What is electric current in hindi,electric current kya hai या vidyut dhara kya hai ? एवं DC AC current kya hai ? आदि का विस्तारपूर्वक वर्णन को आगे देखे
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Electric current का परिचय
वैसे हम सभी Electric current (विद्युत धारा) या बिजली से भली भाँति परिचित है इसलिए संक्षेप में बताना चाहेंगे।
कारखाने के मशीन और हमारे घर के टेलीविजन, कंप्यूटर एवं बल्ब लाईट जैसी उपकरण को चलाने के लिए Electric current या बिजली की आवश्कता होती हैं ।
आज की दुनिया में कोई भी छोटी या बड़ी काम के लिए Electric current का उपयोग व्यापक मात्रा मे हो रही है और भविष्य मे भी इसका उपयोग बढ़ता ही रहेगा।
Electric current meaning in hindi
Current = बहाव या flow
Current= धारा, प्रवाह
Electric = विद्युत
Electric current= विद्युत धारा, vidyut dhara
Electric current definition in Hindi
किसी चालक में free इलेक्ट्रोन की प्रवाह की दर को विद्युत धारा कहा जाता है।
अर्थात, एक निश्चित समय में किसी चालक के क्रॉस सेक्शन क्षेत्र से होकर प्रवाह होने वाली इलेक्ट्रिक चार्ज की मात्रा को current कहा जाता है।
What is electric current in hindi (vidyut dhara kya hai)
वास्तव में इलेक्ट्रिक चार्ज की निश्चित दिशा में प्रवाह या गति को ही इलेक्ट्रिक करेंट कहा जाता है।
इलेक्ट्रिक करेंट negative या positive दोनो प्रकार के चार्ज के प्रवाह से बनती है।
लेकिन इलेक्ट्रिकल सिस्टम में अधिकतर इलेक्ट्रिक चार्ज का flow चालक तार में होती है और जबकि चालक तार मे Free इलेक्ट्रोन ही चार्ज कैरियर होती है यानी ठोस (solid) चालक मे free इलेक्ट्रोन ही move कर सकती है जो negative चार्ज होती है । इसलिए इनके आधार पर इलेक्ट्रिक करेंट को हमलोग इस तरह समझ सकते हैं –
Free electron की निश्चित दिशा में गति या प्रवाह को इलेक्ट्रिक करेंट कहा जाता है। Free इलेक्ट्रोन एक नेगेटिव चार्ज (Q) कैरियर होती है।
अत: किसी चालक तार के क्रॉस सेक्शन क्षेत्र से एक निश्चित समय (t) में बहने वाली free इलेक्ट्रोन (Q) की मात्रा (quantity) की माप से current की क्षमता का पता चलता है एवं इसे एम्पीयर (ampere) unit मे मापा जाता है।
जैसा की डायग्राम मे दिखाया गया है conductor के cross section क्षेत्र से t = 1 second मे बहने वाली चार्ज (Q) या free electron की मात्रा को ही हम electric current कह सकते हैं।
1 second मे बहने वाली चार्ज की मात्रा (quantity) से currentकी क्षमता का पता चलता है। जैसे यदि चालक के cross section क्षेत्र से 1 सेकंड में 10 coulomb चार्ज बहती है तो current की क्षमता कम होगी और यदि 1 सेकंड 100 coulomb चार्ज बहती है तो current की क्षमता अधिक होगी।
आज के समय में अधिकतर जनरेटर और बैटरी का उपयोग ठोस चालक तार के बीच potential difference उत्पन्न करने के लिए किया जाता है और जबकि free इलेक्ट्रोन तो सभी चालक तार में होती है इसलिए इन चालक तार के free इलेक्ट्रोन को potential difference या वोल्टेज द्वारा move कराया जाता है जिससे electric current बनती है। सभी प्रकार के पावर प्लांट में एक बहुत बड़ी जनरेटर लगी होती है जहां से हमारे घरों में बिजली आती है।
इलेक्ट्रिक करेंट दो प्रकार की होती है AC करेंट और DC करेंट।
हमारे घरों में आने वाली बिजली भी इलेक्ट्रिक करेंट ही होती है। आप जो अपने मोबाइल , कंप्यूटर , fan , लाइट टेलीविजन या जो कुछ भी बिजली से चलाते हो वो सभी इलेक्ट्रिक करेंट के कारण ही ऑपरेट होती है। इसलिए इलेक्ट्रिक करेंट का हमारे दैनिक जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है।
vidyut dhara important qun hai
Electric current एक प्रकार की इलेक्ट्रिकल energy होती है। जैसा की हम सब पढ़ते आ रहे है energy हमारे जीवन के लिए और इस दुनिया की आस्तित्व के लिए बहुत बहुत ही महत्वपूर्ण है । Energy से किसी शरीर या physical system मे कुछ कार्य कर सकने की क्षमता होती है। Energy को एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित कर सकते है लेकिन इसे ना तो बनाया जा सकता है ना तो नष्ट किया जा सकता है।
1 एंपियर इलेक्ट्रिक करेंट से आप क्या समझते हैं ?
