What is logic gate in hindi या Logic gate kya hai ? सरल शब्दों में विस्तारपूर्वक वर्णन देखे
Table of Contents
logic gate meaning in hindi
Logic gate का हिंदी में meaning होता है –तर्क द्वार । Logic= तर्क gate= द्वार इसलिए logic gate = तर्क द्वार होता है।
लॉजिक गेट की परिभाषा क्या है
Logic gate एक ऐसी तर्कद्वार उपकरण है जिसकी आउटपुट वर्तमान इनपुट संकेतो (signal) के आधार पर एक लॉजिकल कार्य करती है इसलिए इसे लॉजिक गेट कहा जाता है।
Waht is logic gate in hindi ( Logic gate kya hai)
Logic gate एक प्रकार की डिजिटल उपकरण है जो तार्किक रूप से कार्य (logically function) के लिए एक अहम भूमिका निभाते हैं। Logic gate एक logically function करती है इसलिए इसे logic gate कहा जाता है।
Logic gate को transistor , resistor और diode का उपयोग करके बनाया जाता है।
लॉजिक गेट इलेक्ट्रिक डिजिटल के केवल दो सिग्नल 0 & 1 पर कार्य करती है जिसे binary code कहा जाता है । 0 & 1 को हम binary code कहते है जिसे मनुष्य समझ सकता है लेकिन मशीन नही । दुनिया की कोई भी इलेक्ट्रिक मशीन केवल दो भाषा को समझती है ये है electric current की Off और On । यदि इलेक्ट्रिक मशीन के करेंट को on किया जाए तो चलने लकती है और यदि off किया जाए तो बंद होती है अर्थात मशीन केवल current की On और Off को समझती है। इलेक्ट्रिक मशीन की यही दो भाषा On और Off को ही मनुष्य ने नाम दिया 1 और 0 ।
Logic gate के input मे दो वैल्यू प्रदान करते हैं 0volt और 5volt उसी तरह इनके output मे भी केवल दो वैल्यू प्राप्त होती है 0 volt और 5 volt का जिसे logic 0,1 से प्रर्दशित किया जाता है। मनुष्य ने अपने अनुसार 0,1 को binary code कहा और इसी कोड से मशीन language program मनुष्य द्वारा बनाई गई है । 0,1 मशीन language की fundamental code है। मशीन की भाषा और मनुष्य की भाषा की fundamental topic को अच्छी से समझना है ताकि आप डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक्स को समझ सकोगे & बना भी पाओगे।
Logic gate का सबसे important उपयोग IC & प्रोसेसर मे होता है जिससे हमलोग CPU कहते है । CPU जिसे हमलोग कंप्यूटर का दिमाग (brain) कहा जाता है इसमे बहुत सारे logic gate का संयोजन करके बनाया गया है।
अर्थात, computer और mobile के दिमाग या प्रोसेसर का building block मे logic gate का बहुत बड़ा योगदान है।
लॉजिक गेट क्यों महत्वपूर्ण (important) हैं ?
