Rectifier in hindi और half wave,full wave,bridge rectifier in hindi

What is rectifier in hindi या रेक्टिफायर क्या है ? Half wave, full wave, bridge rectifier आदि सभी का विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है।

rectifier meaning in hindi

Rectifier = शुद्ध करनेवाला ( purifier)

Rectifier = AC to DC converter

इसलिए Rectifier = Purify or Rectify , Convert

Meaning 1 – दोस्तो rectifier का पहला अर्थ (meaning) होता है सही करनेवाला,सुधारना, ठीक करना, शुद्ध करना (Purify or Rectify) या दिष्टकारी आदि होता है।

Meaning 2 – रेक्टिफायर ( Rectifier ) का दूसरा अर्थ या मतलब AC लाइन को DC मे बदलने ( converter ) वाला होता है।

अर्थात rectifier के लिए Meaning 1 और Meaning 2 मे दिए गए दोनो ही बाते उपयुक्त ( Suitable ) है क्यूंकि Rectifier , AC current को DC current मे बदलती (convert) है जिससे यह electric current , शुद्ध ( pure) के बहुत करीब हो जाती है। इसलिए rectifier का अर्थ या meaning , बदलना ( converter ) और शुद्ध करना (purifier) दोनो ही होता है।

जितना भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस होती है लगभग सभी शुद्ध DC करेंट (pure DC) से ऑपरेट होती है।

जबकि (AC) alternating current शुद्ध (pure) नही होती है इसलिए इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को ऑपरेट करने के लिए rectifier उपकरण द्वारा AC को DC मे बदला जाता है ताकि इलेक्ट्रोनिक डिवाइस को एक शुद्ध (pure) current मिल सके।

Rectifier definition in Hindi

दिष्टकारी (rectifier) वैसे इलेक्ट्रिकल उपकरण है जो प्रत्यावर्ती धारा (AC) को दिष्टधारा (DC) में परिवर्तित करती है उसे दिष्टकारी (rectifier) कहा जाता है।

एक ऐसा इलेक्ट्रिक उपकरण जो alternating current (AC) को direct current (DC) मे बदलती है rectifier कहलाता है।

what is rectifier in hindi (rectifier kya hai)

Rectifier एक electrical device है जो एक या एक से अधिक diode से मिलकर बनी होती है और यह alternating current (AC) को direct current (DC) मे बदलने का काम करती है। जब AC current को DC current मे बदला जाता है तब यह DC current को शुद्ध करेंट ( pure current) भी बोल सकते हैं।

AC current शुद्ध नही होता है क्यूंकि इसमें current का direction और magnitude दोनो समय के साथ साथ हमेशा परिवर्तित होती रहती है जबकि DC current शुद्ध के बहुत ही करीब होता है जिसे फिल्टर या कैपेसिटर का उपयोग करके इसे शुद्ध Pure DC current मे बदला जा सकता है जिसका direction और magnitude एक समान ही रहती है।

अर्थात rectifier द्वारा अशुद्ध AC को शुद्ध DC मे बदला जाने योग्य बनाया जाता है।

अधिकतर इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस DC करेंट से चलती है।चूंकि DC करेंट शुद्ध (pure) होती है। अर्थात DC current का direction और magnitude बदलती नही है या दोनो निश्चित (Fixed) होती है। इसलिए DC current का उपयोग इलेक्ट्रॉनिक उपकरण मे किया जाता है। जबकि हमारे घरों में आने वाली करेंट AC करेंट होती है और घर की लगभग सारी इलेक्ट्रोनिक डिवाइस DC करेंट से चलती है। इसलिए AC को DC मे बदलने की जरूरत है एवं AC को DC मे बदलने का काम रेक्टिफायर द्वारा किया जाता है।

