों पर भी निर्भर करती है। जैसे insulator पदार्थ , resistor, साधारण उपयोग होने वाली तार(wire) और उनकी तापमान , दाब भी प्रतिरोध का कारण बनती है।
प्रतिरोध बहुत सी कारक पर निर्भर क्यूं करती है ?
चुंकि प्रतिरोध , free electron की प्रवाह या करेंट की व्युत्क्रमानुपाती ( inversely proportional ) होती है।
इसलिए यदि free इलेक्ट्रॉन की प्रवाह प्रभावित होती है तो प्रतिरोध भी प्रभावित होगी।
free इलेक्ट्रॉन की प्रवाह को बहुत सी कारक प्रभावित करती है। इसलिए प्रतिरोध भी बहुत सी कारक पर निर्भर करती है। क्यूंकि दोनो एक दूसरे के व्युत्क्रमानुपाती होती है।
प्रतिरोधक (Resistor) मे या चालक तार में प्रतिरोध का क्या कारण है ?
Resistor मे प्रतिरोध का मुख्यत: तीन कारक है जिसके कारण प्रतिरोध उत्पन्न होती है। पहला कारक Resistor मे उपयोग होने वाले तार की लंबाई (l) दूसरा कारक तार की मोटाई (A) है जिसे क्रॉस सेक्शन क्षेत्र कहा जाता है और तीसरा किसी चालक पदार्थ तार में free इलेक्ट्रोन की संख्या ।
चुंकि R = ρl/A
जहां, R= resistance, l= चालक तार की लंबाई, A= Area of cross section, ρ= resistivity पदार्थ का।
इसलिए यदि resistor की वैल्यू या मान को कम रखना हो यानी करेंट को अधिक पास करवाना हो तो चालक तार की A (Area of cross section) को बढ़ाना होगा यानी तार की मोटाई को अधिक रखना होगा।
तार की मोटाई जितना अधिक होगी उतना आसानी से करेंट flow होगी और यदि तार को अधिक पतला किया जाए तो इससे इलेक्ट्रिक चार्ज को flow होने में बहुत दिक्कत आती है क्यूंकि चालक तार पतला होने से free इलेक्ट्रोन को freely move होने के लिए जगह कम मिलती है जैसे पतली पाइप में पानी का बहना और मोटी पाइप में पानी के बहने के समान ही होती है । इसलिए resistance की वैल्यू को कम रखने के लिए या करेंट को अधिक पास करने के लिए चालक तार की मोटाई होना जरूरी है।
चालक तार की लंबाई को जितना अधिक रखा जाए तो उतना अधिक प्रतिरोध की वैल्यू बढ़ेगी यानी इलेक्ट्रिक चार्ज की प्रवाह में रुकावट उतना अधिक आएगी। क्यूंकि साधारण कोई भी चालक तार में free इलेक्ट्रोन जब प्रवाहित होती है तब ये इलेक्ट्रॉन अन्य atom एवं आयन से टकराते रहते हैं जिससे free इलेक्ट्रोन की निश्चित दिशा की गति मे रुकावट आती है और जैसा की हमसब जानते हैं इलेक्ट्रिक करेंट उत्पन्न होने के लिए free इलेक्ट्रोन को एक निश्चित दिशा मे गति करना आवश्यक है।
इसलिए जितना अधिक लंबाई का चालक तार होगी उतना अधिक free इलेक्ट्रोन टकराने की मात्रा होगी जिसके परिणामस्वरूप उतना ही अधिक प्रतिरोध भी बढ़ते जायेगी।
किसी चालक पदार्थ में उपस्थित free इलेक्ट्रोन की संख्या पर भी प्रतिरोध निर्भर करती है क्यूंकि यदि जिस चालक पदार्थ में free इलेक्ट्रोन की संख्या कम होगी तो उस चालक पदार्थ में इलेक्ट्रिक करेंट भी कम उत्पन्न होगी क्यूंकि उस चालक पदार्थ में कम free इलेक्ट्रोन की flow होगी जिससे कम करेंट प्रवाहित होगी और कम करेंट प्रवाहित का मतलब पदार्थ की प्रतिरोध अधिक होगी।
चालक(conductor) में तापमान के कारण प्रतिरोध.. का क्या कारण है?
साधारण चालक पदार्थ में यदि तापमान को जैसे जैसे बढ़ाया जाता है वैसे वैसे इलेक्ट्रोनो की कंपन की मात्रा बड़ती जाति है जो इलेक्ट्रोनो की टकराव की मात्रा को बढ़ाता है जिससे इलेक्ट्रोनो की निश्चित दिशा गति में रुकावट आती है। यदि इलेक्ट्रोनो की निश्चित दिशा गति में बाधा उत्पन्न होती है तो जाहिर सी बात है करेंट की flow मे भी रुकावट आयेगी इसलिए दूसरी ओर हम कह सकते हैं की प्रतिरोध बढ़ेगी।
अर्धचालक में तापमान के कारण प्रतिरोध.. का क्या कारण है ?