दोस्तो logic gate.. Digital इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में एक fundamental उपकरण है जिसे हम Digital सर्किट का building block भी बोल सकते है।
Digital सर्किट या जिसे हम digital इलेक्ट्रॉनिक्स बोलते है यह logic gate से ही बनी होती है। जैसे हमारा शरीर कोशिका से बनी हुई है। जबतक हम कोशिका की structure और function नही समझेंगे तब तक हम शरीर की बनावट और उनकी कार्य को समझ नही पाएंगे।
उसी तरह जब तक हम logic gate की structure और function को नहीं समझेंगे तब तक हम digital सर्किट को नहीं समझ पायेंगे ।
कंप्यूटर या मोबाइल के प्रोसेसर (CPU) एक प्रकार की digital सर्किट है इसलिए इसमें logic gate का महत्वपूर्ण भूमिका है।
दोस्तो आजकल की सभी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का अधिकतर भाग degital सर्किट का ही होता है। Digital सर्किट के बिना आजकल कोई भी इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइस नहीं बनती है।
इसलिए Logic gate की structure, function और logic gate से संबंधित सभी विषय को समझना जरूरी है।
universal logic gate in hindi
Universal logic gate एक ऐसे logic gate है जिससे अन्य प्रकार की logic gate बनाया जा सकता है।
जैसे – यूनिवर्सल NAND gate से हम NOT, AND, OR & NOR gate इत्यादि बना सकते है इसलिए इस प्रकार की gate को यूनिवर्सल गेट कहा जाता है।
NAND और NOR gates एक यूनिवर्सल logic gate है।
logic gate types ( लॉजिक गेट के प्रकार)
- AND gate
- OR gate
- NOT gate
- NAND gate
- NOR gate
- XOR gate
- XNOR gate
basic logic gates in hindi
AND gate
AND gate की दो इनपुट और एक आउटपुट होती है।
AND gate Boolean logic समीकरण A.B = Y के आधार पर कार्य करती है।
अर्थात,
1st condition
यदि इनपुट A= 0 & B= 0 हो तो आउटपुट 0 होगा।
चूंकि A.B = Y
0×0=0
2nd condition
यदि इनपुट A= 1 & B= 0 हो तो आउटपुट 0 होगा।
चूंकि A.B = Y
1×0=0
3rd condition
यदि इनपुट A=0 & B= 1 हो तो आउटपुट 0 होगा।
चूंकि A.B = Y
0×1=0
4th condition
यदि इनपुट A= 1 & B= 1 हो तो आउटपुट 1 होगा।
चूंकि A.B = Y
1×1=1
AND gate using diode in hindi
1st condition
यदि इनपुट A= 0 & B= 0 हो तो आउटपुट 0 होगा।
जैसा की practical डायग्राम मे दिया गया है यदि इनपुट A को 0 volt और B को भी इनपुट 0 volt दिया जाए तो source V1 5 volt वोल्टेज R1 resistance 100 ओम के कारण 5 volt ड्रॉप होके 0.6 volt हो जाती है जो डायोड D1 और डायोड D2 के लिए forward bias की तरह काम करेगी।
जिसके परिणामस्वरूप दोनो डायोड की conductance ज्यादा होगी जो करेंट को आराम से पास होने देगी जबकि आउटपुट D3 Led लोड मे 5 volt ड्रॉप होके 0.6 volt होने के कारण से आउटपुट D3 Led लोड की conductance क्षमता D1और D2 की तुलना में बहुत कम होगी क्यूंकि आउटपुट D3 के सीरो के बीच potential difference बहुत ही कम होगी जो करेंट को आउटपुट D3 की ओर धक्का नही दे पाती है । इसलिए सारा करेंट D1 और D2 से पास होगी। इसलिए आउटपुट 0 होगी।
2nd condition
यदि इनपुट A= 1 & B= 0 हो तो आउटपुट 0 होगा।