Rectifier मे डायोड के साथ साथ cpacitor फिल्टर का भी उपयोग किया जाता है क्यूंकि रेक्टिफायर में उपयोग होने वाले डायोड केवल AC को DC मे परिवर्तित करता है अर्थात AC करेंट की forward और reverse करेंट यानी AC की आगे पीछे दिशा वाली करेंट को एक ही दिशा (one direction) वाली करेंट मे बदलने का काम डायोड करती है जिसे DC कहा जाता है और यह DC हल्की अशुद्ध होती क्यूंकि इस DC current की magnitude थोड़ी थोड़ी परिवर्तित होती रहती है इसलिए इस प्रकार की DC को शुद्ध करने के लिए या अशुद्ध DC की magnitude जो थोड़ी थोड़ी परिवर्तित होती रहती है उसको सुधारने के लिए कैपेसिटर (capacitor )का उपयोग किया जाता है जिसे फिल्टर भी कहा जाता है।

अशुद्ध DC से तात्पर्य यह है कि वैसे करेंट जिनकी दिशा तो एक ही (one direction) होती है लेकिन उस करेंट की परिमाण (magnitude) एक समान नहीं रहती है यानी समय के साथ बदलती रहती है।

शुद्ध DC से तात्पर्य यह है कि वैसे करेंट जिनकी दिशा एक समान होती है और परिमाण (magnitude) भी एक समान होती है यानी किसी भी समय नहीं बदलती है। हमेशा एक समान रहती है।

Rectifier important qun hai

Rectifier important इसलिए है क्योंकि सभी इलेक्ट्रोनिक डिवाइस के सर्किट की starting point रेक्टिफायर उपकरण से ही होती है जहां AC को DC मे बदला जाता है। इसलिए यदि आप rectifier को नही समझोगे तो इलेक्ट्रोनिक सर्किट की दूसरी चीजो को समझना तो बहुत दूर की बात है।

Rectifier के प्रकार (Types of rectifier)

  1. Single Phase & Three Phase rectifier
  2. Uncontrolled rectifier
    • Half wave rectifier
    • Full wave rectifier
      • Bridge rectifier
      • Center tape rectifier
  3. Controlled rectifier
    • Half wave Controlled rectifier
    • Full wave Controlled rectifier
      • Controlled bridge rectifier
      • Controlled centre tape rectifier

दोस्तो इस आर्टिकल में हमलोग केवल important rectifier की वर्णन को देखेंगे।

Principle of Rectifier in hindi

Rectifier एक इलेक्ट्रीकल device है जो AC को DC मे बदलने का काम करता है।

AC को DC मे बदलने की प्रक्रिया को समझने के लिए पहले आपको AC और DC की practically & theoretically basic concepts को समझना होगा

AC = दो दिशा मे flow होने वाली करेंट अर्थात AC लाइन में करेंट की दो दिशा होती है । एक दिशा आगे की ओर जिसे forward कहा जाता है और एक दिशा पीछे की ओर होती है जिसे reverse कहा जाता है। AC लाइन में करेंट की पहली दिशा आगे की तरफ phase wire से neutral wire की ओर होती है जिसे positive cycle कहा जाता है और दूसरी दिशा पीछे की तरफ neutral wire से phase wire की ओर होती है जिसे negative cycle कहा जाता है जिसे return current भी कहा जाता है।

AC लाइन में current की दिशा 0.01 सेकंड में बदलती है ।AC लाइन में यदि पहला 0.01 सेकंड मे करेंट की दिशा आगे की ओर phase wire से neutral wire की तरफ होगी जिसे positive cycle कहा जाता है। दूसरी 0.01 सेकंड मे पीछे की ओर neutral wire से phase wire की तरफ होगी जिसे negative cycle भी कहा जाता है।इस तरह 0.02 सेकंड में एक positive और एक negative cycle यानी एक compelete cycle पूरा होती है जिसे 1Hz भी कहा जाता है ।

अर्थात AC लाइन में current की दिशा एक बार positive cycle और एक बार negative cycle मे बदलती रहती है यानी एक बार current की दिशा phase wire से neutral wire की ओर होगी और दूसरी बार neutral wire से phase wire की ओर होगी और यही प्रक्रिया AC लाइन में बार बार चलती रहती है।