अत: 1amp current से हम यह समझ सकते हैं की किसी चालक (conductor) तार के क्रॉस सेक्शन क्षेत्र से हर एक सेकंड में बहने वाली चार्ज की मात्रा 1 coulomb है । अर्थात एक सेकंड में 6.24 × 10¹⁸ free electrons किसी चालक तार के क्रॉस सेक्शन क्षेत्र से गुजरता है तो उसे 1amp करेंट कहा जाता है। चुंकि 1 coulomb= 6.24 × 10¹⁸ electron
चूंकि Current= Q/t
इसलिए Current= 1coulomb/1second=6.24 × 10¹⁸ electron/1second = 1amp
चार्ज की प्रवाह को Electric current क्यूं कहा जाता है?
Electric ( विद्युत) – जब चार्ज या आवेश बनती है तब यह चार्ज या आवेश एक विद्युत क्षेत्र उत्पन्न करती है जिसे electric field भी कहा जाता है। इसलिए हम यह समझ सकते हैं की चार्ज मतलब electric field। इस चार्ज को जब प्रवाह किया जाता है तब यह electric field के साथ साथ magnetic field को भी उत्पन्न करती है।
Current (धारा) – करेंट का मतलब धारा, प्रवाह , गति इत्यादि होती है।
इसलिए , चार्ज की प्रवाह =विद्युत क्षेत्र की धारा =electric field current या जिसे केवल electric current (विद्युत धारा) कहा गया।
Vidyut dhara kaise banti hai या electric current kaise banti hai
atom के इर्द गिर्द सभी इलेक्ट्रॉन गति करते रहते हैं लेकिन atom के वैसे इलेक्ट्रॉन जो atom के last shell मे होती है और जो एक atom से दूसरे atom मे जा सकती है वो free इलेक्ट्रोन होती है।
वैसे तो atom के free इलेक्ट्रोन भी हमेशा अपने atom के इर्द गिर्द गति करती रहती है लेकिन इस तरह free इलेक्ट्रोनो का atom के इर्द गिर्द गति करने से इलेक्ट्रिक करेंट नही बनती है क्यूंकि साधारण अवस्था में atom न्यूट्रल अवस्था में होती है यानी कोई चार्ज नहीं होती है लेकिन जैसे ही कोई इलेक्ट्रॉन अपने parent atom को छोड़ कर दूसरी atom मे जाति है तब यह इलेक्ट्रॉन नेगेटिव चार्ज बनती है और parent atom पोजिटिव चार्ज बनती है और यदि इसी चार्ज को flow किया जाए तो करेंट उत्पन्न होती है। इसलिए किसी चालक तार में उपस्थित free इलेक्ट्रोन को यदि बैटरी द्वारा प्राप्त वोल्टेज से दबाव (Pressure) दे कर move करवाया जाए तो इलेक्ट्रिक करेंट बनती है।
विद्युत धारा (electric current) का तात्पर्य इलेक्ट्रिक चार्ज का निश्चित दिशा में flow होना है। अर्थात इलेक्ट्रिक चार्ज का गति करना ही विद्युत धारा (electric current) कहलाता है। इसलिए इलेक्ट्रिक करेंट को उत्पन्न करने के लिए हमे इलेक्ट्रिक चार्ज को निश्चित दिशा में गति करवाना होगा।