practical डायग्राम अनुसार यदि इनपुट A को 5 volt और B को 0 volt रखा जाए तो source V1 5 volt वोल्टेज की R1 resistance के कारण 5 volt ड्रॉप होके 0.7 volt हो जाती है जो डायोड D2 के लिए एक forward bias की तरह कार्य करेगी जिसके परिणामस्वरूप डायोड D2 की conductance क्षमता ज्यादा होगी जिससे करेंट आराम से पास होगी।
जबकि डायोड D1 reverse bias की तरह कार्य करेगी जो करेंट को पास होने नही देगी। आउटपुट Led D3 की conductance क्षमता D2 से बहुत ही कम होगी क्यूंकि 5 volt ड्रॉप होके 0.7 volt हो जाने के कारण आउटपुट LED D3 के सीरो के बीच potential difference बहुत ही कम होगी जो करेंट को आगे आउटपुट LED D3 की ओर धक्का नही दे पाती है।इसलिए सारा करेंट D2 डायोड से पास हो जायेगी।
3rd condition
यदि इनपुट A=0 & B= 1 हो तो आउटपुट 0 होगा।
जैसा practical डायग्राम अनुसार यदि A को 0 volt और B को 5 volt दिया जाए तो source V1 5 volt Voltage की R1 resistance के कारण 5 volt से ड्रॉप होके 0.7 volt होने से डायोड D1 एक forward bias की तरह कार्य करेगी जिसके परिणामस्वरूप D1 की conductance क्षमता ज्यादा होगी इसलिए करेंट को पास होने देगी ।
जबकि D2 डायोड reverse bias की तरह कार्य करेगी जो करेंट को पास होने नही देगी। आउटपुट D3 Led लोड की conductance क्षमता D1 की तुलना में बहुत कम होगी क्यूंकि वोल्टेज 5 volt से ड्रॉप होके 0.7 volt होने के कारण आउटपुट D3 Led के सिरो के बीच बहुत ही कम potential difference बनने की वजह से आउटपुट D3 Led की ओर करेंट को धक्का नही मिल पाती है इसलिए सारा करेंट डायोड D1 से पास हो जायेगी। इसलिए आउटपुट Y= 0 होगी।
4th condition
यदि इनपुट A= 1 & B= 1 हो तो आउटपुट 1 होगा।
जैसा practical डायग्राम अनुसार यदि इनपुट A को 5 volt और इनपुट B को 5 volt दिया जाए तो डायोड D1 और डायोड D2 reverse bias की तरह कार्य करेगी जो करेंट को पास होने नही देगी अर्थात D1 और D2 डायोड की conductance क्षमता बहुत ही कम हो जायेगी जो करेंट को पास होने नही देगी।
दूसरी ओर source V1 5 volt वोल्टेज R1 resistance के कारण ड्रॉप होके 2.3 volt बनती है जो आउटपुट D3 Led के सिरो के बीच potential difference को अधिक बनाएगी जो करेंट को आउटपुट D3 Led की ओर धक्का लगाने के लिए काफी होती है।इसलिए सारा करेंट अब आउटपुट Led D3 से निकलेगी और LED जलेगी।इसलिए आउटपुट 1 होगी।
AND gate using transistor in hindi
1st condition
यदि इनपुट A= 0 & B= 0 हो तो आउटपुट 0 होगा।
जैसा की practical डायग्राम मे दिया गया है यदि इनपुट A=0 volt और B=0 volt देते हैं तो आउटपुट Y वाली बल्ब नही जलेगी यानी आउटपुट 0 होगी।
दोस्तो इस डायग्राम या कोई भी सर्किट डायग्राम को समझने या डिजाइन करने के लिए आपको voltage, current की relation को समझना होगा और साथ मे resistance को भी समझना होगा।
वोल्टेज और करेंट की relation मे आपको यही समझना होगा कि करेंट की बहाव (flow) हमेशा high potential से low potential की ओर होती है अर्थात हाई वोल्टेज से low वोल्टेज की ओर होती है। यदि दो बिंदुओं के बीच potential difference की वैल्यू कम है तो करेंट कम flow करेगी और यदि दो बिंदुओं के बीच potential difference की वैल्यू बहुत ही अधिक है तो करेंट बहुत ही अधिक flow करेगी। 5volt – 4volt = 1 volt यानी potential difference की वैल्यू 1 होगी अर्थात करेंट बहुत कम flow होगी।5volt – 1volt = 4 volt यानी potential difference की वैल्यू 4 होगी अर्थात करेंट बहुत ही अधिक flow होगी।जबकि resistance करेंट को रोकती है। यानि low resistance करेंट को आराम से flow होने देगी जबकि high resistance करेंट को बहुत बहुत ही कम flow होने देगी।