इस तरह 1 सेकंड में AC line 100 बार अपनी दिशा बदलती है । 50 बार करेंट की दिशा positive cycle मे होगी और 50 बार करेंट की दिशा negative cycle मे होगी यानी करेंट की दिशा 50 बार phase wire से neutral wire की ओर होगी एवं 50 बार neutral wire से phase wire की ओर होगी इसे 50 Hz frequency भी कहा जाता है । अत: इस तरह की करेंट को alternating current कहा जाता है क्यूंकि यह कुछ समय के लिए आगे भी जाति है और कुछ समय के लिए पीछे भी जाति है।

DC लाइन वैसे लाइन होती है जिसकी current की दिशा fixed होती है यानी DC लाइन की करेंट हमेशा एक ही दिशा में होती है। DC लाइन के करेंट की दिशा नही बदलती है।

अर्थात AC = Two direction current ( आगे पीछे ) & DC = one direction current ( केवल आगे की तरफ)

आइए अब AC को DC मे बदलने की principle को समझेंगे । अर्थात Input AC to output DC = input two direction current to output only one direction current ( Input मे आगे पीछे दो दिशा मे जाने वाली वाली करेंट होगी यानी AC और output मे एक दिशा वाली करेंट होगी यानी DC ।

अर्थात AC को DC मे बदलने का तात्पर्य – Two direction current को one direction current मे बदलना ही AC to DC कहलाता है।

Two direction current को one direction current मे बदलने के लिए diode का उपयोग किया जाता है क्यूंकि pn junction diode एक ही दिशा वाली करेंट को पास होने देती है। यदि हम एक डायोड का उपयोग करेंगे तो इसे half wave rectifier कहा जाता है। अगर हम दो डायोड का उपयोग करेंगे तो इसे full wave rectifier कहा जाता है।

Positive cycle

Rectifier in hindi

जैसे डायग्राम में दिखाया गया है – यदि positive cycle मे current , phase wire से आगे की ओर निकलती है तो current डायोड D2 anode टर्मिनल मे प्रवेश करती है इसलिए डायोड इस करेंट को पास होने देती है क्यूंकि करेंट D2 के anode टर्मिनल से प्रवेश करती है इसलिए diode D2 एक forward bias की तरह काम करेगी।

अब करेंट phase wire के D2 डायोड से होते AB resistive load से होते हुए ग्राउंड C में चली जायेगी।

phase wire के D2 डायोड से निकलने वाली करेंट neutral wire के साथ लगी D1 डायोड के cathode टर्मिनल मे प्रवेश करती है इसलिए current आगे पास नही होने देती है क्यूंकि करेंट D1 डायोड के cathode टर्मिनल मे प्रवेश करने के कारण D1 डायोड एक reverse bias की तरह काम करेगी इसलिए डायोड D1 एक open circuit की तरह कार्य करेगी।

इसलिए phase wire से निकलने वाली करेंट AB resistive load से होते हुए ग्राउंड C में चले जाति है।

Negative cycle

अब यदि Negative cycle मे करेंट neutral wire से diode D1 के anode टर्मिनल मे प्रवेश करती है इसलिए current आगे पास हो जायेगी क्यूंकि करेंट डायोड के anode टर्मिनल मे प्रवेश करने के कारण D1 एक forward bias की तरह काम करेगी और करेंट AB resistive load से होते हुए ग्राउंड C मे चली जाती है।

neutral wire के डायोड D1 से निकलने वाली करेंट diode D2 के cathode टर्मिनल मे प्रवेश करती है इसलिए current आगे पास नही होती है क्यूंकि करेंट डायोड D2 के cathode टर्मिनल मे प्रवेश करने के कारण D2 एक reverse bias की तरह कार्य करेगी जिससे D2 डायोड एक open circuit की तरह कार्य करेगी।

इसलिए neutral wire के D1 डायोड से निकलने वाली करेंट phase wire की ओर नही जा पति बल्कि यह करेंट AB resistive load से होते हुए ग्राउंड C की ओर चली जाती है।