अर्धचलक मे प्रतिरोध का प्रभाव को समझने के लिए पहले आपको इलेक्ट्रॉन की energy level को समझना होगा ।
energy level मे तीन terms को समझना जरूरी है। पहला Valence band इस band मे आने वाले इलेक्ट्रॉन के पास energy बहुत ही कम होती है इसलिए इस band के इलेक्ट्रोन atom के न्यूक्लियस के साथ अच्छी तरह से bound होते हैं।
दूसरा conduction band इस band मे आने वाले इलेक्ट्रॉन के पास energy अधिक होती है इसलिए इस band के इलेक्ट्रोन न्यूक्लियस के साथ अच्छी तरह से bound नही होते हैं और इस band के इलेक्ट्रोन दूसरे atom मे move कर सकते हैं जिसे free इलेक्ट्रोन भी कहा जा सकता है।
तीसरा forbidden energy gap दोस्तो forbidden energy gap वह energy gap है जो Valence band और conduction band की इलेक्ट्रोन के energy के बीच का gap को ही forbidden energy gap कहा जाता है। valence band के इलेक्ट्रोन की energy और conduction band के इलेक्ट्रोन की energy मे यदि ज्यादा अंतर ना हो तो इसे दोनो band के बीच कम forbidden energy gap कहा जायेगा।
अगर किसी पदार्थ के valance band और conduction band के forbidden energy gap कम हो तो ऐसे पदार्थ का तापमान को यदि बढ़ाया जाए तो valance band के इलेक्ट्रोन conduction band मे बहुत ही आसानी से जा सकती है एवं conduction band level मे आने के बाद इलेक्ट्रॉन एक atom से दूसरी atom मे move कर सकती है या गति कर सकती है जिससे करेंट flow हो सकती है।
semiconductor या अर्धचालक पदार्थ मे भी forbidden energy gap कम होती है। इसलिए साधारण अवस्था मे अर्धचालक मे free इलेक्ट्रोन नही होती है तो जाहिर सी बात है की करेंट भी उत्पन्न नहीं होगी क्यूंकि साधारण अवस्था मे अर्धचालक के इलेक्ट्रोन की energy level valence band मे होती है। अत: इस अवस्था मे अर्धचालक एक हाई प्रतिरोध की तरह कार्य करेगी।
इसके विपरित यदि अर्धचालक की तापमान बढ़ाया जाए तो अर्धचालक के इलेक्ट्रोन की energy level conduction band के समान होने पर इलेक्ट्रॉन move करना शुरू कर देगी और जैसा हम जानते हैं की इलेक्ट्रॉन की move करने से करेंट उत्पन्न होती है। अत: इस अवस्था मे अर्धचालक low प्रतिरोध की तरह कार्य करेगी।
कुचालक ( insulator) पदार्थ मे प्रतिरोध का क्या कारण है?
सुचालक या insulator पदार्थ के atom मे free इलेक्ट्रोन नही होती है और जैसा की हमसब जानते हैं free इलेक्ट्रोन की प्रवाह के कारण करेंट उत्पन्न होती है। यदि किसी पदार्थ मे free इलेक्ट्रोन नही है तो उसमे करेंट flow नही होगी तो जाहिर से बात है करेंट प्रवाहित नही होगी तो वह पदार्थ एक हाई वैल्यू प्रतिरोध का काम करेगी जिसे insulator कहा जाता है।
सुचालक (insulator ) पदार्थ मे forbidden energy gap बहुत ही अधिक होती है इसलिए इस प्रकार की पदार्थ की तापमान को बढ़ाने पर भी इनकी valence band के इलेक्ट्रोन की energy लेवल conduction band level के समान नहीं होगी इसलिए इस प्रकार की पदार्थ एक हाई प्रतिरोध की तरह कार्य करती है ।
why resistance is important in hindi
दोस्तो इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स में अति महत्वपूर्ण basic 3 चीजे हैं– Voltage, current और resistance (प्रतिरोध) । अगर वोल्टेज, current और प्रतिरोध को समझ गए तो आप इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स पढ़ने के लायक हो ऐसा इसलिए क्योंकि इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम में वोल्टेज,करेंट और प्रतिरोध के Combination से ही सर्किट या सिस्टम में कुछ कार्य किया जा सकता है।
पदार्थ के प्रतिरोध पर तापमान का प्रभाव
प्रतिरोध पर तापमान का प्रभाव पदार्थ के अनुसार अलग अलग होती हैं।