जैसा की इस डायग्राम में दिया गया है ट्रांजिस्टर Q1 की emitter वोल्टेज 5 volt होगी चूंकि source V1 5 volt से जुड़ी है। जबकि Q1 की base वोल्टेज 52 nanovolt एवं इनपुट A की वोल्टेज 0 volt है इसलिए करेंट हाई potential से low की ओर प्रवाह होगी यानी source V1 की करेंट Q1 की emitter से होते हुए Q1 की base और इनपुट A की ओर प्रवाह होके ग्राउंड में चले जायेगी।
यदि resistance R1 की वैल्यू को बढ़ाया जाए तो करेंट को रोक सकते हैं यदि R1 resistance की वैल्यू को बहुत ही अधिक बढ़ाया जाए तो Q1 की base वोल्टेज भी बढ़ेगी और यदि Q1 की emitter वोल्टेज 5 volt और Q1 की base वोल्टेज 5 volt होगी यानी Q1 की emitter और base वोल्टेज बराबर होगी तो emitter और base के बीच कोई करेंट flow नही होगी क्यूंकि करेंट तभी flow होगी जब दो प्वाइंट का potential या वोल्टेज एक समान नहीं हो।यदि potential या वोल्टेज एक समान हो तो करेंट flow नही करेगी।
Q1 के Emitter वोल्टेज 5 volt है जबकि Q1 के collector वोल्टेज 1.5 volt है इसलिए V1 की करेंट Q1 के कलेक्टर मे भी प्रवाह होगी लेकिन Q1base के तुलना में बहुत कम flow होगी क्यूंकि Q1 के emitter & base का potential difference का वैल्यू की तुलना मे Q1 के emitter & collector का potential difference की वैल्यू कम है। Potential difference का वैल्यू जितना कम होगा करेंट उतना कम flow करेगी।
अब Q2 के emitter वोल्टेज 1.5volt है जबकि Q2 के base का वोल्टेज 17nanovolt है इसलिए इन दोनो के बीच potential difference बहुत ज्यादा है इसलिए करेंट Q2 के base से भी flow करेगी जो इनपुट B से होते हुए ग्राउंड में चले जायेगी क्यूंकि इनपुट B का potential बहुत ही कम है यानी 0volt है।
अब Q2 के emitter वोल्टेज 1.5volt है जबकि Q2 के कलेक्टर वोल्टेज 7.6 nanovolt है इसलिए emitter कलेक्टर के बीच potential difference है इसलिए करेंट Q2 के emitter से कलेक्टर मे भी प्रवाह होगी ।
चूंकि Q2 के emitter क्षेत्र में 7.6 nanovolt का वोल्टेज है एवं आउटपुट Y या lamp और resistance R3 दोनो ग्राउंड से जुड़ी हुई है इसलिए ग्राउंड से जुड़ने के कारण ग्राउंडिंग प्वाइंट पर दोनो की वोल्टेज 0 volt होगी और जबकि Q2 के emitter क्षेत्र में 7.6 nanovolt का वोल्टेज है अत: दोनो के बीच potential difference बनेगी जो बहुत ही कम होगी। इसलिए थोड़ी थोड़ी करेंट resistance और lamp यानी आउटपुट से भी गुजरेगी लेकिन बल्ब को जला नही पाएगी क्यूंकि यह करेंट बहुत बहुत ही कम होती है जो आउटपुट की किसी भी प्रकार की लोड को चला नही पाएगी इसलिए आउटपुट 0 होगी।
OR gate
OR gate के दो या दो से अधिक इनपुट हो सकते है पर आउटपुट एक ही होती है
OR gate Boolean logic समीकरण A+B= Y आधारित कार्य करती है ।
1st condition
यदि इनपुट A=0 & B= 0 हो तो आउटपुट 0 होगा।
चूंकि A+B = Y
0+0=0
2nd condition
यदि इनपुट A=1 & B= 0 हो तो आउटपुट 1 होगा।
चूंकि A+B = Y
1+0=1
3rd condition