Result ( परिणाम)

AC की positive cycle & negative cycle वाली input AC करेंट की दो विपरीत direction होने के बावजूद भी output मे एक ही दिशा यानी AB resistive load से होते हुए ग्राउंड C की ओर चली जाती है। यानी AB resistive load हमारा output है और AC की positive cycle और negative cycle दोनो का AC input current को डायोड D1 एवं D2 के rectify के कारण output current की दिशा एक ही हो जाती है जिसे DC कहा जाता है। डायोड D1 एवं D2 AC current को DC मे rectify करता है इसलिए इस उपकरण को rectifier कहा जाता है।

half wave rectifier kya hai

Half wave rectifier मे केवल एक ही diode का उपयोग करके बनाया जाता है और यह AC के केवल एक half wave cycle को ही DC मे परिवर्तित करता है बाकी दूसरी half wave cycle को block करती है या दूसरी half wave cycle को DC मे परिवर्तित नहीं करती है। इसलिए इस प्रकार की रेक्टिफायर को half wave rectifier कहा जाता है।

दोस्तो जैसा कि हमसब जानते है कोई भी इलेक्ट्रिकल उपकरण में अधिकतर दो wire (तार) की आवश्यकता होती है। पहला phase wire होती है एवं दूसरी न्यूट्रल wire होती है। इन दो wire की मदद से इलेक्ट्रिक करेंट की बंध परिपथ (close circuit) बनती हैं। एक close circuit मे ही current flow होती है।

यदि ट्रांसफार्मर के सेकेंडरी winding के phase wire मे एक diode को forward direction मे लगाया जाए और इसे resistive load के साथ कनेक्शन कर दिया जाए । ट्रांसफार्मर के सेकेंडरी winding के न्यूट्रल wire से डायरेक्ट resistive load को कनेक्शन कर दिया जाए तो यह half wave rectifier कहलाता है।

क्यूंकि इस प्रकार की कनेक्शन करने पर AC के phase wire से forward direction मे जाने वाली positive half cycle करेंट को ही डायोड आगे जाने देती है जो resistive load से होते हुए न्यूट्रल wire से चली जाती है।

अब AC की nature अनुसार AC तभी एक compelete cycle बनाती है जब एक positive half cycle और एक negative half cycle बनाती है।

चूंकि अब AC केवल positive half cycle को पूरा की है इसलिए अब जैसे ही negative half cycle की समय आती है तब डायोड negative half cycle वाली current को पास होने नही देती है क्यूंकि negative half cycle वाली current की दिशा विपरीत होती है

यानी न्यूट्रल wire से phase wire की ओर होती है इसलिए डायोड एक reverse biased की तरह कार्य करने लगेगी। अर्थात negative half cycle मे डायोड एक खुली परिपथ (open circuit) की तरह कार्य करेगी और जैसा हम सब जानते हैं की open circuit मे करेंट flow नही होती है।

परिणामस्वरूप इस कनेक्शन के अनुसार डायोड केवल positive cycle वाली करेंट को ही पास होने देती है जबकि negtive cycle वाली करेंट को पास होने नही देती है इसलिए इसे half wave rectifier कहा जाता है।

क्यूंकि यह केवल half cycle करेंट को ही पास होने दे रही है । Positive cycle एक half cycle होती हैं एवं negative cycle भी एक half cycle होती है इसलिए positive half cycle और negative half cycle मिलकर AC एक complete cycle बनाती है।

half wave rectifier construction in hindi

Half wave rectifier को बनाने के लिए केवल एक diode की जरूरत होती हैं।

Half wave rectifier को बनाने के लिए महतवपूर्ण component

One diode
One stepdown transformer
One resistive load
One AC supply

सबसे पहले AC supply को ट्रांसफार्मर के primary winding के साथ कनेक्शन करना होता है ।
उसके बाद ट्रांसफार्मर के सेकेंडरी winding के केवल एक ही side मे आपको डायोड को forward bias मे कनेक्शन करते हुए resistive load के साथ कनेक्शन करना है।
अब ट्रांसफार्मर के सेकेंडरी winding के दूसरी side को भी resistive load के साथ conection करना होता है।

half wave rectifier working in hindi

half wave rectifier की कार्य (working ) को AC की positive half cycle एवं negative half cycle केवल दो condition के आधार पर हमलोग समझने की कोशिश करेंगे।