जैसे चालक पदार्थ साधारण अवस्था में एक low प्रतिरोध की तरह कार्य करती है जिससे free इलेक्ट्रोन की गति मे रुकावट कम होगी इसलिए इस अवस्था में करेंट बहुत ही आसानी से flow करेगी लेकिन जैसी ही चालक पदार्थ में यदि तापमान को बढ़ाया जाए तो प्रतिरोध बढ़ेगी।अर्थात free इलेक्ट्रोन के गति मे रुकावट अधिक होगी इसलिए करेंट कम flow होगी। प्रतिरोध के बढ़ने का कारण उपर मे विस्तारपूर्वक दिए गया है।
अर्धचालक पदार्थ साधारण अवस्था में एक हाई प्रतिरोध की तरह कार्य करती है जिससे free इलेक्ट्रोन की गति मे रुकावट बहुत ही अधिक होगी इसलिए इस अवस्था में करेंट flow नही करेगी लेकिन अर्धचालक पदार्थ मे यदि तापमान को बढ़ाया जाए तो प्रतिरोध घटेगी। अर्थात free इलेक्ट्रोन की गति मे रुकावट नही होगी इसलिए करेंट flow करेगी। तापमान बढ़ाने पर प्रतिरोध के घटने का कारण उपर विस्तारपूर्व चर्चा की गई है।
किसी भी पदार्थ का सुचालक(good conductor) , कुचालक (insulator) और अर्धचालक होना इस बात पर निर्भर करती है की पदार्थ की valence band और conduction band के बीच forbidden energy gap कितना है।
अगर forbidden energy gap बहुत ही अधिक हो तो वह पदार्थ एक कुचालक (insulator) की तरह कार्य करेगी यानी यह एक high प्रतिरोध का काम करती है क्योंकि ऐसी पदार्थ की valence band के इलेक्ट्रोन की energy level बहुत ही कम होती है। इसलिए ऐसी पदार्थ की इलेक्ट्रॉन atom की न्यूक्लियस के साथ अच्छी तरह से bound होते हैं । इसलिए साधारण अवस्था मे insulator पदार्थ के इलेक्ट्रोन को move नही करवा सकते हैं।
यदि insulator की साधारण अवस्था को बदला जाए अर्थात insulator पदार्थ के इलेक्ट्रोन की energy को conduction band की energy level तक लाने के लिए बहुत ही अत्यधिक मात्रा में यदि heat दिया जाए तो तभी ही उनकी इलेक्ट्रॉन हाई heat देने के बाद कंपन करेगी और conduction band की energy level तक पहुंचने के बाद move करना शुरू करेगी एवं तभी ही ऐसी पदार्थ की इलेक्ट्रॉन flow कर सकती है और इतना heat उत्पन्न करना असंभव लकती है।
ऐसे पदार्थ में अत्यधिक मात्रा में heat देने के बाद ही इसकी प्रतिरोध को थोड़ी कम कर सकते हैं एवं जिसके परिणामस्वरूप इलेक्ट्रॉन को move करवाया जा सकता हैं। ये insulator पदार्थ के प्रतिरोध पर तापमान का प्रभाव है ऐसा theoritically हो सकता है लेकिन practically असंभव है क्यूंकि इतना अधिक तापमान या heat उत्पन्न करना बहुत मुश्किल काम है। इसलिए ऐसी पदार्थ को insulator यानी कुचालक कहा गया है।
Resistance ka si unit kya hai
Resistance या प्रतिरोध का SI unit ओम (ohm) (Ω) होता है। ओम (ohm ) एक base unit है।
Resistance के छोटे मात्रक
चुंकि ओम ohm (Ω) एक base unit है।
- 1 मिली ohm (mΩ) = 10-3 ohm
- 1 माइक्रो ohm(µΩ) =10-6 ohm
- 1 नेनो ohm (nΩ) = 10-9 ohm
- 1 पीको ohm (pΩ)=10-12 ohm
- 1 फैम्टो ohm(fΩ) = 10-15 ohm
- 1 एटो ohm (aΩ) = 10-18 ohm
Resistance के बड़े मात्रक
- 1 किलो ohm(kΩ)=10³ ohm
- 1 मेगा ohm (MΩ)= 10⁶ohm
- 1 गीगा ohm(GΩ) = 10⁹ ohm
- 1 टेरा ohm (TΩ)= 10¹² ohm
- 1 पेटा ohm (PΩ)= 10¹⁵ ohm
- 1 एक्जा ohm(EΩ) = 10¹⁸ ohm
Ohm को मिली ohm (mΩ) में बदलना
Ohm को मिली ohm मे बदलने के लिए 1000 से गुना करना होता है चुंकि बड़ी मात्रक को छोटी मात्रक में बदलने के लिए गुणा करना होता है जैसे –
1 ohm = 1 × 1000 mΩ= 1000mΩ
8 ohm =8 × 1000 mΩ = 8000 mΩ
मिली ohm(mΩ) को volt में बदलना
मिली ohm को ohm मे बदलने के लिए 1000 से भागा करना होता है चुंकि छोटी मात्रक को बड़ी मात्रक में बदलने के लिए भागा करना होता है
8000 mΩ= 8000/1000 ohm = 8 ohm
Resistance का सूत्र क्या है?