यदि इनपुट A=0 & B= 1 हो तो आउटपुट 1होगा।
चूंकि A+B = Y
0+1=1
4th condition
यदि इनपुट A=1 & B= 1 हो तो आउटपुट 1 होगा।
चूंकि A+B = Y
1+1=1 (by Boolean Eq)
NOT gate
NOT gate का एक ही इनपुट और एक आउटपुट होती है।
NOT gate Boolean logic समीकरण A’ = Yआधारित कार्य करती है । A’= A का उल्टा
1st condition
यदि इनपुट 0 हो तो आउटपुट 1 होगी।
चूंकि A’ = Y
0’ = 0 का उल्टा =1
2nd condition
यदि इनपुट 1 हो तो आउटपुट 0 होगी।
चूंकि A’ = Y
इसलिए 1’ = 1 का उल्टा =0
Universal logic gate in hindi
NAND gate
NAND gate प्राय: AND gate और NOT gate का संयोजन करके बनाया गया है।
NAND gate Boolean logic समीकरण (A.B)’=Y आधारित पर कार्य करती है। (A.B)’ = (A.B) का उल्टा
1st condition
यदि इनपुट A=0 & B= 0 हो तो आउटपुट 1 होगा।
चूंकि (A.B)’ = Y
AND + NOT = NAND gate
Or, (A.B) + (AB)’=Y
0×0 + 0’=1
0+0’=1
0’=1 ( 0′ = 0 का उल्टा = 1 होगा )
2nd condition
यदि इनपुट A=1 & B= 0 हो तो आउटपुट 1 होगा।
चूंकि (A.B)’ = Y
AND + NOT = NAND gate
Or, (A.B) + (AB)’=Y
1×0 + 0’=1
0+0’=1
0’=1 ( 0′ = 0 का उल्टा = 1 होगा )
3rd condition
यदि इनपुट A=0 & B= 1 हो तो आउटपुट 1 होगा।
चूंकि (A.B)’ = Y
AND + NOT = NAND gate
Or, (A.B) + (AB)’=Y
0×1 + 0’=1
0+0’=1
0’=1 ( 0′ = 0 का उल्टा = 1 होगा )
4th condition
यदि इनपुट A=1 & B= 1 हो तो आउटपुट 0 होगा।
चूंकि (A.B)’ = Y
AND + NOT = NAND gate
Or, (A.B) + (AB)’=Y
1×1 + 1’=1
1+1’=1 (by Boolean Eq)
1’=0 ( 0′ = 0 का उल्टा = 1 होगा )
NOR gate
NOR gate प्राय: OR gate और NOT gate का संयोजन करके बनाया गया है।
NOR gate Boolean logic समीकरण (A+B)’=Y आधारित पर कार्य करती है। (A+B)’ = (A+B) का उल्टा
1st condition
यदि इनपुट A=0 & B= 0 हो तो आउटपुट 1 होगा।
चूंकि (A+B)’ = Y
OR +NOT= NOR gate
Or, (A+B) + (A+B)’=Y
0+0 + 0’=1
0+0’=1
0’=1 ( 0′ = 0 का उल्टा = 1 होगा )
2nd condition
यदि इनपुट A=1 & B= 0 हो तो आउटपुट 0 होगा।
चूंकि (A+B)’ = Y
OR +NOT= NOR gate
Or, (A+B) + (A+B)’=Y
1+0 + 1’=0
1+1’=0 (by Boolean Eq)
1’=0 ( 1′ = 1 का उल्टा = 0 होगा )
3rd condition
यदि इनपुट A=0 & B= 1 हो तो आउटपुट 0 होगा।
चूंकि (A+B)’ = Y
Or, (A+B) + (A+B)’=Y
0+1 + 1’=0
1+1’=0 (by Boolean Eq)
1’=0 ( 1′ = 1 का उल्टा = 0 होगा )
4th condition
यदि इनपुट A=1 & B= 1 हो तो आउटपुट 0 होगा।
चूंकि (A+B)’ = Y
Or, (A+B) + (A+B)’=Y
1+1 + 1’=0
1+1’=0 (by Boolean Eq)
1’=0 ( 1′ = 1 का उल्टा = 0 होगा )
Other Logic Gates
XOR gate
XOR gate के इनपुट दो या दो से अधिक हो सकते हैं पर आउटपुट एक ही हैं।
XOR gate Boolean logic समीकरण A’.B+A.B’ =Y आधारित पर कार्य करती है। A’ = A का उल्टा & B’= B का उल्टा
1st condition
यदि इनपुट A=0 & B= 0 हो तो आउटपुट 0 होगा।
चूंकि A’.B+A.B’ =Y
0′.0+0.0’=0
1.0+0.1=0 (चूंकि 0’=1)
0+0=0
2nd condition
यदि इनपुट A=1 & B= 0 हो तो आउटपुट 1 होगा।
चूंकि A’.B+A.B’ =Y
1′.0+1.0’=1
0.0+1.1=1(चूंकि 1’=0)
0+1=1
3rd condition
यदि इनपुट A=0 & B= 1 हो तो आउटपुट 1 होगा।
चूंकि A’.B+A.B’ =Y
0′.1+0.1’=1
1.1+0.0=1( 0’=1&1’=0 )
1+0=1
4th condition
यदि इनपुट A=1 & B= 1 हो तो आउटपुट 0 होगा।
चूंकि A’.B+A.B’ =Y