हमेशा याद रखे

AC = positive half cycle current + negative half cycle current होती है।

Positive half cycle current= phase wire वाली फॉरवर्ड करेंट = forward direction वाली करेंट होती है या जिसे आगे जाने वाली करेंट होती है।

Negative half cycle current= neutral wire वाली reverse करेंट= reverse direction वाली करेंट या जिसे return करेंट भी कहा जाता है।

1st condition – Positive half cycle वाली स्थिति

Positive half cycle वाली स्थिति में करेंट की दिशा forward direction मे होती है यानी करेंट की दिशा phase wire से न्यूट्रल wire की ओर होती है।

अब चुंकि डायोड को भी phase wire की forward direction मे कनेक्शन किया गया है इसलिए phase wire से न्यूट्रल wire की ओर जाने वाली forward direction करेंट डायोड के anode टर्मिनल से प्रवेश करती है इसलिए डायोड एक forward bias की तरह काम करती है इसलिए डायोड इस करेंट को पास होने देती है क्यूंकि डायोड forward direction current को ही पास होने देती है जबकि reverse direction current को पास होने नही देती है।

इस प्रकार positive half cycle वाली forward direction करेंट डायोड से होते है resistive load से हो कर न्यूट्रल wire से चली जाती है।

2nd condition –Negative half cycle वाली स्थिति

Negative half cycle वाली स्थिति में करेंट की दिशा reverse direction मे होती है यानी करेंट की दिशा न्यूट्रल wire से phase wire की ओर होती है।

चूंकि अब reverse करेंट डायोड के cathode टर्मिनल से प्रवेश करती है इसलिए डायोड करेंट को पास होने नही देगी। क्यूंकि डायोड इस reverse current के लिए एक reverse bias का काम करती है।

अब जैसा हमसब जानते है डायोड reverse direction current या return करेंट को पास होने नही देती है। अर्थात जैसे ही negative half cycle की समय आती है तब डायोड एक खुला परिपथ (open circuit) की तरह कार्य करती हैं एवं जैसे हमसब जानते है open circuit मे करेंट flow नही होती है।

परिणाम (Result )

केवल Positive half cycle वाली करेंट ही resistive load मे flow होगी। जबकि negative half cycle वाली करेंट resistive load मे flow नही होगी।

इसलिए output केवल positive half cycle से ही मिलेगी। इसलिए इसे half wave rectifier कहा जाता है।

Full wave rectifier kya hai

Full wave rectifier मे केवल दो diode का उपयोग किया जाता है और यह AC के दोनो half wave cycle को DC मे परिवर्तित करता है। यह कोई भी half wave cycle को block नही करती है। इसलिए इस प्रकार की रेक्टिफायर को full wave rectifier कहा जाता है क्यूंकि यह AC के दोनो half wave cycle (positive half wave cycle & Negative half wave cycle) यानी AC के full wave cycle को DC मे परिवर्तित करती है।

full wave rectifier working in hindi

1st condition – Positive half cycle वाली स्थिति

Positive half cycle वाली स्थिति में करेंट की दिशा forward direction मे होती है यानी करेंट की दिशा phase wire से resistive load की ओर होती है।

चूंकि Full wave rectifier मे दो डायोड होती है जिसे D1 & D2 द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता है। D1 डायोड phase wire के forward direction मे कनेक्शन होती है।

इसलिए phase wire से आने वाले forward direction करेंट D1 डायोड के anode टर्मिनल से प्रवेश करती है इसलिए डायोड एक forward bias की तरह काम करती है जिससे करेंट diode D1 से पास हो जाती है जो resistive load से होते हुए चली जाती है।

