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free electron in hindi, energy band in hindi & Energy level in hindi ये सभी Electrical and Electronics engineer की पहला Topics है जहां से EEE की journey शुरू होती है। आइए इस टॉपिक को details से समझने की कोशिश करते हैं।
Electrical and Electronics की fundamental को समझने के लिए electron की energy level, energy band और free electron को समझना अति अति महत्वपूर्ण है। क्यूंकि ये तीनो टॉपिक एक दूसरे के साथ संबंधित है। अर्थात यही से Electrical and Electronics की शुरुवात होती है।
Energy band & Energy level meaning in Hindi
Energy band = ऊर्जा पट्टी या ऊर्जा पट्टिका
Energy level = ऊर्जा स्तर
Energy level kya hai ?
केवल एक isolated परमाणु के प्रत्येक इलेक्ट्रॉन की अपनी अपनी समर्पित मार्ग होती है जिसे भ्रमण-पथ ( shell, subshell ) कहा जाता है। इस subshell से ही यह इलेक्ट्रॉन अपनी न्यूक्लियस की चक्कर लगाता है। इन्ही shell को ही परमाणुओ की ऊर्जा स्तर या Energy level कहा जाता है। प्रत्येक shell या subshell की यह Energy level fixed होती है। यदि किसी इलेक्ट्रॉन की energy , atom की 2nd shell energy level के समान है तो यह इलेक्ट्रॉन 2nd shell मे न्यूक्लीयस का चक्कर लगाएगी।
Enegy band kya hai ?
जब एक से अधिक atom आस पास होती है तब इलेक्ट्रॉन की shell या energy level बिखर जाति है । अत: इलेक्ट्रॉन की निश्चीत (fixed) energy level बिखर के एक band के रूप ले लेती है। जिसे energy band कहा जाता है।
इलेक्ट्रोन की fixed shell या energy level बिखरने का कारण , उनकी आस पास की atom होती है जो प्रत्येक atom अपने पास वाली इलेक्ट्रॉन के साथ interaction करती है जिसके परिणामस्वरूप अपनी fixed shell मे चक्कर लगा रहे इलेक्ट्रॉन अपनी orbit से भटक जाति है और अपनी fixed shell की दायरा को बढ़ाती है जो एक band के रूप में दिखाई देती है।
आगे देखे विस्तारपूर्वक चर्चा की गई है।
Free electron kya hai ?
किसी atom के last shell की energy band का valace band और conduction band , यदि एक दूसरे को overlap करती है तब इलेक्ट्रॉन अपने न्यूक्लियस की attached से free हो जाती है । अर्थात अब यह इलेक्ट्रॉन किसी दूसरी atom मे भी बहुत ही आसानी से जा सकती है । अत: यह इलेक्ट्रॉन अपने atom को छोड़कर कही भी गति कर सकती है इस प्रकार की atom को free electron कहा जाता है।
Free electron की पुरी theory नीचे मे विस्तारपूर्वक चर्चा की गई है।
आइए अब इन तीन टॉपिक energy level, energy band और free electron को विस्तारपूर्वक समझने की कोशिश करेंगे।
Enegy level in hindi
एक isolated atom के electron की energy निश्चित (fixed) होती है इसलिए इसे energy level कहा जाता है। Isolated atom मे प्रत्येक इलेक्ट्रॉन की energy निश्चित (fixed) होने के कारण ही प्रत्येक इलेक्ट्रॉन अपनी अपनी shell मे न्यूक्लियस की चक्कर लगाती रहती है।