free इलेक्ट्रोनों का एक atom से दूसरे atom की ओर गति करवाने के लिए एक बल (force) की आवश्यकता होती है । यह बल विभिन्न प्रकार की हो सकती है।लेकिन किसी चालक तार मे free इलेक्ट्रोनों की प्रवाह potential difference या वोल्टेज के कारण संभव हो पाती है। Potential difference के कारण free इलेक्ट्रोन को एक बल का अनुभव होता और वह move करने लकती है जिसके परिणामस्वरूप करेंट उत्पन्न होती है।
इलेक्ट्रिक चार्ज (free electron) को किसी चालक में गति (move) करवाने के लिए उस चालक के एक सिरे को चार्ज की high potential और उस चालक के दूसरे सिरे को चार्ज की low potential क्षेत्र उत्पन्न करना होता है जिसे voltage भी कहा जाता है तभी ही किसी चालक मे इलेक्ट्रिक चार्ज move करेगी एवं जिससे करेंट उत्पन्न होगा। जैसा की डायग्राम में दिखाया गाया है बैटरी की पॉजिटिव टर्मिनल ( +) मे वोल्टेज 5 volt का है जबकि बैटरी के नेगेटिव टर्मिनल (–) मे वोल्टेज 0 volt का है इसलिए पॉजिटिव टर्मिनल और नेगेटिव टर्मिनल के बीच potential difference= 5 volt – 0 volt = 5 volt । अर्थात potential difference 5 volt का है इसलिए इस सर्किट मे current flow करेगी।
अगर negative चार्ज या free इलेक्ट्रोन को चालकता पदार्थ के एक विशेष क्षेत्र या एक जगह में इकट्ठा किया जाए तो वह क्षेत्र low potential क्षेत्र उत्पन्न करेगी और free इलेक्ट्रोन को चालकता पदार्थ के जिन क्षेत्र के atom से लाया गया उस क्षेत्र में इलेक्ट्रोन की कमी से पॉजिटिव चार्ज उत्पन्न होगी जिससे वहां हाई potential उत्पन्न होगी।
किसी चालकता पदार्थ मे free electron या इलेक्ट्रिक चार्ज को एक जगह इकट्ठा करने का काम बैटरी या रासायनिक प्रक्रिया द्वारा किया जाता है । जिसके परिणामस्वरूप low potential क्षेत्र और हाई potential क्षेत्र को उत्पन्न करवाया जाता है।
इसके अलावा हमारे घरों में आने वाले बिजली या electric current का उत्पादन पावर प्लांट मे किया जाता है और पावर प्लांट में एक बड़ी जनरेटर होती है। जनरेटर मे लगे coil के दो सिरो के बीच magnetic induction प्रक्रिया द्वारा भी coil के एक सिरे मे low potential और coil के दूसरे सिरे मे हाई potential क्षेत्र उत्पन्न करवाया जाता है जिसके परिणामस्वरूप low potential क्षेत्र से हाई potential क्षेत्र की ओर नेगेटिव चार्ज flow करने लकती है जिसे इलेक्ट्रिक करेंट उत्पन्न होती है।
विद्युत धारा की सूत्र क्या है ?