यदि करेंट डायोड के cathode टर्मिनल से प्रवेश करेगी तो डायोड करेंट को पास नही करेगी। क्यूंकि अब डायोड reverse bias की तरह काम करेगी।

2nd condition – Negative half cycle वाली स्थिति

Negative half cycle वाली स्थिति में करेंट की दिशा reverse direction मे होती है यानी करेंट की दिशा न्यूट्रल wire से resistive load की ओर होती है।

अब चूंकि full wave rectifier के दो डायोड D1 & D2 मे से D2 को न्यूट्रल wire के साथ forward direction मे कनेक्शन किया जाता है इसलिए न्यूट्रल wire से आने वाले करेंट डायोड के anode टर्मिनल मे प्रवेश करती है जिससे करेंट डायोड D2 से आराम से पास हो जाती है और resistive load होते हुए चली जाती है।

क्यूंकि करेंट डायोड D2 के anode टर्मिनल से प्रवेश कर रही है इसलिए डायोड forward bias की तरह काम करेगी। यदि करेंट डायोड के cathode टर्मिनल से प्रवेश करेगी तो डायोड करेंट को पास नही करेगी। क्यूंकि डायोड reverse bias की तरह कार्य करेगी।

परिणाम (Result)

Positive half cycle वाली करेंट resistive load के D से E की ओर flow होगी। negative half cycle वाली करेंट भी resistive load के D से E की ओर flow होगी यानी एक ही दिशा में flow होगी जिसे DC कहा जाता है।

इसलिए output positive half cycle और Negative half cycle दोनो स्थिति में ही load को एक ही दिशा वाली करेंट मिल रही है यानी दोनो स्थिति में लोड को D से E direction वाली करेंट मिलेगी । चूंकि load को एक ही दिशा वाली करेंट मिल रही है इसलिए इस एक ही दिशा वाली करेंट को ही DC current कहेंगे और AC को DC मे बदलने का काम इस full wave rectifier द्वारा किया गया है।

Bridge rectifier in hindi या bridge rectifier kya hai

Bridge rectifier एक प्रकार की full wave rectifier ही होती है। इसे bridge rectifier इसलिए कहा जाता है क्यूंकि इसमें कुल चार डायोड का उपयोग कर AC को DC मे बदला जाता है और इस चार डायोड को ऐसे कनेक्शन किया जाता है जिससे चार डायोड एक bridge के रूप में दिखाई देती है।

Bridge rectifier working in hindi

1st condition – Positive half cycle वाली स्थिति

Positive half cycle वाली स्थिति में करेंट की दिशा forward direction मे होती है यानी करेंट की दिशा phase wire से resistive load की ओर होती है।

ब्रिज रेक्टिफायर में 4 डायोड होती है जो D1, D2, D3 & D4 है।

अब चूंकि D2 डायोड phase wire के साथ reverse direction मे कनेक्शन किया गया है।

इसलिए phase wire से आने वाली करेंट डायोड D2 के cathode टर्मिनल से प्रवेश करती है इसलिए डायोड D2 phase wire से आने वाली करेंट को पास होने नही देती है क्यूंकि करेंट D2 के cathode टर्मिनल से प्रवेश करती है इसलिए डायोड D2 reverse bias की तरह कार्य करेगी।

वहीं दूसरी ओर ब्रिज रेक्टिफायर मे डायोड D1 phase wire के forward direction मे कनेक्शन है।

इसलिए phase wire से आने वाली करेंट diode D1 के anode टर्मिनल से प्रवेश करती है। D1 डायोड phase wire से आने वाली करेंट को आराम से पास होने देती है क्यूंकि phase wire से आने वाली करेंट डायोड D1 के anode टर्मिनल से प्रवेश करती है इसलिए डायोड D1 एक forward bias की तरह काम करेगी।

अब करेंट डायोड D1एवं resistive load से होते हुए डायोड D3 के anode टर्मिनल से प्रवेश करेगी जहां डायोड D3 भी इस करेंट को आराम से पास होने देती है क्यूंकि आने वाली करेंट डायोड D3 के anode टर्मिनल से प्रवेश करती है इसलिए डायोड D3 एक forward bias की तरह कार्य करेगी ।