आइए एक isolated atom की shell के energy level की चर्चा करेंगे।
वैसे आप सभी जानते होंगे एक atom के न्यूक्लियस के चारो ओर इलेक्ट्रॉन चक्कर लगाती रहती है जिस मार्ग में इलेक्ट्रोन चक्कर लगाती है उसे shell कहा जाता है । प्रत्येक इलेक्ट्रॉन अपनी अपनी shell मे न्यूक्लियस का चक्कर लगाती है। प्रत्येक shell की अपनी अपनी subshell भी होती है। वास्तव मे इलेक्ट्रॉन अपनी subshell मे ही न्यूक्लियस की चक्कर लगाती है।
इलेक्ट्रोन की shell मे energy level
इलेक्ट्रोन की shell को K, L, M, N से प्रदर्शित किया जाता है।
K shell के इलेक्ट्रोन की energy level बहुत ही कम होती है।इलेक्ट्रोन की Shell को quantum number (n) के आधार पर व्यवस्थित किया गया है।
K shell – Quantum number ( n)=1 मे केवल 2 इलेक्ट्रोन रह सकती है जिनकी lowest energy होती है । जो करीब –13.6 ev energy level होती है।
L shell –Quantum number (n) =2 मे 8 इलेक्ट्रोन हो सकती है। इस shell मे थोड़ी energy अधिक होती है जो करीब –3.40 ev energy level होती है इसलिए 8 इलेक्ट्रोन को पकड़ सकती है ।
M shell –Quantum number ( n)=3 मे 18 इलेक्ट्रोन हो सकती है एवं जिसकी enegy level –1.51ev होती है।
N shell –Quantum number ( n)=4 मे 32 इलेक्ट्रोन हो सकती है एवं जिसकी enegy level –0.85 ev होती है जो n=1,2,3 की तुलना में बहुत अधिक है इसलिए अधिक इलेक्ट्रॉन को पकड़ करके रख सकती है।
इसी तरह इलेक्ट्रोन shell जैसे जैसे बढ़ती जाती है वैसे उसकी energy level 0ev तक पहुंचती है।
कुछ निश्चित external energy देके shell की n=1 की इलेक्ट्रॉन को n=2 मे transfer किया जा सकता है । दिया गया निश्चित external energy इलेक्ट्रोन द्वारा absorbed कर लेती है और इस प्रकार से यदि इलेक्ट्रॉन की energy दूसरी shell के energy level के बराबर होने पर उस energy level वाली shell मे चल जाती है। लेकिन इस unstable state मे इलेक्ट्रॉन लंबे समय तक नहीं रह पाती है और यह अपने पुराने shell मे जाति है तब जितना energy absorbed किया था उतना ही energy को अब उत्सर्जन (emits) करेगी और यही ऊर्जा electromagnetic waves के रुप मे emit होती है जो एक लाइट के रूप मे होती है।
इलेक्ट्रोन की subshell मे energy level
इलेक्ट्रोन की Subshell को s, p, d, f से प्रदर्शित किया जाता है। s subshell केवल 2 इलेक्ट्रॉन को रख सकता है । p subshell मे 6 इलेक्ट्रोन हो सकते हैं। d subshell मे 10 इलेक्ट्रोन हो सकते हैं और f subshell मे 14 इलेक्ट्रोन हो सकते है। अत: किसी atom की electron configuration – 1s² 2s² 2p⁶ 3s² 3p⁶ 4s² 3d¹⁰ होती है। 1,2,3 और 4 नंबर atom की shell की नंबर को प्रदर्शित करती है। subshell s,p,d,f की Power संख्या इलेक्ट्रॉन की संख्या को प्रदर्शित करती है।
lower shell की enegy बढ़ते हुए क्रम s<p<d<f मे होती है। जबकि higher shell की energy level की क्रम भिन्न होती है।
Energy band कैसे बनती है ?