resistance या प्रतिरोध का बेसिक सूत्र (R= ρL/A & R=V/I) की अधिक जानकारी के लिए आप विद्युत प्रतिरोध का नियम एवं ओम का प्रतिरोध नियम की लेख को आप पढ़ सकते हो। इसलिए यहां हम resistance की अन्य सूत्र की चर्चा करेंगे।
प्रतिरोध का संयोजन (combination of resistance)
दो या दो से अधिक प्रतिरोध को यदि एक साथ जोड़ा जाए तो उसे प्रतिरोध का संयोजन कहा जाता है। प्रतिरोध का संयोजन दो प्रकार से किया जाता है।
- श्रेणी क्रम (Series connection )
- समांतर क्रम (Parallel connection )
Resistance का series connection क्या है?
जब दो या दो से अधिक प्रतिरोध के सिरे को एक दूसरे के साथ श्रेणी क्रम में जोड़ा जाता है तब यह श्रेणी क्रम कहलाता है। इस प्रकार की कनेक्शन में सभी प्रतिरोध को एक ही मार्ग में जोड़ा जाता है यानी विद्युत धारा प्रवाह के लिए एक ही मार्ग होती है इसलिए इस प्रकार की कनेक्शन में यदि एक भी प्रतिरोध खराब हो जाति है तो परिपथ की सभी उपकरण बंद हो जाति है।
Resistance के Series connection का सूत्र
श्रेणी क्रम कनेक्शन के प्रत्येक प्रतिरोध में विद्युत धारा (current)एक समान होती है लेकिन प्रत्येक प्रतिरोध के बीच विभवांतर (voltage) अलग अलग होती हैं।
माना तीन प्रतिरोध R1,R2 और R3 को series मे जोड़ा जाता है तब ,
प्रतिरोध R1 सिरों के बीच विभवांतर V1=IR1
प्रतिरोध R2 सिरों के बीच विभवांतर V2=IR2
प्रतिरोध R3 सिरों के बीच विभवांतर V3=IR3
इसलिए Total वोल्टेज (voltage)
V= V1 + V2+V3
IR= IR1 + IR2 +IR3
IR=I(R1+R2+R3)
इसलिए,
R=R1+R2+R3
जहां तीन प्रतिरोध R1,R2 और R3 के श्रेणी क्रम संयोजन का R एक समतुल्य प्रतिरोध है ।
Resistance के Series connection का equivalent resistance कैसे निकाले
चूंकि तुल्य प्रतिरोध R=R1+R2+R3 होता है इसलिए तुल्य प्रतिरोध ज्ञात करने के लिए हमे श्रेणी क्रम संयोजन के सभी प्रतिरोध(R1+R2+R3) को जोड़ना होगा ।
Resistance का Parallel connection क्या है ?
समांतर क्रम (Parallel connection) संयोजन के सभी प्रतिरोध के एक सिरे को परिपथ के एक बिंदु से तथा सभी प्रतिरोध के दूसरे सिरे को परिपथ के दूसरी बिंदु से समांतर क्रम में जोड़ते हैं। इस प्रकार की संयोजन में सभी प्रतोरोधो की विद्युत धारा प्रवाहित होने की मार्ग अलग अलग होती है इसलिए कोई भी एक प्रतिरोध खराब होने पर परिपथ में धारा प्रवाहित होना बंद नहीं होगी।
Resistance के Parallel connection का सूत्र क्या है?