निश्चित समय या एक सेकंड में बहने वाली चार्ज की मात्रा को इलेक्ट्रिक current कहा जाता है।
I= Q/t
जहां, I = current , Q= charge , t= time
Ohm’s law विद्युत धारा की सूत्र
Ohm’s law के अनुसार विद्युत धारा (electric current) किसी चालक तार के दो बिंदुओं के बीच potential difference या वोल्टेज के समानुपात(directly proportional) मे होती है और चालक तार के व्युत्क्रमानुपाती(inversely proportional) होती है यदि तापमान और भौतिक अवस्था को स्थिर रखा जाए।
I∝V
I∝ 1/R
इसलिए I= V/R
R=V/I
V= IR
जहां, I= current, v= voltage, R=resistance
विद्युत धारा की मापन
दोस्तो विद्युत धारा को मापने के लिए विभिन्न प्रकार की मापक उपकरण बाजार में उपलब्ध है लेकिन आपको हमेशा ये ध्यान रखना है की आपको हाई वोल्टेज करेंट या low वोल्टेज करेंट को मापना है । इसके आधार पर ही उपकरण का उपयोग करे।
विद्युत धारा या electric current को ammeter नामक युक्ति द्वारा मापा जाता है।यह Ammeter दो शब्दो से मिलकर बनी हुई है ये है ampere–meter । Ammeter उपकरण बहुत सी प्रकार की होती है जैसे परमानेंट मैग्नेट मूविंग coil ammeter, मूविंग आयरन ammeter, इलेक्ट्रोडायनेमोमीटर, डिजिटल ammeter ।
परमानेंट मैग्नेट मूविंग coil ammeter यह केवल DC करेंट को मापने के लिए उपयोग किया जाता है। जबकि मूविंग आयरन ammeter को आप DC या AC दोनो पर उपयोग कर सकते हो।इलेक्ट्रोडायनेमोमीटर से भी आप DC और AC दोनो प्रकार के करेंट को माप सकते हो। डिजिटल ammeter भी दो प्रकार की होती है एक DC डिजिटल ammeter होती है जो केवल DC करेंट को मापने के लिए होती है जबकि दूसरी AC डिजिटल ammeter जो AC करेंट को मापने के लिए होती है।
इसके अलावा आप मल्टीमीटर के सहायता से भी आप करेंट को माप सकते हो। मल्टीमीटर भी digitally और एनालॉग अलग अलग प्रकार की होती है।
Ammeter उपकरण को किसी भी सर्किट के साथ series मे कनेक्शन किया जाता है।
विद्युत धारा की SI मात्रक
चूंकि, I= Q/t =coulomb/Sec or amp यानी करेंट की SI unit Ampere होती है ।
महान फ्रेंच भौतिकी और गणितज्ञ आंद्रे-मैरी एम्पीयर के नाम पर इलेक्ट्रिक करेंट की यूनिट को रखा गया है।
विद्युत धारा के छोटे मात्रक
एम्पीयर एक base यूनिट है।
- 1 मिली एम्पीयर (mA) = 10-3 एम्पीयर
- 1 माइक्रो एम्पीयर (µA) =10-6 एम्पीयर
- 1 नेनो एम्पीयर (nA) = 10-9 एम्पीयर
- 1 पीको एम्पीयर (pV)=10-12 एम्पीयर
- 1 फैम्टो एम्पीयर (fA) = 10-15 एम्पीयर
- 1 एटो एम्पीयर (aA) = 10-18 एम्पीयर
विद्युत धारा के बड़े मात्रक
एम्पीयर एक base यूनिट है।
- 1 किलो एम्पीयर=103 एम्पीयर
- 1 मेगा एम्पीयर = 106 एम्पीयर
- 1 गीगा एम्पीयर = 109 एम्पीयर
- 1 टेरा एम्पीयर = 1012 एम्पीयर
- 1 पेटा एम्पीयर = 1015 एम्पीयर
- 1 एक्जा एम्पीयर = 1018एम्पीयर
एम्पीयर को मिली एम्पीयर में बदलना
एम्पीयर को मिली एम्पीयर मे बदलने के लिए 1000 से गुना करना होता है क्यूंकि बड़ी मात्रक को छोटी मात्रक में बदलने के लिए 1000 से गुणा करना होता है जैसे –
1 amp= 1 × 1000 mA= 1000mA
5 amp=5 × 1000 mA = 5000 mA
मिली एम्पीयर को एम्पीयर में बदलना
मिली एम्पीयर को एम्पीयर मे बदलने के लिए 1000 से भागा करना होता है क्यूंकि छोटी मात्रक को बड़ी मात्रक में बदलने के लिए 1000 से भागा करना होता है