जब एक से अधिक atom आस पास होती है तब सभी isolated atom के प्रत्येक इलेक्ट्रोन की निश्चित (fixed) energy level बिखर जाति है और एक band के रूप परिवर्तित हो जाती है जिसे energy band कहा जाता है।
अर्थात, एक atom के इलेक्ट्रोन की निश्चित (fixed) energy level बिखरने का कारण एक से अधिक atom की आस पास होने से इलेक्ट्रॉन अपने आस पास वाले atom की interaction के कारण इलेक्ट्रोन अपनी निश्चित (fixed) shell से भटक जाति है जिससे इलेक्ट्रॉन की निश्चित (fixed) energy level बिखर जाति है और उसकी energy एक band के रूप मे दिखाई देती है इसलिए इसे energy band कहा जाता है। Energy band के प्रत्येक इलेक्ट्रोन की energy level और position भिन्न भिन्न होती है। यह isolated एक atom के इलेक्ट्रोन की व्यवहार से पुरी तरह भिन्न होती है।
आइए silicon का उदाहरण से समझते हैं। हमलोग के पास silicon की एक से अधिक atom है। याद रखे एक isolated atom के इलेक्ट्रोन की energy level निश्चित (fixed) होती है लेकिन एक से अधिक atom होने से atom के बीच interaction होती है जिससे प्रत्येक atom के प्रत्येक इलेक्ट्रोन की energy level बिखरके energy band के रूप में परिवर्तित हो जाती है। atom के प्रत्येक इलेक्ट्रोन की energy level बिखरके energy band मे किस तरह बिखरती है आइए समझे।
सबसे पहले हम silicon का atomic number को निकलते है। silicon का atomic number 14 होता है इसलिए silicon की इलेक्ट्रॉन configuration = 1s² 2s² 2p⁶ 3s² 3p² = 14 electron
configuration
1s² = 1st shell के subshell मे 2 इलेक्ट्रोन
2s² 2p⁶ = 2nd shell के subshell मे 8 इलेक्ट्रोन
3s² 3p² = 3rd shell के subshell मे 4 इलेक्ट्रोन
atom की valance electron या last orbit को छोड़कर बाकी shell atom की न्यूक्लियस से अच्छी तरह bound होती है। इसलिए यहां हम केवल atom की last shell यानी silicon atom की 3rd shell की बात करेंगे ।
अब : silicon के एक atom की 3rd shell मे केवल 4 इलेक्ट्रोन है।
इसलिए silicon के सभी atom की last shell मे कुल इलेक्ट्रॉन = 4 × N होगी। N= Atom की कुल संख्या
[अब: चुंकि एक atom के इलेक्ट्रोन की configuration= 1s² 2s² 2p⁶ 3s² 3p⁶ 4s² 3d¹⁰ इस प्रकार होती है।]
इसलिए इलेक्ट्रोन की configuration नियमानुसार isolated एक atom की 3rd shell के Subshell s और p मे इलेक्ट्रॉन की संख्या= 3s² 3p⁶ = 8 इलेक्ट्रॉन उपलब्ध हो सकती हैं। लेकिन isolated एक atom की 3rd shell के दो subshell मे केवल 2 energy level , 3s और 3p होगी क्यूंकि केवल 2 subshell है जो s subshell अपनी fixed energy level के कारण केवल 2 इलेक्ट्रोन को पकड़ करके रख सकती है। जबकि p subshell अपनी energy level , s subshell से थोड़ी अधिक होने के कारण 6 इलेक्ट्रोन को पकड़ करके रख सकती है।
अब: चुंकि isolated एक silicon atom के 3rd shell मे केवल 4 इलेक्ट्रोन है लेकिन वास्तव मे 3rd shell के 2 subshell नियमानुसार 3s² 3p⁶ = 8 इलेक्ट्रोन को पकड़ने की क्षमता रखती है। इसलिए silicon के एक atom के 3rd shell मे 8 इलेक्ट्रोन उपलब्ध हो सकती है ।
इसलिए सभी N silicon atom के 3rd shell मे उपलब्ध हो सकने वाली इलेक्ट्रोनो की कुल संख्या= 8N इलेक्ट्रोन होगी। N= सभी solicon atom की संख्या है।