समांतर क्रम संयोजन के प्रत्येक प्रतिरोध में विभवांतर या वोल्टेज एक समान होती है परंतु धारा अलग अलग होती है।
माना तीन प्रतिरोध R1,R2 और R3 को parallel या समांतर मे जोड़ा जाता है तब ,
प्रतिरोध R1 मे विद्युत धारा I1= V/R1
प्रतिरोध R2 मे विद्युत धारा I2= V/R2
प्रतिरोध R3 मे विद्युत धारा I3= V/R3
इसलिए total current
I=I1+I2+I3
V/R=V/R1+V/R2+V/R3 (I=V/R Ohm’s Law)
इसलिए , 1/R=1/R1+1/R2+1/R3
जहां तीन प्रतिरोध 1/R1,2/R2 और 3/R3 के समांतर क्रम संयोजन का 1/R एक समतुल्य प्रतिरोध है ।
Parallel connection के equivalent resistance कैसे निकाले
चूंकि समतूल्य प्रतिरोध 1/R=1/R1+1/R2+1/R3 होता है इसलिए समतूल्य प्रतिरोध 1/R ज्ञात करने के लिए सभी प्रतिरोधो को 1/R1+1/R2+1/R3 के रूप में जोड़ना होगा।
प्रतिरोधकता (resistivity) क्या है
किसी चालक पदार्थ की लंबाई और क्रॉस सेक्शन क्षेत्र की मात्रा (quantity)को एक इकाई या बराबर रखने पर जो प्रतिरोध प्राप्त होती है यह पदार्थ की प्रतिरोधकता (resistivity) कहलाती है।
चुंकि
Vidyuth pratirodh नियमानुसार R = ρL/A
अर्थात
यदि किसी चालक की लबाई (L) और क्रॉस सेक्शन क्षेत्र (A) की quantity को एक इकाई या बराबर रखने पर गणितीय नियमानुसार दोनो cancel हो जाति है
जैसे R = ρ 1/1 तो परिणामस्वरूप केवल R = ρ बचती है और यही किसी पदार्थ की विशिष्ट प्रतिरोध या प्रतिरोधकता कहलाती है।
इसका उपयोग एक से ज्यादा पदार्थों के प्रतिरोध को तुलना करने के लिए किया जाता है।
इसलिए प्रतिरोधकता (ρ) =RA/L
विशिष्ट प्रतिरोध (Resistivity) की SI मात्रक ओम मीटर (Ω–m) है।
Resistance और resistivity मे क्या अंतर है ?
विद्युत प्रतिरोध किसी चालक में प्रवाहित विद्युत धारा के मार्ग में रुकावट डालती है जबकि प्रतिरोधकता एक इकाई लंबाई तथा एक इकाई अनुप्रस्थ क्षेत्रफल द्वारा उत्पन्न प्रतिरोध है अर्थात प्रतिरोधकता एक विशेष लंबाई और विशेष अनुप्रस्थ क्षेत्रफल में उत्पन्न प्रतिरोध है।
प्रतिरोध चालक के लंबाई और अनुप्रस्थ क्षेत्रफल(cross section area) पर निर्भर करता है जबकि प्रतिरोधकता किसी पदार्थ में नियत रहती है।
प्रतिरोधकता का उपयोग अलग अलग पदार्थों की प्रतिरोध गुण को तुलना करने के लिए किया जाता है जबकि प्रतिरोध किसी भी पदार्थ का एक गुण है जिसके फलस्वरुप विद्युत धारा को प्रवाहित होने में बाधा उत्पन्न होती है।
Resistor क्या है ?
प्रतिरोधक(resistor) एक ऐसा इलेक्ट्रिक उपकरण है जिसमे प्रतिरोध की गुण होती है एवं इस गुण के परिणाम स्वरूप resistor या प्रतिरोधक किसी भी चालक या इलेक्ट्रिक सर्किट में विद्युत धारा को नियंत्रित या कंट्रोल करने का काम करती है।
इलेक्ट्रीकल और इलेक्ट्रॉनिक्स सर्किट में Resistor का उपयोग क्यूं किया जाता है
किसी भी इलेक्ट्रिक सर्किट में प्रतिरोधक(resistor) का उपयोग बहुत ही अत्याधिक मात्रा में किया जाता है। सर्किट में प्रतिरोधक का उपयोग इसलिए किया जाता है क्यूंकि सर्किट में अलग अलग current rating की इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस लगी होती है जो निश्चित current rating पर ही भलीभांति काम करती है एवं नियमानुसार R=V/I जहां सर्किट में वोल्टेज (V) निश्चित (fixed) रहती है तो ऐसे में प्रतिरोधक (Resistor)के वैल्यू को परिवर्तन करके ही सर्किट में लगी डिवाइस को अलग अलग मान की current (Current rating) दिया जा सकता है क्यूंकि प्रतिरोध बढ़ाने पर current कम होती है और प्रतिरोध घटाने पर current बढ़ती है।
अर्थात सर्किट में resistor का उपयोग current को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।