5000 mA= 5000/1000 amp = 5 amp (एम्पीयर)
एम्पीयर को किलो एम्पीयर में बदलना
एम्पीयर को किलो एम्पीयर मे बदलने के लिए 1000 से भाग करना होता है क्यूंकि छोटी मात्रक को बड़ी मात्रक में बदलने के लिए 1000 से भाग करना होता है जैसे –
1000 amp=1000/1000 kA=1kA
5000 amp= 5000/1000 kA = 5 kA
किलो एम्पीयर को एम्पीयर में बदलना
किलो एम्पीयर को एम्पीयर मे बदलने के लिए 1000 से गुना करना होता है क्यूंकि बड़ी मात्रक को छोटी मात्रक में बदलने के लिए 1000 से गुणा करना होता है जैसे
5kA = 5×1000 एम्पीयर =5×10³ एम्पीयर = 5000 एम्पीयर
electric current density kya hai
एक इकाई समय में किसी चालक के एक इकाई क्रॉस सेक्शन क्षेत्र से प्रवाहित विद्युत चार्ज की मात्रा को current density कहा जाता है।
यदि किसी चालक से धारा I प्रवाहित हो रही है और प्रवाहित धारा के लम्बवत चालक की क्षेत्रफल A हो तो
current density (J) = I/A amp/m²
पदार्थ मे आवेश वाहक (charge carrier)
ठोस चालक पदार्थ
ठोस चालक पदार्थ मे charge carrier इलेक्ट्रोन होती है जो नेगेटिव चार्ज कैरियर होती है एवं जिसके प्रवाह के कारण इलेक्ट्रिक करेंट बनती है।
अर्धचालक पदार्थ
अर्धचालक पदार्थ मे holes जो पॉजिटिव चार्ज कैरियर होती है और इलेक्ट्रॉन जो नेगेटिव चार्ज कैरियर होती है दोनो प्रकार की चार्ज कैरियर के प्रवाह से ही इलेक्ट्रिक करेंट उत्पन्न होती है।
आयनित गैस और तरल पदार्थ
आयनित गैस और तरल पदार्थ मे भी पॉजिटिव चार्ज कैरियर और नेगेटिव चार्ज कैरियर दोनो प्रकार की चार्ज की प्रवाह से ही इलेक्ट्रिक करेंट उत्पन्न होती है।
Electric current direction in hindi
विद्युत धारा की दिशा को समझने से पहले आपको ये समझना जरूरी है की वास्तव मे विद्युत धारा क्या है किस प्रकार की चार्ज से विद्युत धारा बन रही है। दोस्तो विद्युत धारा या current जो है किसी चालक के विशिष्ट सतह से होकर एक निश्चित समय में बहने वाली चार्ज की मात्रा (quantity) को current कहा जाता है इसलिए इस current की दिशा बहने वाली चार्ज की दिशा के समरूप ही होगी क्यूंकि current जो है वो बहने वाली चार्ज की quantity है इसलिए चार्ज की जो दिशा होगी वही current की दिशा होगी।
साथ में ये भी समझे की जो विद्युत धारा बन रही है वो positive चार्ज के बहाव से बन रही है या negative चार्ज के बहाव से बन रही है। आइए कुछ उदाहरण से समझे
किसी तरल पदार्थ (Liquid ) में विद्युत धारा positive या negative चार्ज के बहाव (flow) से करेंट बनती है। इसलिए सबसे पहले current की दिशा को पॉजिटिव चार्ज (+) से नेगेटिव चार्ज (–) की ओर रखा गया इसलिए conventional current direction को positive (+) से negative (–) की ओर सभी science किताबो की theory में दर्शाया गया।
एक लंबे समय पश्चात जब ठोस चालक (conductor) मे current बनने की प्रक्रिया का सही से अध्ययन किया गया तो पाया गया की किसी ठोस चालक में करेंट केवल इलेक्ट्रॉन की प्रवाह के कारण उत्पन्न होती है। इलेक्ट्रोन एक नेगेटिव चार्ज होती है। अत ठोस चालक में नेगेटिव चार्ज के प्रवाह से करेंट उत्पन्न होती है। इसलिए current की दिशा भी नेगेटिव चार्ज (–) से पॉजिटिव चार्ज (+) की ओर होना चाहिए। वास्तव मे ऐसा ही है।