Resistive load से आने वाली करेंट डायोड D2 के anode टर्मिनल से भी प्रवेश करती है लेकिन डायोड D2 के cathode टर्मिनल IN coming current के कारण एक हाई potential क्षेत्र बनाती है डायोड D2 के anode टर्मिनल की तुलना में ।

करेंट कभी भी low potential से हाई potential की ओर flow नही होती है इसलिए Resistive load से आने वाली करेंट डायोड D2 के anode टर्मिनल low potential क्षेत्र से डायोड D2 के cathode टर्मिनल हाई potential क्षेत्र की ओर कभी flow नही होगी बल्कि यह डायोड D3 की ओर चली जायेगी ।

उसी तरह डायोड D3 से निकलने वाली करेंट डायोड D4 की anode टर्मिनल मे भी प्रवेश करती है लेकिन डायोड D4 की cathode टर्मिनल IN coming current के कारण एक हाई potential क्षेत्र बनती है D4 anode टर्मिनल की तुलना में।

करेंट low potential से high potential की ओर कभी भी flow नही होती है । इसलिए करेंट D4 की anode टर्मिनल low potential क्षेत्र से D4 की cathode टर्मिनल हाई potential की ओर flow नही होगी और इसलिए करेंट D3 एवं न्यूट्रल wire से होते हुए निकल जाती है।

अंत में करेंट डायोड D3 होते हुए न्यूट्रल wire मे चली जाती है।

डायोड D1 से आने वाली करेंट diode D4 के cathode टर्मिनल से प्रवेश करती है इसलिए D4 इस करेंट को पास होने नही देती है क्यूंकि करेंट D4 के cathode टर्मिनल से प्रवेश करती है इसलिए D4 एक reverse bias की तरह कार्य करेगी।

2nd condition –Negative half cycle वाली स्थिति

Nagative half cycle वाली स्थिति में करेंट की दिशा reverse direction मे होती है यानी करेंट की दिशा न्यूट्रल wire से resistive load की ओर होती है।

ब्रिज रेक्टिफायर में 4 डायोड होती है जो D1, D2, D3 & D4 है।

अब चूंकि D3 डायोड न्यूट्रल wire के साथ reverse direction मे कनेक्शन है।

इसलिए negative cycle मे न्यूट्रल wire से आने वाले करेंट D3 डायोड के cathode टर्मिनल से प्रवेश करती है इसलिए डायोड D3 इस करेंट को पास होने नही देती है क्यूंकि करेंट डायोड D3 के cathode टर्मिनल से प्रवेश करती है जिससे D3 एक reverse bias की तरह कार्य करेगी।

अत: अब न्यूट्रल wire से आने वाली करेंट डायोड D4 के anode टर्मिनल से प्रवेश करती है इसलिए डायोड D4 इस करेंट को आराम से पास होने देती है क्यूंकि करेंट डायोड D4 के anode टर्मिनल से प्रवेश करती है जिससे D4 एक forward bias की तरह कार्य करेगी।

अब करेंट डायोड D4 एवं resistive load से होते हुए डायोड D2 के anode टर्मिनल से प्रवेश करती है इसलिए diode D2 इस करेंट को आराम से पास होने देती है क्यूंकि करेंट D2 के anode टर्मिनल से प्रवेश करती है जिससे D2 एक forward bias की तरह कार्य करेगी।

Resistive load से निकलने वाली करेंट डायोड D3 के anode टर्मिनल मे भी प्रवेश करती है लेकिन डायोड D3 के cathode टर्मिनल D3 के anode टर्मिनल की तुलना में IN coming current के कारण एक हाई potential क्षेत्र बनाती है ।

चूंकि करेंट कभी भी low potential से हाई potential की ओर flow नही होती है इसलिए Resistive load से आने वाली करेंट D3 के anode टर्मिनल low potential क्षेत्र से D3 के cathode टर्मिनल हाई potential क्षेत्र की ओर कभी flow नही होगी बल्कि यह डायोड D2 की ओर चली जायेगी।