चुंकि सभी N silicon atom के 3rd shell मे 8N इलेक्ट्रोन उपलब्ध हो सकती है और जबकि अब silicon atom की संख्या बहुत ज्यादा है और आस पास है इसलिए atom के बीच interaction होने के कारण प्रत्येक 8N इलेक्ट्रोन अपनी isolated एक atom की subshell से पूरी तरह से बिखर जायेगी अर्थात अपनी पुरानी subshell मे नही रहेगी बल्कि अब silicon की प्रत्येक 8N इलेक्ट्रोन भिन्न भिन्न अवस्था (position) मे रहेगी। प्रत्येक 8N इलेक्ट्रोन की अवस्था या position भिन्न भिन्न होने का कारण , उनकी energy level का भिन्न होती है या बिखर जाती है।
कुल मिलाकर देखा जाए तो जब एक isolated silicon atom था तब उनकी 3rd shell की energy level 3s & 3p केवल 2 थी लेकिन जैसे ही silicon की बाकी सभी atom आस पास आई और atom के बीच interaction हुई तब उनकी energy level बिखर गई और energy level एक energy band के रूप में परिवर्तित हो गई जैसा की आप डायग्राम में देख सकते हो। इसी को energy band कहा जाता है।
इसलिए चुंकि प्रत्येक 8N इलेक्ट्रोन की position अलग अलग है इसलिए उनकी कुल energy level की संख्या कुल 8N इलेक्ट्रोन की बराबर होगी क्यूंकि अब बिखरने के बाद प्रत्येक 8N इलेक्ट्रोन की अपनी अपनी खुद की energy level होगी। अर्थात हम ये कह सकते हैं की अब 8N इलेक्ट्रोन की 8N energy level होगी। अत: silicon की energy level 8N होगी और यही 8N energy level एक valence band के रुप मे दिखाई देती है।
वास्तव मे silicon की एक atom के last shell मे केवल 4 इलेक्ट्रॉन होती है जो केवल दो subshell , 3s और 3p मे होती है इसलिए एक atom की केवल 2 energy level , 3s और 3p होगी जबकि सभी कुल N atom की last shell मे 4N इलेक्ट्रोन होगी और चुंकि अब एक से अधिक atom के interaction के कारण 4N इलेक्ट्रोन 8 N energy level की दायरे मे अस्थिर रुप में भ्रमण करेगी अर्थात 4N इलेक्ट्रोन कोई भी fixed energy level मे भ्रमण नही करेगी बल्कि 8 N energy level मे ही unstable या अव्यवस्थित रूप मे भ्रमण करने के कारण 8 N energy level एक band के रूप में दिखाई देती है क्यूंकि 4N इलेक्ट्रोन हर समय एक energy level से दूसरी energy level, दूसरी से तीसरी या तीसरी से दुसरी energy level मे अनिश्चित या अव्यवस्थित रूप मे भ्रमण करने के कारण ही उनकी energy level एक energy band की तरह दिखाई देती है। energy level एक fixed भ्रमण shell होती है जबकि energy band एक चौड़ी area (क्षेत्र) होती है जिस क्षेत्र में इलेक्ट्रोन अव्यवस्थित भ्रमण करती रहती हैं।
Silicon की 4N इलेक्ट्रोन केवल valence band मे ही भ्रमण करती है और conduction band खाली रहती है अत:अभी silicon मेटल एक insulator की तरह कार्य करेगी । लेकिन जैसे ही silicon मेटल को extra energy दिया जाए तो इनकी इलेक्ट्रोन valence band से conduction band मे move कर जाति है और conduction band मे यही इलेक्ट्रॉन free electron की तरह कार्य करेगी इसलिए silicon मेटल अब एक conductor बन जाती है। इसलिए silicon मेटल को semiconductor कहा जाता है।
याद रखे हमलोग silicon की केवल 3rd shell या अंतिम shell वाली इलेक्ट्रॉन की बात कर रहे हैं जिनकी संख्या 8N है।
Valece band – valance band वह energy band होती है जिसके इलेक्ट्रॉन की energy काफी कम होती है इसलिए ये अपने atom की चक्कर लगाती है।
Forbidden energy gap – forbidden energy gap वह gap होती है जो Valence band की ऊपरी और conduction band की सबसे निचले भाग के energy के बीच का अंतर होता है।
Conduction band & free electron in hindi , conductor, semiconductor & insulator in hindi
conductor, semiconductor & insulator को समझने के लिए आपको energy band को अच्छी तरह से समझना है।
Conduction band और free electron क्या है?