लेकिन दुनिया भर की सभी science किताबो की theory में पहले से current की दिशा को पॉजिटिव (+) से नेगेटिव (–) की ओर दर्शाया गया है इसलिए अब इसको बदलना बहुत परेशानी वाली प्रक्रिया है इसलिए इसको बदला नहीं गया और current की दिशा को पॉजिटिव (+) से नेगेटिव (–) की ओर दर्शाया गया जिसे conventional current direction नाम दिया गया।
types of electric current in hindi
विद्युत धारा(current) दो प्रकार की होती है
- AC (Alternating current) or AC vidyut dhara
- DC ( Direct current) or DC vidyut dhara
ac current kya hai
AC= alternating current
Alternating = बारी बारी से बदलना
Current = धारा, प्रवाह
प्रत्यावर्ती धारा या AC एक ऐसी करेंट होती है जिसकी दिशा हमेशा बदलती रहती है।
AC करेंट को समझने के लिए सबसे पहले आपको AC करेंट की दिशा को समझना होगा। AC करेंट की दो दिशा होती है और इस दो दिशा में ही हमेशा बदलती रहती है।
AC करेंट की पहली दिशा Phase wire से neutral wire की ओर होती है जिसे Positive cycle कहा जाता है जैसा की डायग्राम में दिखाया गया है।
AC करेंट की दिशा phase wire से neutral wire की ओर केवल 0.01 सेकंड के लिए रहती है यानी केवल 0.01 सेकंड के लिए positive cycle बनती है। उसके बाद अगले 0.02 सेकंड मे करेंट की दिशा neutral wire से phase wire की ओर हो जाती है जिसे negative cycle कहा जाता है क्यूंकि करेंट की दिशा 0.01 सेकंड के बाद 0.02 सेकंड मे बदल जाती है यानी postive cycle की उल्टा दिशा में हो जाती है इसलिए इसे negative cycle कहा जाता है। जैसा की नीचे डायग्राम में दिखाया गया है।
और इस तरह 0.03 सेकंड में फिर से positive cycle हो जाती एवं अगले 0.04 सेकंड मे फिर से negative cycle हो जाती है। AC करेंट हमेशा positive cycle और negative cycle मे ही बार बार बदलती रहती है। AC करेंट में निरंतर यही प्रक्रिया चलती रहती है।
एक positive cycle और एक negative cycle को मिलाकर एक complete cycle बनती है और इस तरह AC करेंट 1 सेकंड में 50 complete cycle पूरा करती है जिसे 50 Hz frequency बोला जाता है।
AC current की Positive cycle
जब करेंट की दिशा phase wire से neutral wire की ओर होती है तो इसे positive cycle कहा जाता है जैसा की उपर में हम सिख चुके हैं । दोस्तो AC करेंट की positive cycle मे भी अलग अलग समय अंतराल के अलग अलग position या बिंदु पर करेंट और वोल्टेज की मात्रा में बदलाव समय के साथ होती रहती है यानी वोल्टेज और करेंट की मान समय के साथ बदलती रहती है यानी fixed नही रहती है। आइए इनको कुछ position के आधार पर समझने की कोशिश करेंगे।
position A
Positive cycle की पोजीशन A मे X axis(time)=0 & Y axis(voltage)=0 इसलिए इस पोजीशन A मे voltage और करेंट की मान शून्य होती है इसलिए इस पोजीशन में बल्ब नही जलेगी।
Position B
समय थोड़ी बढ़ने पर positive cycle मे करेंट और वोल्टेज भी दोनो धीरे धीरे positition A से position B की ओर बढ़ने लकती है तो करेंट और वोल्टेज की मात्रा शून्य से बढ़ जाती हैं इसलिए बल्ब धीरे धीरे जलने लकती है। जैसा की डायग्राम में देख सकते हो।
Position C
Positive cycle की आधा समय होने पर Positive cycle मे करेंट और वोल्टेज की पोजीशन A से B फिर पोजीशन B से C मे जाति है। position C मे वोल्टेज और करेंट की मान maximum होती है जिसे peak वोल्टेज या peak करेंट कहा जाता है इसलिए बल्ब सबसे अधिक जलती है।