उसी प्रकार से D2 से निकलने वाली करेंट डायोड D1 की anode टर्मिनल मे प्रवेश करती है लेकिन D1 की कैथोड terminal D1 की एनोड terminal की तुलना में IN coming current के कारण high potential क्षेत्र उत्पन्न करती है ।

जैसा की हमसब जानते हैं करेंट low potential से high potential की ओर कभी भी flow नही होती है । इसलिए करेंट D1 की anode टर्मिनल low potential क्षेत्र से D1 की cathode टर्मिनल हाई potential क्षेत्र की ओर flow कभी नही होगी ।

अंत में करेंट डायोड D2 से होकर phase wire की ओर चली जाती है

डायोड D4 से निकलने वाली करेंट डायोड D1 के cathode टर्मिनल से प्रवेश करती है इसलिए डायोड D1 current को पास होने नही देती है क्यूंकि करेंट डायोड D1 के cathode टर्मिनल से प्रवेश करती हैं जिससे डायोड D1 एक reverse bias की तरह कार्य करेगी।

Result ( परिणाम)

AC की positive cycle वाली incoming current की output current की दिशा load के धनात्मक चिन्ह (+) से ऋणात्मक चिन्ह (-) की ओर होती है।

उसी तरह AC की negative cycle वाली incoming current की दिशा भी load के धनात्मक चिन्ह (+) से ऋणात्मक चिन्ह (-) की ओर होती है।

परिणामस्वरूप AC की positive cycle और negative cycle वाली दो विपरीत दिशा करेंट की output या load मे एक ही दिशा से करेंट flow हो रही है जो धनात्मक चिन्ह (+) से ऋणात्मक चिन्ह (-) की ओर है। अत: एक ही दिशा वाली करेंट को DC कहते है।

इस AC को DC मे बदलने का काम ब्रिज आकृति वाली 4 डायोड उपकरण द्वारा किया गया है इसलिए इसे bridge rectifier कहा जाता है।

Application of bridge rectifier in hindi

rectifier का उपयोग सभी AC से चलने वाली इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में होती है जो AC को DC मे बदलने के लिए होता है जैसे full wave rectifier।

rectifier का उपयोग AM radio मे होता है।

rectifier का उपयोग modulation ,demodulationमे होता है।

Rectifier का उपयोग voltage multipliers मे भी होता है।

FAQ’s Rectifier से संबंधित

रेक्टिफायर को हिंदी में क्या कहते हैं?

रेक्टिफायर को हिंदी में दिष्टकारी या ऋजुकारी कहा जाता है।

Rectifier कितने प्रकार के होते है?

rectifier को मुख्य रूप से 3 प्रकार में बांटा गया है – 1.single Phase rectifier & three Phase rectifier
2. Uncontrolled rectifier –Half wave rectifier ,Full wave rectifier, Bridge rectifier, Center tape rectifier
3. Controlled rectifier – Half wave Controlled rectifier, Full wave Controlled rectifier, Controlled bridge rectifier, Controlled centre tape rectifier

रेक्टिफिकेशन का मतलब क्या है?

रेक्टिफिकेशन का मतलब शुद्ध करनेवाला होता है क्यूंकि यह AC current जैसे unpure करेंट को pure करेंट मे बदलती है जिसे DC कहा जाता है।

एसी को डीसी में कैसे बदला जाता है?

एसी को डीसी में बदलने के लिए डायोड का उपयोग कर सकते हैं जिसे रेक्टिफायर कहा जाता है।

रेक्टिफायर कैसे बनता है?

रेक्टिफायर बनाना बहुत ही आसान है। यदि हम एक डायोड कर उपयोग करके AC को DC मे बदलते हैं तो उसे half wave rectifier कहा जाता है एवं इसी तरह 2 या 4 डायोड का उपयोग करके full wave rectifier और ब्रिज रेक्टिफायर बना सकते हैं।

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