conduction band एक ऐसी energy band होती है जिसमें इलेक्ट्रोन की energy बहुत ही अधिक होती है इसलिए इस band की इलेक्ट्रॉन कही भी आसानी से जा सकती है या दूसरी atom मे भी move कर सकती है। अर्थात इस band की इलेक्ट्रॉन atom के न्यूक्लियस की attached से पूरी तरह free होती है इसलिए इस प्रकार की इलेक्ट्रॉन को free electron कहा जाता है। इस free electron की गति के कारण इलेक्ट्रिक current बनती है एवं इस free electron के कारण conductor बनती है।
Semiconductor और free electron (इलेक्ट्रोन)
Silicon atom की electron configuration – 1s² 2s² 2p⁶ 3s² 3p² = 14 electron । अर्थात silicon की last shell यानी 3rd shell मे इलेक्ट्रॉन की संख्या = 3s² 3p² = 4 इलेक्ट्रोन है। अगर किसी metal के last orbit मे 4 इलेक्ट्रोन होती है तो वह metal semiconductor होती है। Semiconductor मे valence band और conduction band के बीच थोड़ी सी forbidden energy gap रहती है। इसलिए साधारण अवस्था मे silicon या semiconductor के सभी इलेक्ट्रॉन केवल valence band मे ही होती conduction band मे एक भी इलेक्ट्रॉन नहीं होती है इसलिए यह एक insulator की तरह कार्य करती है और यदि थोड़ी extra energy दी जाए तो इनकी इलेक्ट्रोन valence band से conduction band मे move कर जाति है और यही इलेक्ट्रॉन अब free electron की तरह कार्य करती है। इसलिए अब semiconductor एक चालक की तरह कार्य करेगी।
Conductor और free electron (इलेक्ट्रोन )
Conductor के atom की last shell मे इलेक्ट्रॉन की संख्या 4 से कम होती है। सबसे अच्छी conductor के atom की last shell मे केवल एक ही इलेक्ट्रॉन होती है जो free electron कहलाती है। एक atom के केवल एक ही free electron एक अच्छी इलेक्ट्रिक current प्रवाह कर सकती है क्यूंकि यदि एक atom की free electron की संख्या अधिक हुई तो ये आपस मे टकरानी की वजह से free इलेक्ट्रोन की गति मे प्रभावित होती है। Conductor मे valence band और conduction band एक दूसरे के उपर overlap होती है इसलिए conductor मे नॉर्मल अवस्था मे भी free electron होती है। अर्थात साधारण अवस्था मे भी conductor के इलेक्ट्रोन या जिस मेटल की last shell मे इलेक्ट्रॉन की संख्या 4 से कम होती है तो वैसे मेटल की इलेक्ट्रॉन पहले से ही conduction band मे होती है और conduction band वाली इलेक्ट्रॉन ही free electron की तरह कार्य करती है।
Insulator और free electron
जबकि insulator के atom की last shell मे इलेक्ट्रॉन की संख्या 4 से अधिक होती है। Insulator मे valence band और conduction band की energy gap बहुत ही अधिक होती है इसलिए नॉर्मल अवस्था मे insulator के इलेक्ट्रोन valence band मे ही होती है और valence band की इलेक्ट्रॉन conduction band तक नहीं पहुंच पाती है क्यूंकि valence band की इलेक्ट्रॉन न्यूक्लियस के साथ अच्छी तरह attached होती है इसलिए इनकी इलेक्ट्रोन free इलेक्ट्रोन नही होती है इसलिए यह एक insulator की तरह कार्य करती है।