Position D
अब जैसे ही करेंट और वोल्टेज पोजीशन D की तरफ जाति है अर्थात समय जैसे जैसे बढ़ती है तो voltage और करेंट की मान भी धीरे धीरे कम होने लगती है इसलिए बल्ब भी पोजीशन C की तुलना में कम जलती है।
Position E
समय जैसे जैसे बड़ती जाति है वैसे ही positive cycle की position E पहुंच जाती है। positive cycle की position A और पोजीशन E एक समान है इन दोनो पोजीशन में करेंट और वोल्टेज की मान शून्य हो जाती है इसलिए बल्ब नही जलती है और यही पर positive cycle समाप्त हो जाती है एवं इसके बाद Negative cycle शुरू हो जाती है। Positive cycle जितना समय के लिए होती है उतनी ही समय के लिए negative cycle भी होती है।अर्थात positive cycle और negative cycle की समय अंतराल एक समान होती है।
AC की negative cycle
दोस्तो negative cycle की पोजीशन में करेंट और वोल्टेज की मान(value) Positive cycle की position के समान ही समय के साथ बदलती रहती है लेकिन उनके बीच difference केवल करेंट की दिशा की होती है।
Result ( परिणाम)
AC की positive cycle के position A & E मे करेंट और वोल्टेज की मान शून्य हो जाती है इसलिए इस समय बल्ब नही जलती है। positive cycle के position E के बाद negative cycle शुरू हो जाती है।
अत: AC के positive cycle और negative cycle के बीच में ऐसा पोजीशन आती है जहां वोल्टेज और करेंट शून्य हो जाती है इसलिए बल्ब नही जलती है।
लेकिन हमारे घर में आने वाले AC लाइन के बल्ब तो हमेशा जलती रहती है । ऐसा इसलिए क्यूंकि AC के positive cycle और negative cycle 1 सेकंड मे 50 बार बदलती है और इस 50 बार बदलने के क्रम में ही एक ऐसा पोजीशन आने की समय बहुत बहुत ही कम होती है जहां वोल्टेज और करेंट की मान शून्य हो जाती है।
ऐसा पोजीशन आने की समय सीमा अत्यधिक छोटी होती हैं एवं positive से negative मे बदलने की प्रक्रिया बहुत बहुत ही स्पीड से होती है जिससे बल्ब को बुझने की समय नही मिल पाता और इतनी छोटी समय सीमा में ये प्रक्रिया होने के कारण हमलोगो को इसका एहसास तक नहीं हो पाता है और इसका नतीजा हमलोगो को AC लाइन की बल्ब हमेशा जलती दिखाई देती है।
AC current definition in Hindi
समय की नियमित अंतराल पर अपने परिमाण और दिशा को बदलने वाली current को AC current कहा जाता है।
DC current kya hai
DC current एक ऐसी करेंट होती है जिनकी दिशा और परिमाण किसी भी समय अंतराल में एक ही समान होती है।
DC current मे चार्ज की बहाव की दिशा और परिमाण किसी भी समय में नही बदलती है इसलिए इसे DC vidyut dhara कहा जाता है।
DC current की दिशा और परिमाण एक समान होने के कारण ही इसमें AC current जैसी कोई Frequency नही बनती ।
DC current एक pure करेंट होती है इसलिए इसे इलेक्ट्रॉनिक सर्किट में कुछ कार्य के लिए उपयोग में लिया जाता है ।
निष्कर्ष –
हमने इस आर्टिकल में इलेक्ट्रिक करेंट की बेसिक थ्योरी और basic Concept को समझाया है जो किसी भी इलेक्ट्रिक काम के क्षेत्र मे या किसी भी प्रकार की इलेक्ट्रिक फील्ड exam के लिए बेहद ही महत्वपूर्ण है।
इलेक्ट्रिक फील्ड में electric current को real मे समझना अति महतवपूर्ण है। इस आर्टिकल को इस तरह डिजाइन किया गया है की real मे electric current को समझना एवं उसकी बेसिक थ्योरी को कोई भी समझ पाए।