1′.1+1.1’=0
0.1+1.0=0 (चूंकि 1’=0)
0+0=0
XNOR Gate
XNOR gate के दो या दो से अधिक इनपुट हो सकते हैं लेकिन आउटपुट एक ही होती है।
XNOR gate Boolean logic समीकरण A.B+A’B’=Y आधारित पर कार्य करती है। A’ = A का उल्टा & B’= B का उल्टा
1st condition
यदि इनपुट A=0 & B= 0 हो तो आउटपुट 1 होगा।
चूंकि A.B+A’B’=Y
0.0+0’× 0’=1
0 × 0+1×1=1
0+1=1
2nd condition
यदि इनपुट A=1 & B= 0 हो तो आउटपुट 0 होगा।
चूंकि A.B+A’B’=Y
1.0+1’× 0’=0
0×1+0×1=0
0+0=0
3rd condition
यदि इनपुट A=0 & B= 1 हो तो आउटपुट 0 होगा।
चूंकि A.B+A’B’=Y
0.1+0’× 1’=0
0×1+1×0=0
0+0=0
4th condition
यदि इनपुट A=1 & B= 1 हो तो आउटपुट 1 होगा।
चूंकि A.B+A’B’=Y
1.1+1’× 1’=1
1×1+0×0=1
1+0=1
logic gate ka use in hindi
Logic gate का महत्वपूर्ण उपयोग कंप्यूटर और मोबाइल एवं इनके इंटीग्रेटेड सर्किट ( IC ) & प्रोसेसर (CPU) मे होता है।
लॉजिक गेट का उपयोग satellites और robots मे अत्यधिक मात्रा में होती है।
दोस्तो logic gate का उपयोग क्षेत्र बहुत ही बड़ी बस आपको इतना समझ लेना है की लॉजिक गेट का उपयोग आजकल के लगभग सभी इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइस मे होती है। लॉजिक गेट के बिना Digital दुनिया असंभव सी लकती है।
लॉजिक गेट की संरचना कंपोनेंट्स
लॉजिक गेट को मुख्य रूप से 3 कंपोनेंट से मिलकर बनाया जा सकता है। ये है – Resistor, Transistor और Diode द्वारा बनाया जाता है।
logic gate मे resistor का उपयोग वोल्टेज को ड्रॉप करने के लिए किया जाता है । Resistor के द्वारा वोल्टेज को ड्रॉप करके किसी सर्किट की लोड के सिरो बीच potential difference को कम या अधिक किया जा सकता है यानी वोल्टेज को कम या ज्यादा किया जा सकता है और इसके कारण ही करेंट की प्रवाह पर हम नियंत्रित पा सकते हैं।
logic gate को केवल ट्रांजिस्टर का उपयोग करके भी बनाया जा सकता है। Logic gate मे ट्रांजिस्टर का उपयोग logically function के लिए किया जाता है।
logic gate को diode का उपयोग करके भी बनाया जा सकता है। Logic gate मे डायोड का उपयोग logically function के लिए किया जाता है।
मुख्यत: logic gate को TTL और CMOS द्वारा बनाया जाता है। TTL – Transistor-Transistor Logic गेट होती है। TTL मे प्राय: PNP और NPN bipolar junction ट्रांजिस्टर का उपयोग किया जाता है। जबकि CMOS –Complementary Metal-Oxide-Silicon से बनी logic gate होती है। CMOS logic gate प्राय: MOSFET और JFET जैसे फील्ड effect ट्रांजिस्टर होती है।
FAQ’s Logic Gate से संबंधित
लॉजिक गेट से आप क्या समझते हैं?
Logic gate तार्किक रूप से कार्य (logically function) करने वाली digital डिवाइस है।
GATE कितने प्रकार के होते हैं?
Logic gate 7 प्रकार के होते हैं – AND gate, OR gate , NOT gate ,NAND gate , NOR gate , XOR gate , XNOR gate
लॉजिक गेट के उपयोग क्या है?
logic gate का उपयोग सबसे ज्यादा मोबाइल और कंप्यूटर के इंटीग्रेटेड सर्किट IC और प्रोसेसर CPU मे किया जाता है।
लॉजिक गेट कौन से मिग्नल पर काम करता है?
logic gate बाइनरी सिग्नल या binary code 0 और 1 पर कार्य करती है।
लॉजिक गेट किससे बनता है?
logic gate को ट्रांजिस्टर , डायोड और प्रतिरोध द्वारा बनाया जाता है।